भाजपा कार्यकारिणीः वैश्विक मंदी में खेवनहार बनेगा भारत
भाजपा कार्यकारिणी में पारित आर्थिक प्रस्ताव में भारत के वैश्विक मंदी में खेवनहार बनने की उम्मीद जताई गई और कहा गया कि केंद्र सरकार के कुशल वित्तीय प्रबंधन से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।
लखनऊ (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत वैश्विक मंदी में खेवनहार बनेगा। यह भरोसा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पारित आर्थिक प्रस्ताव में जताया गया है। इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार के कुशल वित्तीय प्रबंधन से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। चीन, अमेरिका, ब्राजील जैसे देश मंदी से जूझ रहे हैं लेकिन भारत प्रगति की राह पर सरपट दौड़ रहा है।
अध्यक्षीय संबोधन के बाद दूसरे सत्र में करीब आर्थिक प्रस्ताव पर चर्चा हुई। पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव ने यह प्रस्ताव पेश किया। इसका अनुमोदन वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया। वित्त मंत्री अरुण इस पर विचार रखने वाले मुख्य वक्ता थे। प्रस्ताव में यूपीए सरकार की नीतियों से भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद खराब होने की बात कही गई है। कहा गया है कि सार्वजनिक बैंक कर्ज में डूब गए थे। वित्तीय असंतुलन पैदा हो गया था। वर्ष 2011-12 में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 6.5 प्रतिशत तक गिर गई। उद्योग विकास दर 2.9 फीसद तक पहुंचने के बाद नकारात्मक हो गई। 14 लाख करोड़ रुपये मूल्य का कोष गलत नीतियों से अटका रहा। चारों और नीतिगत पंगुता छाई थी।
मोदी सरकार ने फरवरी 2015 में 1.15 करोड़ की अटकी परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाना शुरू किया तो पूंजी मुक्त हुई। सकल घरेलू उत्पाद बढ़ा। कर सुधार, बैंकरप्सी एक्ट पारदर्शी, उत्तरदायी, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, कुशल वित्तीय प्रबंधन से निवेशकों का विश्वास बढ़ा। विदेशी निवेश जो एक वर्ष पहले महज 41 अरब डॉलर था वह वित्तीय वर्ष 2015-16 में 55 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व विदेशी मुद्रा 360 अरब डॉलर हो गई। इससे मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया जैसी पहल को वास्तविक रूप देने में मदद मिली। प्रस्ताव में इस बात पर राहत जताई गई है कि लगातार दो साल सूखे के बावजूद पिछली तिमाही में विकास दर 7.9 फीसद रही। साथ ही वित्तीय घाटा 4.9 फीसद से 3.9 फीसद हो गया है, जिसके इस साल 3.5 फीसद रहने का अनुमान है। कांग्रेस व अन्य दलों पर जीएसटी बिल को अटकाने का आरोप लगाते हुए कहा गया कि अगर यह बिल पारित हो जाए तो कर व्यवस्था में गुणात्मक परिवर्तन नजर आएगा। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की इस अवधारणा को कि गरीब शोषित, वंचित की सेवा एवं विकास प्रेरित नीतियों के साथ तालमेल बनाते हुए 'सबका साथ सबका विकासÓ नारा साकार किया जाएगा। यकीन यह भी जताया गया है कि इस मौलिक दर्शन से देश के गरीबों के जीवन में बदलाव आएगा।