Move to Jagran APP

Tejas Express : लखनऊ से दिल्ली के बीच चलेगी देश की पहली प्राइवेट ट्रेन, ऐसी होगी व्यवस्था

Tejas Express राजधानी से नई दिल्ली का सफर अब और होगा सुहाना। आइआरसीटीसी लखनऊ को सौंपा जाएगा पायलट प्रोजेक्ट का जिम्मा।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 09:05 AM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 09:06 AM (IST)
Tejas Express : लखनऊ से दिल्ली के बीच चलेगी देश की पहली प्राइवेट ट्रेन, ऐसी होगी व्यवस्था
Tejas Express : लखनऊ से दिल्ली के बीच चलेगी देश की पहली प्राइवेट ट्रेन, ऐसी होगी व्यवस्था

लखनऊ [निशांत यादव]। पटरियों पर रेलवे के समानांतर निजी क्षेत्र की ट्रेन दौड़ाने की तैयारी है। रेलवे बोर्ड ने 100 दिन के एक्शन प्लान में देश की दो प्रीमियम ट्रेनों को निजी क्षेत्र की मदद से दौड़ाने की योजना बना ली है। इसमें पहली ट्रेन Tejas Express लखनऊ से दिल्ली के चलेगी। दूसरी ट्रेन दक्षिण भारत में चल सकती है।

loksabha election banner

लखनऊ पहुंचे तेजस एक्सप्रेस को निजी क्षेत्र की मदद से चलाया जाएगा। शुरुआत में इस ट्रेन की टिकटिंग, बोर्डिंग और खानपान की जिम्मेदारी रेलवे की संस्था भारतीय रेलवे खानपान पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) की होगी। जिसे बाद में एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट के जरिए ऊंची बोली लगाने वाली निजी कंपनी को सौंपा जाएगा।रेलवे बोर्ड ने 11 क्षेत्रों में नई सुविधाएं देने का एक्शन प्लान बनाया है। जिसके तहत 100 दिनों में इसे लागू करने की समय सीमा तय की गई है। रेलवे यूनियन ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने का विरोध कर रहे हैं।

रेल कोच फैक्ट्री से तेजस एक्सप्रेस का रैक लखनऊ पहुंचा है। बहुप्रतीक्षित ट्रेनों में शामिल यह ट्रेन फिलहाल उत्तर प्रदेश के आनंद नगर रेलवे स्टेशन (महाराजगंज जिले के फरेंदा में यह स्टेशन ) पर खड़ी है और परिचालन के लिए खुली निविदा प्रक्रिया के बाद इसे निजी संचालकों के हवाले किया जाएगा। इस ट्रेन को चलाने का जिम्मा जोनल रेलवे की जगह आइआरसीटीसी को देने के लिए बोर्ड मुख्यालय में एक बैठक भी हो गई है।

दिल्ली और लखनऊ के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस देश की पहली प्राइवेट ट्रेन होगी। रेलवे ने सौ दिन के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए शुरुआती तौर पर दो प्राइवेट ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने तमाम विरोध के बीच आखिरकार रेलवे के निजीकरण की ओर कदम बढ़ा दिया है। रेलवे बोर्ड अब दिल्ली-लखनऊ के अलावा दूसरे 500 किमी दूरी के मार्ग के चयन में जुटी है, जहां दूसरी प्राइवेट ट्रेन चलाई जाएगी। दिल्ली से तेजस एक्सप्रेस को चलाए जाने का ऐलान 2016 में हुआ था, लेकिन इसे नए टाइमटेबल के साथ हाल ही में उतारा गया है। दिल्ली-लखनऊ रूट पर तेजस ट्रेन का लंबे वक्त से इंतजार था।

यह ट्रेन मौजूदा वक्त में आनंदनगर रेलवे स्टेशन पर खड़ी है, जिसे ओपन बिडिंग की प्रॉसेस के बाद प्राइवेट प्लेयर को सौंप दिया जाएगा। इस समय दिल्ली-लखनऊ रूट पर वक्त 53 ट्रेन चलाई जा रही हैं। इसमें कोई भी राजधानी ट्रेन नहीं है। इस रुट की सबसे प्रीमियम ट्रेन स्वर्ण शताब्दी है, जिससे दिल्ली से लखनऊ जाने में सफर में तकरीबन साढ़े छह घंटे का वक्त लगता है।

आइआरसीटीसी के पास रहेगी कस्टडी

इस ट्रेन की कस्टडी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन के पास रहेगी, जिसके लिए उसे रेलवे बोर्ड को भुगतान करना होगा। इसमें लीज चार्ज और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (आइआरएफसी) की अन्य मदें शामिल हैं। इन दोनों ट्रेन को शुरुआत में प्रयोग के तौर पर चलाया जाएगा और उम्मीद जताई कि अगले 100 दिनों में इनमें से एक और ट्रेन को चलाया जा सकेगा। रेलवे प्राइवेट ट्रेन को चलाने के लिए उन रूट्स का चयन कर रहा है, जो कम भीड़ वाले हो और महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल को जोड़ते हो। आइआरसीटीसी रैक को लीज पर रेलवे बोर्ड से लेगा और इसका शुल्क भी देगा।  रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अभी आइआरसीटीसी गतिमान एक्सप्रेस की तर्ज पर पांच सितारा होटल से खानपान की सुविधा देगा। ट्रेन का किराया भी रेलवे बोर्ड की जगह आइआरसीटीसी तय करेगा। इस ट्रेन में सब्सिडी नहीं मिलेगी। जिससे  किराया शताब्दी एक्सप्रेस से अधिक जरूर होगा, लेकिन सुविधाएं विमानों से बेहतर दी जाएंगी।

आइआरसीटीसी अपनी वेबसाइट पर इस ट्रेन के टिकट बेचेगा और आरक्षण चार्ट बनाने के साथ अपने टीटीई तैनात करेगा। पहले ट्रेन की ब्रांडिंग आइआरसीटीसी करेगा। जबकि निजी क्षेत्र में आने के बाद यह काम कंपनी का होगा। इससे प्रदेश के पर्यटन स्थलों का प्रचार प्रचार बोगियों पर विनायल पेंट से कर आमदनी हासिल की जा सकेगी। इसके बाद मुख्य पर्यटन स्थलों और बड़े शहरों को भी ऐसी ही ट्रेनों से जोड़ा जाएगा। रेलवे का काम रैक बनाकर आइआरसीटीसी को सौंपने और अपना क्रू स्टाफ मुहैया कराने का होगा।

ट्रेन का नाम भी आइआरसीटीसी तय करेगा। जिसके बाद हॉलेज (किराया और रखरखाव व एक स्थान पर रैक को रखे जाने का खर्च) की स्टडी करके आइआरसीटीसी इसे निजी क्षेत्र में चलाने के लिए एक न्यूनतम बोली तय करेगा। ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी से प्राप्त आय का एक हिस्सा रेलवे को मिलेगा। जबकि आइआरसीटीसी को एक तय फीस मिलेगी। शेष कॉमर्शियल गतिविधियों से निजी कंपनी आय हासिल करेगी। एक सप्ताह में बोर्ड विस्तृत गाइड लाइन जारी करेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.