Independence Day 2022: वह क्रांतिवीर जो कंधे पर रखकर चलता था कंबल, अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने की खाई थी कसम
Independence Day 2022 आगा मिर्जा का जन्म मंसूर नगर स्थित छोटी हवेली में हुआ था। पिता का नाम महमूद मिर्जा था। वह शाही सेना में कुमैदान (सेनानायक) थे। अवध के सेनानायक होने के कारण उनके पुत्र आगा मिर्जा को भी फौज में नौकरी मिल गई थी।
लखनऊ, [दुर्गा शर्मा]। लखनऊ एक ऐसा शहर है, जहां क्रांति का बीजारोपण करीब एक वर्ष पहले सात फरवरी 1856 को हो गया था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल के फरमान से अवध राज्य को कंपनी शासित सीमाओं में शामिल कर लिया गया। कंपनी के इस कदम ने अवध विशेषकर लखनऊ वासियों के मन में अंग्रेजों के विरुद्ध ऐसी घृणा पैदा कर दी कि वे इसका बदला लेने के लिए बैचेन हो उठे। इस आवेश ने अनेक क्रांतिदूतों को जन्म दिया, जिसमें से हम आपको आगा मिजा कंबलपोश की कहानी बताने जा रहे हैं।
आगा मिर्जा का जन्म मंसूर नगर स्थित छोटी हवेली में हुआ था। पिता का नाम महमूद मिर्जा था। वह शाही सेना में कुमैदान (सेनानायक) थे। अवध के सेनानायक होने के कारण उनके पुत्र आगा मिर्जा को भी फौज में नौकरी मिल गई थी। वह घुड़सवार फौज के अधिकारी थे। कंपनी सरकार में अवध का विलय होने के बाद सब ही फौजियों की नौकरी को समाप्त कर दिया गया था और कंपनी सरकार का दमन चक्र आरंभ हो गया था।
ऐसे में आगा मिर्जा कंबलपोश ने सबको संगठित किया और फिरंगियों को अवध की सरहदों से बाहर निकालने की कसम खाई। आगा मिर्जा ने जेल डाक्टर नजफ अली से संबंध गांठकर अंग्रेजी सेना के सारे राज एकत्रित कर लिए। निश्चित हुआ कि 11 सितंबर 1856 को पूरी तैयारी के साथ मड़ियांव छावनी पर हमला किया जाए और अंग्रेजी हुकूमत उखाड़ फेंकी जाए। परंतु दो दिन पहले नौ सितंबर 1856 को ही इसकी जानकारी कंपनी सेना को हो गई और आगा मिर्जा की योजना सफल न हो सकी।
19 फरवरी 1857 काे प्रकाशित साप्ताहिक समाचार पत्र सेंट्रल स्टार ने यह समाचार प्रकाशित किया कि अवध की सेना के अधिकारियों ने कंपनी सरकार को उखाड़ फेंकने की प्रतिज्ञा ली है, उनका लीडर आगा मिर्जा है। इसके बाद आगा मिर्जा ने फौजी पोशाक को उतारकर साधारण कपड़े पहन लिए और एक कंबल कंधे पर डाल लिया। तब से वह आगा मिर्जा कंबलपोश के नाम से प्रसिद्ध हुए। कंबलपोश तीन मई 1857 को अपने साथियों समेत मड़ियांव छावनी पर हमला कर दिया। 7वीं नेटिव इंफेंट्री का लेफ्टिनेंट ग्रांट मारा गया। उसी रात आगा मिर्जा को गिरफ्तार कर लिया गया और अगले दिन मच्छी भवन के सामने नाटी इमली में लटकाकर उसे फांसी दे दी गई।