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निकाय चुनाव में टिकट के दावेदारों से बढ़ा भाजपा में गुटबाजी का खतरा

भाजपा की सर्वाधिक मुश्किल यह है कि एक-एक पद के लिए औसत 20 से 25 दावेदार हैं। उनमें छह से आठ मजबूत और प्रभावी हैं। जाहिर है कि एक को मिलने के बाद बाकी की नाराजगी बढऩी तय है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Sat, 04 Nov 2017 04:52 PM (IST)Updated: Sat, 04 Nov 2017 04:52 PM (IST)
निकाय चुनाव में टिकट के दावेदारों से बढ़ा भाजपा में गुटबाजी का खतरा
निकाय चुनाव में टिकट के दावेदारों से बढ़ा भाजपा में गुटबाजी का खतरा

लखनऊ (जेएनएन)। नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण के नामांकन की अंतिम तारीख छह नवंबर है लेकिन, भाजपा अभी तक नगर निगम और नगर पालिका परिषद के उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं कर सकी। नगर पंचायत अध्यक्षों और सभासदों की सूची क्षेत्रीय इकाइयों से शुक्रवार की देर शाम जारी की गई। टिकट के दावेदारों का जिस तरह पार्टी पर दबाव बढ़ा है, उसका नजारा पार्टी मुख्यालय पर देखने को मिला। दावेदारों की बड़ी संख्या होने से गुटबाजी बढऩे का भी खतरा मंडरा रहा है।

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भाजपा ने पिछले तीन दिनों तक लगातार क्षेत्रवार बैठक कर उम्मीदवारों के नाम पर मंथन किया। भाजपा मुख्यालय में सबसे पहले दिन गोरखपुर और काशी क्षेत्र, फिर कानपुर-बुंदेलखंड और आखिरी दिन अवध, पश्चिम और ब्रज क्षेत्र के उम्मीदवारों के नाम की चर्चा हुई। पहले यही संकेत मिलते रहे कि पहले चरण के नगर निगम महापौर, पार्षद और नगर पालिका परिषद के अध्यक्षों की सूची शुक्रवार तक हर हाल में जारी हो जाएगी, लेकिन रात तक कोई सुगबुगाहट नहीं मिली।

उधर, भाजपा मुख्यालय के बाहर दावेदार और उनके समर्थकों की भीड़ जमी रही। भाजपा के कुछ पदाधिकारी इस बात का संकेत दे रहे थे कि कम से कम नगर पालिका परिषद के उम्मीदवारों की सूची देर रात तक जारी कर दी जाएगी लेकिन नगर निगमों को लेकर कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं था। भाजपा की सर्वाधिक मुश्किल यह है कि एक-एक पद के लिए औसत 20 से 25 दावेदार हैं। उनमें छह से आठ मजबूत और प्रभावी हैं। जाहिर है कि एक को मिलने के बाद बाकी की नाराजगी बढऩी तय है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय का कहना है कि 'उम्मीदवार तो कोई एक ही बनेगा और देरी इसलिए हो रही है कि सभी बिन्दुओं की पड़ताल की जा रही है। भाजपा अनुशासित पार्टी है और जो पार्टी का उम्मीदवार बनेगा उसके साथ सभी कार्यकर्ता मजबूती के साथ खड़े होंगे। इस बीच यह भी चर्चा तेज हो गई है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मारीशस होने की वजह से भी नगर निगम महापौर के उम्मीदवारों की सूची जारी करने में विलंब हो रहा है। मुख्यमंत्री के लौटने पर ही अंतिम विमर्श होगा। हालांकि समय कम होने से चुनाव लडऩे वालों की मुश्किल बढ़ती जा रही है।
 


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