गन्ना पेराई क्षमता बढ़ी, गन्ना की गुणवत्ता में सुधार होने से चीनी उत्पादन में इजाफा होने की आस
विभागीय आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष 29 नवंबर तक प्रदेश की 119 में से 106 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हो सकी थी जबकि इस बार 111 मिल गन्ना पेराई कर रही हैं।
लखनऊ [अवनीश त्यागी]। मौसम साथ देता रहा तो इस पेराई सत्र में चीनी उत्पादन में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। शुरुआती रुझान को देखें तो पिछले वर्ष की तुलना में एक माह में दस लाख क्विंटल अधिक चीनी उत्पादन हो चुका है। इतना ही ज्यादा गन्ना पेराई भी हो चुकी है। हालांकि चीनी मिलों द्वारा पूरी क्षमता से गन्ना पेराई आरंभ न करने से गेहूं बोआई कार्य प्रभावित हो रहा है। इससे किसानों में बेचैनी है।
मध्य क्षेत्र में चीनी रिकवरी अधिक
मध्य क्षेत्र की 53 में से 51 चीनी मिलों में गन्ना पेराई आरंभ हो सकी है परंतु औसत चीनी रिकवरी (10.22 प्रतिशत) अन्य क्षेत्रों से अधिक है। वहीं पश्चिमी क्षेत्र की सभी 33 मिलों में पेराई जारी है, लेकिन मिलें पूरी क्षमता से न चल पाने के कारण गन्ना आपूर्ति को लेकर किसानों को मुश्किलें आ रही हैं। पश्चिमी क्षेत्र में 10.17 फीसद तक चीनी मिल रही है। इसके विपरित पूर्वी क्षेत्र में अयोध्या व देवीपाटन क्षेत्र की मिलों में रिकवरी बेहतर होने के बावजूद अन्य क्षेत्रों से औसत रिकवरी कम है। पूर्वी जिलों की 33 मिलों में से अभी 27 में ही पेराई शुरू हो पायी है और औसत चीनी की रिकवरी 9.42 प्रतिशत ही है।
इस बार ज्यादा गन्ना पेराई
इस बार गन्ना पेराई की स्थिति पिछले सत्र से ज्यादा बेहतर है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष 29 नवंबर तक प्रदेश की 119 में से 106 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हो सकी थी जबकि इस बार 111 मिल गन्ना पेराई कर रही हैं। पिछले वर्ष इस अवधि में करीब 865.80 लाख क्विंटल गन्ना खरीदा गया था। इस बार अभी तक 1067.15 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हो चुकी है।
चीनी उत्पादन में बढ़ोत्तरी
गत पेराई सत्र की तुलना में चीनी उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी दिख रही है। इस अवधि में पिछले सत्र में जहां मात्र 88.54 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हो पाया था वहीं इस बार 108.1 लाख क्विंटल चीनी अब तक बन चुकी है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी उत्पादन बढ़ेगा परंतु बहुत अधिक बढ़ोत्तरी के आसार नहीं है। इस बार गन्ना क्षेत्रफल कम होने और लाल सडऩ रोग का प्रकोप होने का चीनी उत्पादन पर विपरित प्रभाव संभव है।
गन्ना पर्चियों को लेकर मारामारी
प्रदेश में तीन दर्जन से अधिक जिलों में वर्षा हो जाने के कारण किसानों में गेहूं बोआई की जल्दबाजी है। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि चीनी मिलों द्वारा पूरी क्षमता से पेराई नहीं करने के कारण किसानों को मुश्किलें आ रही हैं। इतना ही नहीं, गन्ना कटाई न होने से गेहूं की बोआई भी पिछड़ रही है। पर्चियां देरी से मिल पाने के कारण किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है।