यूपी के 45 जिलों में जल पंचायत बुलंद कर रही संचयन की आवाज, प्राकृतिक स्रोतों को बचाने की पहल
भूमिगत जल के लगातार दोहन से जहां धरती की कोख सूनी हो रही है वहीं जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। पानी बचाने के साथ ही पानी के स्रोतों को बचाने की मुहिम भी शुरू होनी चाहिए। इसके लिए यूपी के 45 जिलों में जल पंचायत बनाई गई है।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। ऊंची इमारतों के बल पर विकास की तस्वीर देखने की ललक तो नजर आती हैै, लेकिन पर्यावरण संरक्षण को विकास का आइना बताने का प्रयास कुछ लोग ही करते हैं। भूमिगत जल के लगातार दोहन से जहां धरती की कोख सूनी हो रही है वहीं जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। पानी बचाने के साथ ही पानी के स्रोतों को बचाने की मुहिम भी शुरू होनी चाहिए। समग्र पर्यावरण को बचाने के साथ जल संरक्षण में भी कुछ समाजसेवी व विशेषज्ञ लगे हुए हैं। 'कल के लिए जल, के संयोजक सीबी पांडेय की ओर से सभी जिलों में गठित होने वाली जल पंचायतें जल संरक्षण की आवाज बुलंद कर रही हैं। प्रदेश के 45 जिलों में बनी 143 से अधिक नदी जल पंचायत में 2300 से अधिक युवा काम कर रहे हैं।
पर्यावरण सुरक्षा फोर्स का गठन होः आंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता ने बताया कि नदी, पोखर व कुआं जैसे प्राकृतिक जलस्रोतों के संरक्षण से ही पानी का संरक्षण संभव है। हमारा अभियान पानी को बचाने के साथ-साथ साथ प्राकृतिक स्रोतों को बचाने का भी होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए प्लान में पर्यावरण सुरक्षा फोर्स गठन करने की मांग की गई है। एक दशक से अधिक समय से पर्यावरण और नदी की सुरक्षा को लेकर अभियान चलाया गया। लोगों में जागरूकता तो आई, लेकिन इसका रेशियो उतना नहीं था जितना होना चाहिए। वायु प्रदूषण से लेकर जल दोहन को रोकने के कानून तो बने हैं, लेकिन अमल नहीं हो पा रहा है। नव गठित फोर्स सिर्फ पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर ही काम करेगी। ऐसे में सरकार के साथ ही आम लोग मिलकर जल स्रोतों को बचाने का काम करेंगे तो जल संरक्षण अपने आप हो जाएगा।
फोर्स के कार्यः
-भूमि जल के अंधाधुंध दोहन करने पर सीधे मोबाइल एप से जानकारी मिलेगी जिससे उसका चालान किया जा सके।
-मोबाइल एप कूड़ा जलाने की जानकारी के लिए होगा तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान करेगा।
-स्वच्छता मिशन अभियान की तर्ज पर ही जल संरक्षण और जल स्रोत संरक्षण का अभियान चलाना होगा।
-आम लोगों के साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई का प्रावधान होगा।
-बड़ी नदियों के साथ ही छोटी नदियों के संरक्षण और प्रदूषण मुक्त करने का अभियान चलाना होगा।