इंसुलीन दे रहा है कोरोना संक्रमित मरीजों को धोखा, शुगर को बढ़ाने वाले आहार से करें तौबा
इंसुलीन इंफ्यूजन साबित हो रही है संजीवनी। शुगर पर नियंत्रण नजर रख कर बचाया जा सकती है जिंदगी।
लखनऊ, (संजय कुमार)। शरीर में शुगर को नियंत्रित करने वाला हारमोन कोरोना मरीज़ों में धोखेबाज़ साबित हो रहा है। वो इसलिए क्योंकि संक्रमण के होने के बाद शरीर में इंसुलिन की कार्य क्षमता तेजी से घटने लगती है, जिसके कारण जिन लोगों में पहले कभी डायबटीज की परेशानी नहीं रही है उनमें भी शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है। यह बढ़ा शुगर लेवल कई तरह की परेशानी खड़ी कर देता है। डॉक्टरों ने इलाज के दौरान शरीर मं अचानक आने वाले इस बदलाव की न केवल सटीक पहचान कर ली है बल्कि उसकी काट भी ढूंढ़ निकाली है। विशेषज्ञों के मुताबिक, चूंकि अनियंत्रित शुगर कोशिकाओं में सूजन के साथ फेफड़े को क्षतिग्रस्त करता है। इसलिए उसका लेवल इंसुलिन इंफ्ययूजन के जरिए कंट्रोल करके कोरोना मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना या किसी भी संक्रमण के मामले में शुगर लेवल पर विशेष नजर रखने की जरूरत है। शुगर लेवल को इंसुलीन इंफ्यूजन के जरिए कंट्रोल कर काफी हद तक कोरोना मरीज़ों में कंपलीकेशन को रोका जा सकता है। यह भी देखा गया है कि कई बार संक्रमण खत्म होने के साथ शुगर लेवल बिना किसी दवा के नियंत्रित हो जाता है। इस अनुभव को इंडियन एसोसिएशन आफ एनेस्थेसिया के जरिए सामने लाया गया है। संजय गांधी पीजीआई के एनेस्थेसिया विभाग के प्रो. एसपी अंबेश को प्रोफेसर एवं आईसीयू एक्सपर्ट कहते है कि देखा गया है कि जिन कोरोना संक्रमित मरीज़ों में शुगर नियंत्रित रहा उनमें परेशानी कम हुई और उनमें वेंटीलेटर की भी जरूरत कम हुई।
हमने भी देखा कि जिन मरीज़ों में शुगर ठीक से इंसुलीन के जरिए नियंत्रित किया वह लोग जल्दी रिकवर हुए। संक्रमण होने के बाद शरीर में बदलाव के कारण शुगर का स्तर बढ़़ जाता है। मेटाबोलिक सिड्रोम को संचालित करने में इंसुलीन प्रतिरोध बडा कारण है। संक्रमण के कारण मेटाबोलिज्म ( उपापचय) क्रिया बिगड़ जाती है। इंसुलीन ही रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है। इंसुलीन प्रतिरोध होने के कारणशुगर का लेवल तेजी से बढने लगता है। विशेष रूप से , अच्छी तरह से नियंत्रित रक्त शर्करा (70 से 180 मिली ग्राम प्रति डेसी लीटर) वाले जो मरीज अस्पताल में भर्ती मरीज़ों में कम चिकित्सा हस्तक्षेप( मेडिकल इंटरवेंशन) और आर्गन डैमेज भी कम रहा है। मृत्यु दर भी कम रही। खराब नियंत्रित रक्त ग्लूकोज वाले व्यक्तियों (180 मिली ग्राम प्रतिडेसी लीटर) से अधिक रहा उनमें परेशानी अधिक देखने को मिली।
इंसुलीन इंफ्यूजन साबित हो सकता है कारगर
एक अन्य अध्ययन में दिखाया गया है कि कोरोना के मरीज जो हाइपर ग्लाइसेमिया से ग्रस्त थे उनमें इंसुलीन को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन इंफ्यूजन के साथ इलाज किए जाने वाले वाले रोगियों में मृत्यु का खतरा कम रहा जबकि इंसुलिन इंफ्यूजन के बिना रोगियों की मृत्यु का खतरा अधिक देखने को मिला।
शुगर को बढ़ाने वाले आहार को तौबा
शुगर के स्तर को बढाने में आहार कार्बोहाइड्रेट, परिष्कृत कार्ब्स, स्टार्च और सरल शर्करा को भी देने में सावधानी बरतनी पड़ती है। कम वसा, उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार की वकालत करती हैं, जो हाइपरग्लाइसेमिया को खत्म कर सकती हैं।