लखनऊ में 3000 से अधिक झील-पोखरों का अस्तित्व खत्म, कागजों पर बदले आकड़े
लखनऊ में बड़े पैमाने पर जलस्रोतों पर अवैध कब्जे। प्रशासनिक रिकाॅर्ड में 13000 हजार से अधिक जलस्रोत।
लखनऊ, जेएनएन। जानकार हैरानी होगी लेकिन सच है कि केवल राजधानी में ही तीन हजार से अधिक झील-पोखर और तालाबों का अस्तित्व खत्म हो चुका है। यह सब अब इतिहास बनते जा रहे हैं। राजधानी के प्राकृतिक जल निकायों का बहुत बुरा हाल है। खुद प्रशासनिक आंकड़े कह रहे हैं कि राजधानी के 3393 झील, पोखर, कुएं और तालाब गायब हो चुके हैं।
प्रशासन ने कुछ समय पहले एक मामले में अदालत में हलफनामा दिया है उसके मुताबिक 1759 तालाबों, पोखरों और झीलों से कब्जे हटाए गए हैं। जबकि 2034 से कब्जे इसलिए नहीं हटाए जा सके हैं क्योंकि सरकारी महकमों की मिलीभगत से रियल एस्टेट कारोबारियों से लेकर दबंगों ने तालाबों को पाटकर प्लाटिंग कर दी है। कई आवासीय कॉलोनियां इन पर खड़ी हैं जिन पर हजारों लोग रह रहे हैं। शहर में कई ऐसी विवादित जमीनें हैं जो तालाबों और बसायी गईं हैं।
कागजों पर 13 हजार से अधिक तालाब
लखनऊ में रिकाॅर्ड के मुताबिक, 13037 पोखर, तालाब, झील और कुएं हैं। गत वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक, यह संख्या 12653 बची थी। प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार अभी 532 तालाब, पोखर और झीलों पर भूमाफिया का कब्जा है। पिछले कुछ सालों में कुल 57 पर से ही कब्जे हटाने की कार्रवाई तो हुई लेकिन पूरी तरह अमल में नहीं आ पाई। जिला प्रशासन के अधिकारियों की मानें तो शहरी क्षेत्र में तालाब, पोखर और झीलों पर ही सरकारी महकमों ने अपनी आवासीय कॉलोनियां बसा ली हैं।
तीन सौ बीघे की झील पर कब्जे
बख्शी का तालाब में ऐतिहासिक शौतल झील पर लोग कब्जा कर खेती कर रहे हैं। प्रशासन कई बार कब्जे हटाने का दावा कर चुका है लेकिन स्थिति जस की तस है।
तालाब, पोखर, झील, कुंए, चारागाह और कब्रिस्तान
कुल संख्या- 13037, क्षेत्रफल 4928.570 हेक्टेयर
अवैध कब्जे- 3793, क्षेत्रफल 602.514 हेक्टेयर
हटाए गए कब्जे- 1759, क्षेत्रफल 193.358 हेक्टेयर
बचे हुए कब्जे- 2034, क्षेत्रफल 409.156 हेक्टेयर
राजधानी में आदर्श जलाशय
बीकेटी - 80
चिनहट - सात
गोसाईगंज - 71
काकोरी - नौ
माल - 53
मलिहाबाद - 22
मोहनलालगंज - 26
सरोजनीनगर - 46