Ayushman Yojana: यूपी में 83% आयुष्मान लाभार्थियों को योजना की अच्छी समझ, IIT चेन्नई के सर्वे में मिले नतीजे
PM Jan Arogya Yojana आयुष्मान भारत योजना को शुरू हुए अब चार साल पूरे होने पर लाभार्थियों को योजना के बारे में कितनी जानकारी है इसकी पड़ताल कराने के लिए यह सैंपल सर्वे कराया गया था। इसमें सुधार के लिए जो सुझाव मिले हैं उन्हें लागू कराया जा रहा है।
UP News: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) के 83 प्रतिशत लाभार्थियों के इसके लाभ के बारे में पूरी जानकारी है। जिसकी मदद से एक परिवार को एक वर्ष में पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा वाली इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। गत दिनों इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (IIT) चेन्नई के माध्यम से योजना को लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश व पश्चिम उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न क्षेत्रों के जिलों में कराए गए सैंपल सर्वे में ये बात सामने आई है। इन क्षेत्रों में 1.73 करोड़ परिवारों के 7.65 करोड़ लाभार्थी हैं।
आयुष्मान योजना के चार साल पूरे
स्टेट एजेंसी फार कांप्रिहैंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) की सीईओ संगीता सिंह ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना को शुरू हुए अब चार साल पूरे होने पर लाभार्थियों को योजना के बारे में कितनी जानकारी है, इसकी पड़ताल कराने के लिए यह सैंपल सर्वे कराया गया था। जिसके नतीजे उत्साहवर्धक हैं और इसमें सुधार के लिए जो भी सुझाव मिले हैं, उन्हें लागू कराया जाएगा।
प्रक्रिया का सरलीकरण करने पर जोर
संगीता सिंह ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना लाभार्थियों को आसानी से मुफ्त इलाज बड़े अस्पतालों में मिले, जिलों में अफसरों की जिम्मेदारी तय करने और प्रक्रिया का सरलीकरण करने पर जोर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश में अभी तक 2.16 करोड़ लोगों ने आयुष्मान कार्ड बनवाया है और इसमें से 92.1 प्रतिशत लाभार्थियों का आधार सत्यापन भी कराया जा चुका है। वहीं, अभी तक इस योजना के तहत 15.18 लाख लोग अपना निश्शुल्क उपचार करा चुके हैं।
बोन मैरो व किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा
बोन मैरो ट्रांसप्लांट व किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा भी इसके माध्यम से दी जा रही है। 3,156 सरकारी व निजी अस्पतालों में इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। अब तक कुल 1,743 करोड़ रुपये लाभार्थियों के इलाज पर खर्च किए गए हैं। इसमें 736 करोड़ रुपये गंभीर रोगियों के उपचार पर खर्च हुए। वहीं, 296 करोड़ रुपये अन्य राज्यों के बड़े अस्पतालों में इलाज कराने गए यूपी के लाभार्थियों पर खर्च किए गए हैं।
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