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आइजीआरएस पर तय होगी अफसरों की जवाबदेही, 1.25 लाख लोगों ने पोर्टल का लिया सहारा Lucknow News

आइजीआरएस पोर्टल पर दर्ज होगी शिकायत 1.25 लाख लोगों ने पोर्टल का लिया सहारा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 28 Dec 2019 12:38 PM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 12:38 PM (IST)
आइजीआरएस पर तय होगी अफसरों की जवाबदेही, 1.25 लाख लोगों ने पोर्टल का लिया सहारा Lucknow News
आइजीआरएस पर तय होगी अफसरों की जवाबदेही, 1.25 लाख लोगों ने पोर्टल का लिया सहारा Lucknow News

लखनऊ [राजीव बाजपेयी]। पात्रता के बावजूद सरकारी सुविधाओं और योजनाओं का लाभ हासिल करने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर और बाबुओं की परिक्रमा करते-करते आम आदमी बुरी तरह पिस जाता था। भ्रष्टाचार की चक्की ऊपर से नीचे तक चलती थी जिससे गुजरकर ही लोग अपना काम करा पाते थे। मगर आइजीआरएस पोर्टल ने सरकारी सिस्टम में सुस्ती और भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अकुंश लगाया है जिससे आम आदमी राहत महसूस कर रहा है।  

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अगर 2019 की बात करें तो सूचना के अधिकार की तरह ही आइजीआरएस को भी लोगों ने हथियार बनाकर सुस्त और लापरवाह तंत्र को जगाने का काम किया है। बीते साल आइजीआरएस और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर लोगों ने एक लाख से अधिक शिकायतें दर्ज करायीं। इससे पता चलता है कि लोगों में आइजीआरएस के प्रति विश्वास बढ़ा है और अफसरों को भी इससे भय लगने लगा है। 

हर शिकायत के निस्तारण का निर्धारित है निश्चित समय

आइजीआरएस पोर्टल पर दर्ज की जाने वाली किसी भी शिकायत के निस्तारण का एक निश्चित समय है। मुख्यमंत्री पोर्टल पर आवेदन के बाद संबंधित जिले को पहुंचती है और फिर वहां से संबंधित अधिकारी को। प्रत्येक अधिकारी को लॉगइन आइडी दी जाती। अगर निश्चित समयावधि में निस्तारित नहीं होती है तो डिफाल्टर की श्रेणी में दर्ज हो जाती है। एक बार डिफाल्टर श्रेणी में आने के बाद संबंधित अधिकारी को जिलाधिकारी को निस्तारित नहीं करने की वजह बतानी पड़ती है। 

1076 पर कर सकते हैं शिकायत

पोर्टल के अलावा अगर कोई सीधे हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराना चाहता है तो 1076 पर फोन कर सकता है। इसमें किसी तरह का शुल्क नहीं है और शिकायत भी पूरी तरह गोपनीय रखी जाती है। शिकायत सीधे संबंधित विभागाध्यक्ष की आइडी पर ट्रांसफर कर दी जाती है, जहां एक निश्चित समय पर उनको रिपोर्ट देनी होती है।    

 

ई-डिस्ट्रिक्ट से सब कुछ ऑन स्क्रीन 

अधिकतर काम अब ऑन लाइन ही हो रहे हैं। आय, जाति, निवास प्रमाणपत्र हों या फिर हैसियत। अब सब कुछ ऑनलाइन ही हो रहा है। ई डिस्ट्रिक्ट पर जाकर करीब पचास सेवाएं और सुविधाएं ऑन लाइन हैं। शादी-बारातों में डीजे बजाना हो या फिर कार्यक्रम के लिए अनुमति लेनी हो सबके लिए ई डिस्ट्रिक्ट पर सिस्टम है। आइटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग ने इस परियोजना में सेवाओं के तहत जाति, आय, निवास, हैसियत, चरित्र, विभिन्न प्रकार के राजस्व अदालती प्रकरण, देय एवं वसूली, खतौनी, ङ्क्षहदू विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण, शस्त्र लाइसेंसों को जारी करने और नवीनीकरण जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था विधवा एवं विकलांगता पेंशन, रोजगार पंजीकरण, केस ट्रैकिंग एवं फाइनल ऑर्डर जनरेशन, ड्यूज एवं रिकवरी को भी ऑनलाइन कर दिया गया है। 

राशन नहीं खा पाएंगे कोटेदार

तकनीक ने प्रशासनिक तंत्र के साथ ही कई क्षेत्रों में बदलाव किया है। राशन वितरण प्रणाली हमेशा से कठघरे में है और अभी भी है लेकिन बहुत हद तक काबू करने में प्रशासन ने सफलता पायी है। अब राशन पूरी तरह बायोमीट्रिक ही मिलेगा। अब तक कोटेदार मनमाने तरीके से राशन वितरित कर अपना पेट भरते थे। मगर अब स्थित में काफी हद तक लगाम लगी है। पीओएस मशीनों से ही अब राशन दिया जा रहा है। प्रॉक्सी वितरण की भी गहन निगरानी हो रही है, जिससे कोटेदारों की मनमानी पर अंकुश लगा है। 

असलियत में विकास : 

पीएफएमएस से बदलेगी गांवों की दुनिया

पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) से अब ग्राम पंचायतोंं में विकास और पारदर्शिता की नयी तस्वीर देखने को मिलेगी। ग्राम पंचायतों के विकास में व्याप्त भ्रष्टाचार के घुन को काटने के लिए अब पीएफएमएस लागू किया है और ग्राम पंचायतों के खातों को इससे जोड़ दिया गया है, जिससे अब फंड के दुरुपयोग की गुंजाइश न के बराबर होगी। दरअसल, अब तक गांवों के विकास में सबसे बड़ी बाधा फंड का मनमाने तरीके से दुरुपयोग ही था। विकास भवन में रोजाना ही ग्राम पंचायतों को लेकर खासकर ग्राम प्रधान और ग्राम सचिवों के गठजोड़़ से फंड के बंदरबाट की शिकायतें आ रही थीं। वर्ष 2019 में कई ग्राम पंचायतों में इस तरह की शिकायतें सामने आयीं और जांच के बाद कई के खिलाफ कार्रवाई हुई। मुख्य विकास अधिकारी मनीष बंसल का कहना है कि अब गांवों में विकास के कार्यो में मनमाने तरीके से लोगों को फायदा पहुंचाना आसान नहीं होगा। पूरी कार्ययोजना ऑन लाइन होगा और सत्यापन के बाद पूरा ट्राजेंक्शन ऑन लाइन ही होगा। इससे सही व्यक्ति को ही पूरा भुगतान मिलेगा। वहीं मनरेगा में भ्रष्टाचार की शिकायतों के मद्देनजर प्रशासन ने अब ऐसे अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी जो भुगतान में देरी करते हैं। अब अगर किसी श्रमिक के भुगतान में देरी होगी तो प्रत्येक दिन करीब दस रुपये के हिसाब से जुर्माना देना होगा, जिसकी भरपाई अधिकारी के वेतन से होगी। इसके साथ ही योजनाओं और कार्यक्रमों में लक्ष्य नहीं हासिल करने वाली पंचायतों में ग्राम प्रधान, ग्राम सचिव और रोजगार सेवकों सहित जितनी भी कडिय़ां हैं सबकी जवाबदेही तय होगी। जाहिर है इससे योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में तेजी आएगी। 

पंचायत चुनाव पर नजर

मुख्य विकास अधिकारी के मुताबिक वर्ष 2020 में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं। प्रशासन का लक्ष्य होगा कि चुनाव पूरी तरह पारदर्शिता से हों। इसके लिए अभी से तैयारियां शुरू करनी हैं। जल्द ही अधिकारियों के साथ इस पर बैठक होगी। राजधानी में 570 ग्राम पंचायतों में चुनाव होने हैं। मतदाता सूची को लेकर जल्द ही अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही जो ग्राम पंचायतें संवेदनशील हैं वहां पर अभी से निगरानी की जाएगी।  

शत-प्रतिशत खर्च होगा फंड

पंचायती राज विभाग द्वारा जो भी बजट आवंटित किया जाएगा उसे शतप्रतिशत खर्च किया जाएगा। गांवों के विकास के लिए अच्छा खासा बजट आता है। गांवों में सड़कें, नालियां और दूसरी सुविधाओं पर खर्च हो इसकी व्यवस्था होगी। इसके अलावा मनरेगा के तहत जो भी राशि होगी उसका सदुपयोग होगा। 

 

वादा रहा-डीएम

स्कूलों का कायाकल्प करूंगा

प्रशासनिक कार्य तो हमेशा ही प्राथमिकता पर रहते हैं जिसके लिए सभी अधिकारी चौबीस घंटे कार्य करते हैं। सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाना ही प्रशासन का मूल काम है। इसके साथ ही बच्चों की शिक्षा एक बड़ा विषय है, जिस पर सबको मिलकर काम करने की जरूरत है। नए साल में हम लोगों ने सरकारी स्कूलों की दशा बदलने के लिए एक प्लान तैयार किया है। इसमें सरकारी स्कूलों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें हम लोग निजी संस्थानों और कंपनियों की मदद लेंगे जो इस काम में सहयोग देना चाहते हैं। सरकारी स्कूलों में बेहतर इंफ्रास्ट्रचर हो, साफ पीने का पानी हो और पढ़ाई के स्तर में सुधार हो। इसके लिए प्रशासन उन सभी इच्छुक व्यक्तियों की मदद लेंगे जो समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं। जिले के करीब दो सौ से अधिक सरकारी स्कूलों को पहले चरण में चयनित किया गया है। इस पर काम शुरू भी हो गया है।   

 

मेरा संकल्प -मुकेश मेश्राम, कमिश्नर

साफ होगी कुकरैल नदी 

किसी जमाने में लखनऊ को बागों का शहर कहते थे। हालांकि आज भी यहां हरियाली है कई पार्क हैं, लेकिन जिस तरह से विकास हो रहा है उससे कहीं न कहीं पर्यावरण को नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रशासन भी पर्यावरण को लेकर पूरी तरह से फिक्रमंद है। जीवनदायिनी गोमती लखनऊ शहर की शान है और यह पहले की तरह निर्मल बने इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। गोमती निर्मल रहे इसके लिए इसमें गिरने वाले गंदे पानी और कचरे को रोकना होगा। इसके लिए हम लोगों ने गोमती में गिरने वाली कुकरैल नदी जो अब नाले की तरह हो गयी है उसको स्वच्छ करने की योजना बनाई है। कुकरैल नदी अपने पुराने स्वरूप में लौटे इसके लिए संबंधित सभी पक्षों के साथ कार्ययोजना बनाने को कहा है। इसमें वैज्ञानिकों की भी मदद ली जाएगी। इसके अलावा जो भी लोग इस सामाजिक कार्य में सहयोग करना चाहते हैं अपना योगदान दे सकते हैं। अगर हम कुकरैल को स्वच्छ करने में कामयाब हो गए तो गोमती को बहुत बड़ी राहत मिलेगी।


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