गाइडलाइन के अनुपालन के बाद ही हो सकेगी हिस्ट्रेक्टोमी, आयुष्मान में शामिल हुआ ऑपरेशन
बिना वजह नहीं निकाला जाएगा यूट्रस आयुष्मान भारत में शामिल हुई गाइडलाइन।
लखनऊ, जेएनएन। देश में हिस्ट्रेकटोमी यानी गर्भाशय को निकाले जाने की घटनाएं बीते एक-डेढ़ दशक के दौरान तेजी से बढ़ी हैं। देखा गया है कि कई बार चिकित्सक जरूरी न होने पर भी मोटी फीस के लालच में हिस्ट्रेकटोमी कर डालते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) भी इससे अन्जान नहीं है। यही वजह है कि आइसीएमआर ने इसके लिए गाइड लाइन तैयार की है, जिसका अनुपालन सौ फीसद सुनिश्चित किए जाने के बाद ही डॉक्टर यूट्रस निकालने का निर्णय ले सकते हैं। सर्जरी को हालांकि भारत सरकार द्वारा आयुष्मान भारत में भी शामिल किया गया है, लेकिन गाइडलाइन का अनुपालन करने के बाद ही हिस्ट्रेकटोमी की जा सकती है।
एआइसीओजी 2020 में ये जानकारियां मौलाना आजाद मेशिकल कॉलेज की डॉ. रेवा त्रिपाठी ने दीं। डॉ. त्रिपाठी आइसीएमआर की स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट वर्कफ्लो की हिस्ट्रेकटोमी की चेयरपर्सन हैं। उन्होंने कहा कि इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि हिस्ट्रेकटोमी का गलत इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि इससे जुड़ा डाटा तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन डॉक्टर इसे अंतिम विकल्प के तौर पर नहीं लेते। वह कहती हैं कि कुछ विशेष परिस्थितियों में यूट्रस निकालना ही अंतिम विकल्प होता है, लेकिन देखा गया है कि यह फैसला लेने में डॉक्टर कतई हिचकते नहीं हैं। इसके पीछे कारण अधिक धन कमाना भी हो सकता है। यही वजह है कि आइसीएमआर ने गाइडलाइन तैयार की है जिसका अनुपालन करना जरूरी है।
एचआरटी से बचना चाहिए
डॉ. त्रिपाठी कहती हैं हिस्ट्रेकटोमी के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) जरूरी नहीं है। हालांकि कुछ डॉक्टरों इसकी हिमायत करते हैं, लेकिन जब तक कोई समस्या न हो हार्मोन दिया जाना ठीक नहीं। इससे अन्य समस्याएं होने का अंदेशा रहता है।