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Jagran Vimarsh in Ayodhya: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की श्रद्धेय धरती है अयोध्या, बोले हृदयनारायण दीक्षित

विधानसभाध्यक्ष ने इक्ष्वाकु औेर उनके उत्तरवर्ती अयोध्या के सूर्यवंशीय नरेशों के गौरव की ओर ध्यान आकृष्ट कराया और कहा अयोध्या के नरेशों की यह श्रृंखला सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अनुभूति कराती है। अयोध्या का निर्वचन करते हुए उन्होंने कहा अयोध्या केवल नगरी ही नहीं भारतीयता की भावभूमि है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 05:55 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 07:58 AM (IST)
Jagran Vimarsh in Ayodhya: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की श्रद्धेय धरती है अयोध्या, बोले हृदयनारायण दीक्षित
विधानसभाध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने अयोध्या जागरण विमर्श का किया उद्घाटन।

अयोध्‍या, [रघुवरशरण]। बटुकों द्वारा स्वस्तिवाचन की वैदिक ऋचाओं एवं शंख ध्वनि से स्फुरित हुए जागरण विमर्श के उद़घाटन सत्र को विधानसभाध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने संबोधित किया। विधानसभाध्यक्ष ने संस्कृति के प्रखर मर्मी की अपनी छवि के अनुरूप उद्बोधन की शुरुआत से ही मर्म का स्पर्श किया। यह कहते हुए कि अयोध्या एक विचार है- एक काव्य है। उन्होंने अयोध्या की गरिमा विभूषित करते अथर्व वेद में इस नगरी के उल्लेख का स्मरण कराया। ...तो भागवत गीता में भगवान कृष्ण का यह कथन उद्धृत किया। इसमें श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘हे अर्जुन यह ज्ञान सबसे पहले मैंने सूर्य को दिया। सूर्य ने मनु को दिया और मनु ने इक्ष्वाकु को दिया।’

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इसी कथन के आधार पर विधानसभाध्यक्ष ने इक्ष्वाकु औेर उनके उत्तरवर्ती अयोध्या के सूर्यवंशीय नरेशों के गौरव की ओर ध्यान आकृष्ट कराया और कहा, अयोध्या के नरेशों की यह श्रृंखला सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अनुभूति कराती है। अयोध्या का निर्वचन करते हुए उन्होंने कहा, अयोध्या केवल नगरी ही नहीं भारतीयता की भावभूमि है। अयोध्या मर्यादा, शील, त्याग-तप, मंत्र-जप और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की श्रद्धेय धरती है। नई संभावना की ओर गमन करती अयोध्या का उल्लेख करते हुए विधानसभाध्यक्ष ने अयोध्या को नई आभा प्रदान कर रहे दीपोत्सव की भी ओर ध्यान आकृष्ट कराया। कहा, अयोध्या और दीपोत्सव के माध्यम से भारत की प्रीति-भारत का ओज-तेज पूरी दुनिया के सामने आलोकित हो रहा है।

अयोध्या और श्रीराम को शिरोधार्य करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने उन लोगों पर कटाक्ष भी किया, जो श्रीराम का अस्तित्व नकारते थे। कहा, आज वे बिल में घुस गए हैं और मौका पाकर तिलक लगाकर वे अयोध्या आ जाते हैं। दायित्व बोध से भरे संवेदनशील चिंतक की तरह वे यह बताना भी नहीं भूले कि अयोध्या का भौतिक परिवर्तन तो दिख रहा हैै, अयोध्या से अनुप्राणित सांस्कृतिक परिवर्तन भी होना चाहिए। इस सुझाव के साथ उन्होंने सुखद आश्वासन भी दिया। यह बताकर कि जो अयोध्या आज आकर ले रही है, वह यश-प्रतिष्ठा का आकाश छुएगी। दुनिया का मार्गदर्शन करेगी।

भविष्‍य की अयोध्‍या की ओर दुनिया देखेगी : उन्‍हाेंने कहा कि अयोध्‍या एक परिधि मेें बांधे जाने वाला भूभाग नहीं सांस्‍कतिक राष्‍ट्रवाद की धरती है। मंच से दीर्घा तक पसरी शांति और श्रोताओं के चेहरे पर कौतुक, विस्‍मय और संतुष्टि के भाव बता रहे थे कि भविष्‍य की अयोध्‍या पर जाे विमर्श हो रहा है, वह फलीभूत होगा। उन्‍होंने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। राम के मर्यादा पुरुषोत्‍तम बनने कथा आने वाली पीढि़यों के लिए प्रेरणादायक बनी रहेंगी। राममंदिर निर्माण से लेकर दीपोत्‍सव तक की भव्‍यता की सराहना करते हुए हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि जो अयोध्‍या राजनीति की भूमि बनकर रह गई थी, आज वह विकास पथ पर तेजी से अग्रसर है।

मोदी-योगी को प्रशंसित किया : विधानसभाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रशंसित भी किया। कहा उन्होंने पूरे संकल्प से भविष्य की अयोध्या गढ़ने का काम शुरू किया है। अयोध्या ने श्रीराम के रूप में अप्रतिम नायक ही नहीं दिया, बल्कि गोस्वामी तुलसीदास के रूप में अप्रतिम गायक भी दिया। उन्होंने गाेस्वाामी जी को संस्कृति का एक ऐसा गायक बताया, जो पांच सौ वर्षों से बेजोड़ है और जिसने आक्रांत जीवन को आश्रय और नया अर्थ प्रदान किया। श्री शुक्ल ने विधानसभाध्यक्ष को संस्कृति का अहम अध्येता बताया ओर उनके चिंतन-सृजन के समुचित आंकलन एवं शोध की जरूरत बताई। कहा, आज भी उन्होंने अयोध्या के बारे में जो जानकारी दी, वह अभिभूत करने वाली है।


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