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हाउस टैक्स में खेल तो कैसे भरे लखनऊ नगर निगम का कोष, गृहकर की फाइल दबाने में जोनल अधिकारी भी आगे

सभी जोनल अधिकारी बताएं उनके यहां कौन अच्छे कर अधीक्षक हैं और कौन खराब। ऐसा ही राजस्व निरीक्षक के बारे में भी पूछा गया। हाउस टैक्स वसूली को लेकर अपर नगर आयुक्त पंकज सिंह ने पहली बैठक में ऐसे सवाल दागकर जोनल अधिकारियों को भी परेशान कर दिया।

By Vikas MishraEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 11:28 AM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 01:30 PM (IST)
हाउस टैक्स में खेल तो कैसे भरे लखनऊ नगर निगम का कोष, गृहकर की फाइल दबाने में जोनल अधिकारी भी आगे
अपर नगर आयुक्त पंकज सिंह ने अपनी पहली बैठक में ही तीखे सवाल किए।

लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। सभी जोनल अधिकारी बताएं उनके यहां कौन अच्छे कर अधीक्षक हैं और कौन खराब। ऐसा ही राजस्व निरीक्षक के बारे में भी पूछा गया। हाउस टैक्स वसूली को लेकर अपर नगर आयुक्त पंकज सिंह ने अपनी पहली बैठक में इस तरीके का सवाल दाग कर जोनल अधिकारियों को भी परेशान कर दिया। हालांकि, खराब श्रेणी में रखे गए राजस्व निरीक्षकों से जवाब तलब कर लिया गया, जबकि अधीक्षक बच गए। उधर, बैठक में अधीक्षक और राजस्व निरीक्षक अपने-अपने जोनल अधिकारियों का मुंह देख रहे थे कि वह किसे अच्छा बताएंगे और किसे बुरा।

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जोनल अधिकारी एक का काम देख रहे संयुक्त नगर आयुक्त अवनींद्र कुमार सिंह ने कर अधीक्षक राकेश कुमार और राजस्व निरीक्षक विशाल श्रीवास्तव को खराब बता दिया। जबकि दूसरे राजस्व निरीक्षक धनवीर सिंह को अच्छा बता दिया। कौन अच्छा कौन खराब? यह सवाल हाउस टैक्स वसूली को लेकर था। अपने जोनल अधिकारी की रिपोर्ट से कई कर अधीक्षक और राजस्व निरीक्षक के चेहरे नाराजगी भरे दिखे। इसी तरीके से जोनल अधिकारी दो अरुण चौधरी ने अपने कर अधीक्षक सदानंद और राजस्व निरीक्षक हरिशंकर पांडेय को खराब श्रेणी में रखा और हाउस टैक्स वसूली में लापरवाह बता दिया। जोनल अधिकारी-तीन अम्बी बिष्ट ने भी कर अधीक्षक आनंद सिंह और राजस्व निरीक्षक उपेंद्र को खराब श्रेणी में रखा तो जोनल अधिकारी चार सुजीत श्रीवास्तव ने निरीक्षक रूपाली गुप्ता के काम से संतुष्ट नहीं दिखे और खराब श्रेणी में रखा। उन्होंने अपने दोनों कर अधीक्षक राजेंद्र पाल और राजू गुप्ता को अच्छा बताया। 

जोनल अधिकारी-पांच सुभाष त्रिपाठी ने राजस्व निरीक्षक अनूप यादव को खराब बताया। हालांकि कर अधीक्षक को लेकर उनका कहना था अकेले ही काम कर रहे हैं इसलिए काम ठीक है। जोनल अधिकारी-छह डा.बिन्नो अब्बास रिजवी ने राजस्व निरीक्षक अमृता सिंह, सुमित यादव और कर अधीक्षक संतोष गुप्ता और उमा शंकर गुप्ता सभी को खराब बताया जोनल अधिकारी-सात प्रज्ञा सिंह ने राजस्व निरीक्षक स्वप्निल सिंह को खराब श्रेणी में और विवेक सिंह को अच्छा बताया। जोनल अधिकारी-आठ जोनल अधिकारी संगीता कुमारी ने कर अधीक्षक केशव प्रसाद को खराब बताया और राजस्व निरीक्षक राजेश पटेल और प्रदीप हैम्पुल को भी खराब श्रेणी में रखा। हालांकि कर अधीक्षक केशव प्रसाद अपनी जोनल अधिकारी की बात से सहमत नहीं थे और अपनी नाराजगी भी जता दी। 

जोनल अधिकारी भी फाइल दबाए रहते हैंः बिना नाम बताएं निरीक्षक और कर अधीक्षकों ने अपनी प्रतिक्रिया दी उनका कहना था कि जोनल अधिकारियों को खुद से ईमानदारी का परिचय देना चाहिए। अगर जोनल अधिकारी ईमानदारी से काम करने लगे तो वसूली और बढ़ जाए लेकिन वह भवन कर से जुड़ी फाइल को दबाए रखते हैं और अनुचित मांग की जाती है। हर फाइल में अनुचित मांग को पूरा करना संभव नहीं होता है। राजस्व निरीक्षक अपनी फाइल को लेकर कर अधीक्षक से लेकर जोनल अधिकारी के चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन फाइल पर मंजूरी तभी मिलती है, जब किसी 'दलाल' को दी जाती है यह दलाल भी नगर निगम का ही कोई स्थायी और स्थायी कर्मचारी होता है जो अपने पद के विपरीत कंप्यूटर पर काम करता है और जोनल अधिकारी की आईडी भी उसके पास नियम विरूद्ध होती है।

कई जोन कार्यालय में यह महत्वपूर्ण काम किसी लिपिक के बजाएं चपरासी अर्दली और संविदा कर्मचारियों को दे दिया गया है। यह फीडिंग तब होती है, जब उसे जोनल अधिकारी और कर अधीक्षक का सुविधा शुल्क मिल जाता है। अगर देखा जाए तो कई सालों के बाद भी करीब दो लाख भवनों से हाउस टैक्स की वसूली न होने के लिए जितना कर अधीक्षक और राजस्व निरीक्षक जिम्मेदार हैं तो उससे कम जोनल अधिकारी भी जिम्मेदार है। भवन कर से जुड़ी आपत्तियों का निस्तारण तक नहीं किया जाता है। 

अधूरी तैयारी से आए थे बैठक मेंः जोनल अधिकारियों से लेकर कर अधीक्षक और राजस्व निरीक्षक तक अधूरी तैयारी के साथ बैठक में आए थे, जिन्हें यह भी पता नहीं था कि उनके जोन और वार्ड में कितने भवन हैं और कुल कितनी डिमांड हैं। अगर आप भी भवन कर निर्धारण को लेकर नगर निगम की कार्यशैली से परेशान हैं तो विस्तृत विवरण और मोबाइल नंबर इस मेल पर भेजें। 


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