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अरे! यह शिवाजी तो पृथ्वीराज चौहान से भी अागे है, आंखों में पट्टी बांधकर लगाते हैं निशाना

शिवाजी ने 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौडऩे वाले घोड़े पर सवार होकर आंखों पर काली पट्टी बांधकर भाले से लक्ष्य पर अचूक निशाना लगाना सीखा।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 10 Apr 2018 01:46 PM (IST)Updated: Wed, 11 Apr 2018 12:17 PM (IST)
अरे! यह शिवाजी तो पृथ्वीराज चौहान से भी अागे है, आंखों में पट्टी बांधकर लगाते हैं निशाना
अरे! यह शिवाजी तो पृथ्वीराज चौहान से भी अागे है, आंखों में पट्टी बांधकर लगाते हैं निशाना

लखनऊ [शोभित मिश्र]। चार बांस, चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुलतान मत चूक चौहान...चंद वरदायी द्वारा पृथ्वीराज चौहान के लिए कही गईं यह पंक्तियां घोड़े पर सवार होकर अचूक निशाना लगाने वाले यूपी पुलिस के उपनिरीक्षक शिवा जी पर सटीक बैठती हैं। पृथ्वीराज चौहान धारावाहिक ने शिवाजी पर गजब की छाप छोड़ी। इसी से प्रेरित होकर शिवाजी ने 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौडऩे वाले घोड़े पर सवार होकर आंखों पर काली पट्टी बांधकर भाले से लक्ष्य पर अचूक निशाना लगाना सीखा।

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शिवाजी को घुड़सवारी विरासत में मिली। जौनपुर स्थित पवारा गांव निवासी शिवाजी के दादा पंडित रामनाथ दुबे घुड़सवारी के शौकीन थे। अच्छी नस्ल के घोड़ों पर सवारी का शिवाजी को बचपन से मौका मिला और बड़े होकर उन्होंने इसको तरक्की का हथियार बना लिया। 2006 में एक घुड़सवारी प्रतियोगिता के दौरान घोड़े से गिरकर उनके जांघ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। डॉक्टरों ने उन्हें घुड़सवारी छोडऩे तक की राय दी थी, लेकिन शिवाजी के हौसलों के आगे यह सब बौना साबित हुआ।

शिवाजी अलग-अलग स्थानों पर आयोजित अखिल भारतीय पुलिस प्रतियोगिताओं में अब तक 72 पदक अपने नाम कर चुके हैं, जिसमें 25 गोल्ड, 22 सिल्वर व 25 ब्रान्ज शामिल हैं। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में शिवाजी ने बताया कि 1998 में पीएसी में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। 2003 में घुड़सवार पुलिस में शामिल हुए। घुड़सवारी प्रतियोगिताओं में उनके बढ़ते रुतबे को देखते हुए उन्हें दो बार आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला और 2010 में वह उपनिरीक्षक बन गए।

घोड़े ने तीन बार रोका, जबरन प्रतियोगिता में शामिल होना पड़ा भारी

अक्टूबर 2006 में एक ऐसी घटना हुई जिसे वे जिंदगी भर भूल नहीं सकते। उन्होंने मौत को बहुत करीब से देखा था। शिवाजी बताते हैं कि इलाहाबाद में अखिल भारतीय पुलिस प्रतियोगिता में घोड़े के साथ ईंट की बनी पांच फीट ऊंची और दो मीटर चौड़ी दीवार कूदनी थी। घोड़ा था प्रताप। इसी घोड़े से शिवाजी ने 2004 में बाधा जंपिंग सीखी थी। प्रतियोगिता में शामिल होने से पहले घोड़ा एक ही जगह खड़ा हो गया और आगे बढ़ ही नहीं रहा था।

चौथे प्रयास में बमुश्किल शिवाजी घोड़े को तैयार कर पाए। वह घोड़े को लेकर पांच फीट ऊंची दीवार जैसे ही कूदे, उसकी पीठ से दूर जा गिरे। शिवाजी की बायीं जांघ की हड्डी फ्रैक्चर हो गई थी। इलाहाबाद के मशहूर डॉक्टर यूबी यादव ने सारे ऑपरेशन छोड़कर उस दिन सिर्फ शिवाजी का ही ऑपरेशन किया और उनकी जान बचाई। सप्ताह भर तक घोड़े ने कुछ भी नहीं खाया, जब उसने शिवाजी को सही होता देखा तब उसने खाना-पीना शुरू किया।

पूरे देश में सिर्फ शिवाजी ही कर पाते हैं यह करतब

दावा किया जा रहा है कि आंखों पर काली पट्टी बांधकर घोड़े पर सवार होकर लक्ष्य पर अचूक निशाना लगाने वाले शिवाजी पूरे भारत में अकेले पुलिसकर्मी हैं। अभी पुलिस सप्ताह के दौरान शिवाजी ने घोड़े परमवीर पर सवार होकर गजब की जांबाजी दिखाई थी। ट्रिक राइडिंग के दौरान भाले से जमीन में दबे लक्ष्य पर अचूक निशाना लगाया था। उनका यह करतब देखकर वरिष्ठ अधिकारियों ने कुर्सियों से खड़े होकर उत्साह बढ़ाया था। एसएसपी दीपक कुमार ने उन्हें 5100 और मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने 2100 रुपये का नकद पुरस्कार दिया था।


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