PWD के इंजीनियर बन गए हाेम्योपैथी डॉक्टर, अधिकारियों और कर्मचारियों का करते हैं मुफ्त इलाज
लखनऊ के लोक निर्माण विभाग में अधिशासी अभियंता के पद पर तैनात डॉ अश्विनी कुमार मिश्रा सिविल इंजीनियरिंग के साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों का इलाज भी निश्शुल्क करते हैं। अपनी मेज पर ही वह दवाएं रखे रहते हैं और काम के साथ सलाह भी देते हैं।
लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। आइए हम आपको एक ऐसे डॉक्टर से मिलाते हैं जो लोक निर्माण विभाग में अधिशासी अभियंता के पद पर जरूर तैनात हैं, लेकिन वह सिविल इंजीनियरिंग के साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों का इलाज भी करते हैं वह भी निश्शुल्क। हम बात कर रहे हैं, अश्विनी कुमार मिश्रा की। विधायक निवास समेत निर्माण से जुड़े काम की जिम्मेदारी के साथ समाजसेवा का समय निकालकर वह असाध्य रोगों का इलाज करते हैं। पिछले तीन दशक से उनका यह काम अनवरत जारी है। काम की व्यस्तता के बावजूद लोगों के इलाज के लिए समय निकालना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। उच्च अधिकारियों को भी उनके इस काम से कोई परेशानी नहीं होती। विभाग के साथ ही अन्य विभागों से भी लोग इलाज के लिए आते हैं। अपनी मेज पर ही वह दवाएं रखे रहते हैं और काम के साथ सलाह भी देते हैं।
खुद पर आजमाया फिर शुरू किया इलाज
उनक कहना है कि एक असाध्य रोग से पीड़ित होने के दौरान मैने एलोपैथी में बहुत इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा तो नहीं हुआ आर्थिक परेशानी जरूर हो गई। एक होम्योपैथी डॉक्टर दोस्त से मिले तो उन्होंने दवा दी तो कुछ दिन में ही आराम हो गया। 60 रुपये दवा हजारों रुपये पर भारी पड़ गई। एक महीने के अंदर वह ठीक हो गए, लेकिन उन्होंने इस विधा की किताबों को पढ़ना शुरू कर दिया। उनके पास होम्योपैथी की किताबों का भंडार है। उनका कहना है कि लक्षण के अनुरूप दवा देेने से एक ही खुराक में आराम मिल जाता है। सबसे सस्ती और बिना नुकसान के यह दवा आपको आराम दे सकती है।
मीठी गोली से बढ़कर विश्वास जरूरी है
मीठी गोली के नाम पर होम्योपैथी का मजाक बनाने से बेहतर है कि हम विश्वास करेें। अश्विनी कुमार मिश्रा कहते हैं कि अपनी तरह का यह इकलौता इलाज है जिसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। नियमित रूप से सेवन करने असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं।
मंत्री से लेकर अधिकारी तक लेते हैं सलाह
होम्योपैथी वाले इंजीनियर के नाम से प्रसिद्ध हो गए अश्विनी कुमार मिश्रा से कई मंत्री, विधायक के साथ ही कई प्रशासनिक अधिकारी भी सलाह के साथ इलाज कराते हैं। वह दवा का नाम
भी बता देते हैं जिसको कोई भी कहीं से भी ले सकता है। उनका कहना है कि मैं किसी को बुलाता नहीं हूं, परेशान लोग आते हैं और मेरी सलाह से ठीक हो जाते हैं तो वहीं खुशी ही मेरी फीस होती है। जब तक जीवन रहेगा तब तक सेवा करता रहूंगा।