हिंदी भारत की मौलिक प्यार, प्रार्थना और संस्कार की भाषा
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि हिन्दी भारत की मौलिक भाषा है। यह प्यार, प्रार्थना एवं संस्कार की भाषा है।
गोरखपुर (जेएनएन)। हिन्दी भारत की मौलिक भाषा है। यह प्यार, प्रार्थना एवं संस्कार की भाषा है। संस्कृत से निकली होने के कारण यह समृद्ध भाषा है। हिन्दी में भाव-जगत के जो शब्द है, वह अंग्रेजी में मिल ही नहीं सकते। इसीलिए भारत के स्वाधीनता संग्राम की भाषा हिन्दी ही बनी। हिन्दी का विस्तार हो रहा है। वैश्विक क्षितिज पर हिन्दी का प्रसार जारी है। दुनिया के अनेक भागों में अब हिन्दी बोली जा रही है। हम हिन्दी भाषी लोगों के मन में हिन्दी के साथ हीनता की जो ग्रन्थि बनी है, उसे तोड़ने की जरूरत है।
गोरखपुर में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ के सहयोग से स्वतन्त्र भारत में हिन्दी की विकास यात्रा विषय पर कार्यशाला के उद्घाटन में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद सभी हिन्दी के हिमायती थे। संविधान सभा में जवाहर लाल नेहरू भी हिन्दी के पक्ष में बोले किन्तु संविधान में हिन्दी को वह स्थान नहीं मिल सका जिसका वह हकदार थी। संविधान में किन्तु-परन्तु के साथ हिन्दी राजभाषाहै किन्तु वास्तविक रूप में भारत की जनता के बीच वह राष्ट्रभाषा के रूप में ही प्रचलितहै। आज केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र इत्यादि सभी दक्षिणी भारत के प्रदेशों में हिन्दी का विस्तार हो रहा है। हिन्दी हर जगह बोली जा रही है। हिन्दी ने अपना वैश्विक विस्तार का दायरा बढ़ाया हैं। हम हिन्दी भाषी हिन्दी के शुद्ध उपयोग के प्रति सचेत हों।