मरीजों के लिए तैयार हैं 30 करोड़ की मशीनें, अब सिर्फ उद्घाटन का इंतजार
मरीजों के इलाज के लिए तैयार पेट सीटी मशीनलीनियर एक्सिलरेटर मशीन। पेट सीटी स्कैन व लीनियर एक्सिलरेटर मशीन लगाई गईं।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में कैंसर रोगियों के लिए हाईटेक मशीनें शीघ्र शुरू होंगी। पेट सीटी स्कैन जहा शरीर में शुरुआती कैंसर को पकड़ने में मददगार होगी, वहीं लीनियर एक्सिलरेटर मशीन से माकूल इलाज हो सकेगा। दोनों मशीनें बंकर में इंस्टाल कर दी गई हैं। मशीनों के उद्घाटन के लिए मुख्यमंत्री से समय मागा गया है। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में करीब दो वर्ष से पेट सीटी स्कैन लगाने की कवायद चल रही थी। करीब 16 करोड़ की इस मशीन के फीचर्स मोस्ट एडवास श्रेणी के हैं। यह शहर में लगी सभी मशीनों में से सबसे हाईटेक है। ऐसे में शरीर के अंदर फैले व पनप रहे कैंसर का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। पेट सीटी स्कैन अभी तक सरकारी संस्थानों में पीजीआइ व सेना के कमाड हॉस्पिटल में है। वहीं लीनियर एक्सिलरेटर मशीन करीब 14 करोड़ रुपये की है।
अभी तक सीटी-एमआरआइ का सहारा :
संस्थान में कैंसर के इलाज की पूरी विंग है। यहा अंकोसर्जरी, मेडिकल अंकोलॉजी और रेडिएशन अंकोलॉजी विभाग संचालित हैं। वहीं कैंसर की जाच के लिए एमआरआइ व सीटी स्कैन ही विकल्प हैं। ऐसे में पेट-सीटी स्कैन मशीन लगने से मरीजों को जाच को भटकना नहीं पड़ेगा। वहीं मशीन के लिए बंकर का निर्माण पूरा हो गया है। कैसे होती है जाच:
सीटी पेट स्कैन सूक्ष्म बीमार कोशिकाओं व ऊतकों तक की पड़ताल करने में सक्षम होती है। इसमें मरीज को ग्लूकोज के साथ रेडियोआइसोटोप का इंजेक्शन दिया जाता है। यह दवा नस के माध्यम से पूरे शरीर में पहुंचती है। शरीर में पहुंचते ही कैंसर सेल्स ग्लूकोज मिली हुई दवा एब्जॉर्व कर लेते हैं। वहीं इन कोशिकाओं से पॉजीट्रान निकलते हैं, जिससे रेडियोएक्टिव आइसोटोप को पकड़ लेता है। वहीं इन कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की पूरी इमेजिंग मशीन से हो जाती है। ऐसे में शरीर में पनप रहा कैंसर भी पकड़ में आ जाता है। पेट सीटी स्कैन को पोजीट्रॉन एमिशन टोमाग्राफी भी कहते हैं।
क्या कहते हैं निदेशक ?
निदेशक दीपक मालवीय का कहना है कि वर्षो से चल रहा था प्रयास, सीएम से मागा गया है समयपेट सीटी स्कैन व तीसरी लीनियर मशीन लगाने के लिए काफी पहले से प्रयास चल रहे थे। वहीं अब मशीन भी लगकर तैयार है। मुख्यमंत्री जी से मशीनों के उद्घाटन के लिए समय मागा गया है। ब्रेन व हेड-नेक कैंसर में थेरेपी होगी आसान:
संस्थान में अभी तक दोनों हाई एनर्जी मशीन थीं। इसमें 6,10 व 15 एमबी एनर्जी रिलीज होती है। जबकि इस मशीन से सिर्फ छह एमबी एनर्जी रिलीज होगी। इससे ब्रेन, हेड-नेक व बच्चेदानी समेत आदि तमाम कैंसर को रेडिएशन देना सुरक्षित होगा। विशेषज्ञों की मानें तो 90 फीसद मामलों में छह एमबी एनर्जी की ही डोज दी जाती है। अभी दो माह की वेटिंग:
संस्थान में छह चिकित्सक एमडी रेडिएशन अंकोलॉजी हैं। वहीं चार मेडिकल फिजिक्स, दो एटॉमिक एनर्जी ट्रेनी हैं। ये एक दिन में करीब 135 से 140 मरीजों को रेडिएशन देते हैं। वही नई मशीन लगाने से रोजाना करीब 70 और मरीजों को रेडिएशन दिया जा सकेगा।
प्रदेश में बनेगा पहला सेंटर:
प्रदेश का पहला ऐसा सरकारी सेंटर होगा जहा अब तीन लीनियर एक्सिलरेटर मशीन होंगी। इसके अलावा एसजीपीजीआइ में दो व केजीएमयू में एक मशीन है।