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मख्दूमपुर में ग्राम समाज की भूमि पर नहीं बनेंगे प्लाट, हाईकोर्ट ने लगाई रोक Lucknow News

लखनऊ में ग्राम समाज की भूमि पर प्लाटिंग बिक्री और स्वरूप बदलने पर हाईकोर्ट की रोक। आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी भी एलडीए अफसरों पर वरना होगी कार्रवाई।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 07:29 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 07:12 AM (IST)
मख्दूमपुर में ग्राम समाज की भूमि पर नहीं बनेंगे प्लाट, हाईकोर्ट ने लगाई रोक Lucknow News
मख्दूमपुर में ग्राम समाज की भूमि पर नहीं बनेंगे प्लाट, हाईकोर्ट ने लगाई रोक Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। एलडीए गोमती नगर विस्तार के मख्दूमपुर गांव में ग्राम समाज की भूमि को विकसित नहीं कर सकेगा। इस संबंध में हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश एक बार फिर से दिया है। एलडीए ने इस संबंध में प्रति उत्तर अब तक दायर नहीं किया है। जिसको लेकर हाईकोर्ट सख्त लहजे में अंतिम 14 दिन का वक्त और दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति इरशाद अली की खंडपीठ ने भूमि प्रबंधन समिति मख्दूमपुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है।

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याचिका के मुताबिक ग्राम पंचायत मख्दूमपुर में निहित भूमि का प्रबंधन और नियंत्रण याचिकाकर्ता के पास है। इस भूमि बंजर, खलिहान के लिए भूमि का मतलब भी शामिल है। शिकायत थी कि इसभूमि को लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अवैध रूप से कब्जे में लिया है। एलडीए ग्राम पंचायत की जमीन को बिना किसी अधिकार के ही बेच रहा है। ग्राम पंचायत की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं। तर्क दिया गया है कि ग्राम सभा के कब्जे को बनाए रखने की आवश्यकता है। विभिन्न आम उद्देश्यों के लिए भूमि के उपयोग से ग्राम सभा को वंचित करते हुए भूमि को बेचा नहीं जा सकता है। 

अदालत ने याचिकाकर्ता के तर्कों को सही मानते हुए कहा कि यथास्थिति बनाए रखी जाए। लखनऊ विकास प्राधिकरण न तो ऐसी किसी भी भूमि पर कब्जा करेगा और न ही तीसरे पक्ष को इस पर कोई अधिकार देगा। ऐसी भूमि जो पहले से ही लखनऊ विकास प्राधिकरण ने बेची है, उस पर भी इसी याचिका के तहत निर्णय किया जाएगा।  भूमि का स्वरूप नहीं बदला जाएगा। एलडीए यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार  होगा। आदेश का उल्लघंन करने पर एलडीए के अधिकारियों के खिलाफ अपराध निरोधक अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी, इसलिए अगले 14 दिन में प्राधिकरण को इस संबंध में अपना पक्ष हाईकोर्ट में रखना पड़ेगा।


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