दुराचार के आरोपित अधिवक्ता को हाईकोर्ट ने दी अंतरिम जमानत, आपत्ति दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय
महिला अधिवक्ता के दुष्कर्म के मामले में पीड़िता को आपत्ति दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने महिला अधिवक्ता को नशीला पदार्थ पिलाकर उसके साथ दुराचार करने के अभियुक्त सरकारी अधिवक्ता को राहत देते हुए आदेश दिया है कि गिरफ्तारी होने पर अभियुक्त को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जाए। कोर्ट ने मामले की पीड़िता को आपत्ति दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय भी दिया है। मामले की अगली सुनवाई पांच अक्टूबर को होगी।
यह आदेश जस्टिस चन्द्रधारी सिंह की बेंच ने अभियुक्त शैलेंद्र सिंह चौहान की अग्रिम जमानत याचिका पर दिया। अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि वह एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता है व हाईकोर्ट में 29 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहा है। वह अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता का कार्यभार सम्भालने के साथ-साथ विभिन्न सरकारी विभागों व निगमों का भी अधिवक्ता रहा है। कहा गया कि पैसे ऐंठने के लिए व विभूति खंड में स्थित उसका चैम्बर हथियाने के लिए उसे झूठा फंसाया गया है। यह भी कहा गया कि मेडिकल परीक्षण में भी दुराचार की पुष्टि नहीं हुई है। पीडि़ता के अनुसार उसे सेब के जूस में नशीला पदार्थ भी पिलाया गया था जबकि मेडिकल जांच में इस तथ्य की भी पुष्टि नहीं हो सकी है। वहीं पीड़िता के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए दलील दी कि याची एक प्रभावशाली व्यक्ति है। वह बाहर रहते हुए विवेचना को प्रभावित कर सकता है। पीड़िता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की जांच सीबीआई से कराने व विवेचना उत्तर प्रदेश से बाहर कराए जाने की मांग की गई है।