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15 साल बाद लविवि में फिर से होगा छात्रसंघ चुनाव, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी हरी झंडी Lucknow News

लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव बहाली का रास्ता साफ। 2012 में जिस याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर चुनावों पर लगायी थी रोक याची ने उसे लिया वापस।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 08:51 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 07:07 AM (IST)
15 साल बाद लविवि में फिर से होगा छात्रसंघ चुनाव, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी हरी झंडी Lucknow News
15 साल बाद लविवि में फिर से होगा छात्रसंघ चुनाव, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी हरी झंडी Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 2012 में दाखिल उस रिट याचिका को वापस लेने के चलते खारिज कर दिया है, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 15 अक्टूबर 2012 को होने वाले छात्रसंघ चुनाव पर अंतरिम रोक लगा दी थी। याचिका वापस लेने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव की बहाली का रास्ता साफ हो गया है। वहीं छात्रसंघ के चुनाव की बहाली की खबर सुनते ही छात्रों में खासा उत्साह देखने को मिला। सुबह से ही छात्रों ने विवि परिसर में जश्न मनाना शुरू कर दिया। वहीं विभिन्न छात्र संगठनों ने भी आपस में मिठाई बांटकर जश्न मनाया। 

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यह आदेश जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी व जस्टिस विकास कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने पारित किया। 2012 में छात्र हेमंत सिंह ने याचिका दायर कर मांग की थी कि उसे चुनाव लडऩे की अनुमति दी जाए। छात्र का कहना था कि विश्वविद्यालय ने आयु सीमा का निर्धारण अकादमिक सत्र प्रारम्भ होने के समय से न करकेनामांकन की तिथि से किया है, जिससे वह उम्र अधिक होने के कारण चुनाव लडऩे के अयोग्य हो जा रहा है।

छात्र ने आयु सीमा का निर्धारण अकादमिक सत्र से करने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि लिंगदोह कमेटी के दिशा निर्देशों के तहत राज्य सरकार ने लखनऊ विश्वविद्यालय को अभी तक श्रेणीबद्ध नहीं किया है। इनके मद्देनजर कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2012 को अंतरिम आदेश पारित करते हुए 15 अक्टूबर 2012 को होने वाले चुनाव पर रोक लगा दी थी। वह रोक चलती रही। अब याचिका वापस लेने के चलते रोक स्वत: समाप्त हो गयी है।

इस बीच कोर्ट ने 2016-17 तथा 2017-18 सत्र में छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग वाली याचिकाएं भी यह कहते हुए वापस कर दीं कि सत्र बीत चुका है और यदि याचीगण चाहें तो नई याचिकाएं दाखिल कर सकते हैं।

प्रतिक्रिया

राज्य विश्वविद्यालय एबीवीपी प्रमुख विवेक सिंह, मोनू ने कहा कि इससे छात्रहितों का रास्ता साफ हो गया है। छात्र अधिकार के साथ अपनी बात रख सकेंगे। साथ ही विवि में लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार व छात्रों के शोषण पर भी अंकुश लगेगा। अब फिर से विवि राजनीति की नर्सरी से गुलजार होगी। लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) के डॉ नीरज जैन ने कहा कि छात्रों को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। यह स्वागत हेतु फैसला है। छात्रसंघ चुनाव का हमेशा पक्षधर रहा हूं। लविवि कुलपति एसके शुक्ला ने कहा कि कोर्ट के निर्णय का सम्मान है। छात्रों से ही विश्वविद्यालय है।


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