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वेंटिलेटर सुविधा बढ़ाने को तीन साल में क्या किया: हाईकोर्ट

लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार पीजीआइ और केजीएमयू से मांगा जवाब। हलफनामा पेश करने का आदेश अगली सुनवाई 26 अप्रैल को। 2016 में दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया आदेश।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 08:50 AM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 08:50 AM (IST)
वेंटिलेटर सुविधा बढ़ाने को तीन साल में क्या किया: हाईकोर्ट
वेंटिलेटर सुविधा बढ़ाने को तीन साल में क्या किया: हाईकोर्ट

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार, पीजीआइ व केजीएमयू से पूछा कि वेंटिलेटर की कमी पूरा करने के बावत अप्रैल 2016 से अब तक क्या कदम उठाये गए हैं। कोर्ट ने आला अधिकारियों से इस बारे में व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी।

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यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल व जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने 2016 में वी द पीपुल नामक एनजीओ की ओर से दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। कोर्ट ने पूर्व में 20 अप्रैल 2016 को याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश के पीजीआइ, केजीएमयू सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटरों की कमी पर गंभीर रुख अख्तियार किया था। 20 अप्रैल 2016 को सुनवाई के समय सामने आया था कि पीजीआइ में 87 वेटिलेटर थे। इस पर कोर्ट ने पीजीआइ से पूछा था कि क्या 87 वेंटिलेटर पर्याप्त थे और यदि नहीं तो क्या उसने सरकार से अधिक वेंटिलेटरों की मांग की थी।

वहीं केजीएमयू की ओर से कहा गया था कि उसके पास 83 वेंटिलेटर थे। बारह वेंटिलेटरों की ओर डिमांड की गई थी। उसे 35 और वेंटिलेटरों की आवश्यकता है। इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को आदेश दिया था कि वेंटिलेटरों की कमी पूरा करने के लिए उचित कदम उठाये जाएं और अगली तारीख पर स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाए। कोर्ट ने प्रमुख सचिव मेडिकल एवं चिकित्सा को यह भी आदेश दिया था कि प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटरों की कमी हो तो इस पर तत्काल संज्ञान लेकर तुरंत कार्यवाही की जाए।

कमी पर जताई है चिंता

सुनवाई के समय शुक्रवार को याची की ओर से कहा गया कि स्थितियों में कोई खास सुधार अभी तक नहीं आया है और आए दिन वेंटिलेटरों की कमी से बच्चों व बड़ों की मौतें हो रहीं हैं। मामले पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने प्रमुख सचिव मेडिकल एवं चिकित्सा सहित अन्य आला अफसरों को आदेश दिया कि वह व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर बतायें कि 20 अप्रैल 2016 के आदेश को कितना अनुपालन किया गया है।


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