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कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से लड़ने में हर्ड इम्युनिटी की ताकत देगी मात...

लखनऊ केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. वेद प्रकाश ने बताया कि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का संक्रमण तेजी पकड़ रहा है। इसके अलावा डेल्टा वैरिएंट पहले से ही आक्रामक बना हुआ है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 03:06 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 03:06 PM (IST)
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से लड़ने में हर्ड इम्युनिटी की ताकत देगी मात...
हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और पहले हुए संक्रमण से बनी हर्ड इम्युनिटी की ताकत इसे देगी मात...फाइल फोटो

लखनऊ, डा. वेद प्रकाश। साल 2019 में दस्तक देने वाला अदृश्य दुश्मन कोरोना वायरस अब बहुरूपिया हो चला है। साल 2022 आते-आते उसने कई स्वरूपों (वैरिएंट) के जरिए दुनियाभर में कहर ढाया है। इसमें सर्वाधिक जानलेवा वैरिएंट ‘डेल्टा’ साबित हुआ और अब ओमिक्रोन भी तेजी से पैर पसारे है। इसके साथ ही भारत में डेल्टा वैरिएंट अभी भी आक्रामक बना हुआ है। ये दोनों आने वाले दिनों में घातक हो सकते हैं।

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लिहाजा, केंद्र सरकार के एक्सपर्ट पैनल ने महामारी की तीसरी लहर को लेकर आगाह कर दिया है, मगर लोगों को घबराने की नहीं, बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है। इस बार चिकित्सकीय संसाधनों के नजरिए से जहां हम पहले से ज्यादा तैयार और मजबूत हुए हैं, वहीं टीकाकरण, पहली व दूसरी लहर में हुए संक्रमण से बनी हर्ड इम्युनिटी और रोग प्रतिरोधक क्षमता से वायरस को आसानी से परास्त कर सकते हैं।

खतरे की घंटी है पांच फीसद से ज्यादा संक्रमण दर: कोरोना की पहली लहर देश में वर्ष 2020 में आई। इसके बाद दूसरी लहर वर्ष 2021 में आई। अब तीसरी लहर शळ्रू हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनळ्सार साप्ताहिक संक्रमण दर यदि पांच फीसद या उससे अधिक होती है तो हालात चिंताजनक हो सकते हैं। भारत में साप्ताहिक संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ ही रही है। इसके अलावा आइआइटी के विशेषज्ञों ने ‘सुपर माडल’ के जरिए तर्क दिया था कि तीसरी लहर में रोजाना एक लाख केस दर्ज होंगे। पिछले दिनों देश में 24 घंटे में एक लाख चालीस हजार मामले दर्ज किए गए। ऐसे में संक्रमित मामलों की दिनोंदिन वृद्धि वायरस के शिखर पर पहुंचने की ओर इशारा कर रही है। वर्तमान में देश में डेल्टा, डेल्टा प्लस, अल्फा, बीटा, गामा और ओमिक्रोन वैरिएंट की पुष्टि हो चुकी है।

ओमिक्रोन को नजरअंंदाज करना होगी बड़ी भूल: ओमिक्रोन वैरिएंट संक्रमण के लिहाज से तीव्र है, लेकिन जानलेवा नहीं है। लोगों के बीच इसकी शुरुआत से बनी यह धारणा कि यह घातक नहीं है, बड़ी भूल बनेगी। लोग यह मानकर निर्भीक हो गए हैं कि यह वैरिएंट अधिक खतरनाक नहीं है और कोविड उपयुक्त व्यवहार को नजरअंदाज करने लगे हैं। यह भूल एकाएक संक्रमण की रफ्तार बढ़ा सकती है। दरअसल, देश में कोमर्बिडिटी से पीड़ितों का ग्रुप ज्यादा है। ऐसे में इन पर वायरस का हमला होने पर मृत्युदर बढ़ सकती है। लिहाजा, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अब नया बयान जारी किया है कि ‘ओमिक्रोन को कम खतरनाक समझना ही सबसे बड़ा खतरा है।’

ये रोगी करें बचाव, घर पर रहें बुजुर्ग: 60 वर्ष से अधिक व मोटापे से पीड़ित लोग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं, कैंसर, किडनी, लिवर, हार्ट, डायबिटीज, सीओपीडी, आइएलडी, अस्थमा, हाइपरटेंशन, निमोनिया और आर्गन ट्रांसप्लांट के मरीजों को वायरस से ज्यादा खतरा है। इसके अलावा पहली व दूसरी लहर में लंबे समय तक आक्सीजन सपोर्ट में रहने वाले, स्टेरायड लेने वाले, लंग फाइब्रोसिस, व ब्लैक फंगस से पीड़ित रहे मरीजों को बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। इस तरह के रोगी चिकित्सक की सलाह के बिना अपनी दवाएं बंद न करें और जरूरी सावधानी बरतें।

लक्षण होने पर क्या करें

  • कोविड के लक्षण होने पर तत्काल आरटीपीसीआर टेस्ट के साथ नए स्ट्रेन की पुष्टि के लिए जीन सिक्वेंसिंग टेस्ट कराएं
  • कोरोना पाजिटिव होने पर कोविड हेल्पलाइन से संपर्क करें और क्वारंटाइन हो जाएं
  • कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करें और चिकित्सक की सलाह पर ही दवाएं लें
  • परेशानी बढ़े तो कोविड अस्पताल से संपर्क करें

पहले से ज्यादा हैं तैयारियां: पिछली दो लहरों में मरीजों के इलाज से चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों को मिला अनुभव अब बहुत काम आएगा। इसलिए डरने के बजाय बचाव पर ध्यान देने की जरूरत है। इस बार देश में अधिक ट्रेंड स्टाफ और संसाधन से वायरस के खिलाफ लड़ाई आसान होगी।

  • आवश्यक दवाओं का पहले से ज्यादा स्टाक व नई दवाओं की उपलब्धता बढ़ी है
  • आक्सीजन और आइसीयू बेड के बढ़ने से गंभीर रोगियों की जान बचाना आसान होगा
  • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक आक्सीजन सपोर्टेड बेड से क्षेत्रीय स्तर पर ही रोगियों को समय पर उपचार मिल सकेगा
  • लैब बढ़ने से आरटीपीसीआर रिपोर्ट समय पर मिल रही है और जीन सिक्वेंसिंग लैब भी बढ़ी हैं
  • वायरस से कैसे बचना है, इस बात को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है
  • वैक्सीन से बड़ी आबादी कवर हुई है और बूस्टर डोज व किशोरों का टीकाकरण लड़ाई में मददगार बनेगा
  • वैक्सीन और एंटीबाडी बनेगी बड़ा फैक्टर
  • देश की बड़ी आबादी कोरोना से पाजिटिव हो चुकी है और इनमें हर्ड इम्युनिटी विकसित हो गई है। ये एंटीबाडी दोबारा संक्रमण से बचाएगी
  • वैक्सीनेशन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ा हथियार है। राज्यों ने 18 वर्ष से ऊपर की अधिकतर आबादी को पहली डोज से कवर कर दिया है। दूसरी डोज लगाने का अभियान तेज है और अब बच्चों को भी वैक्सीन लग रही है
  • हेल्थ वर्कर व 60 वर्ष से अधिक के लोगों को बूस्टर डोज का निर्णय बेहद अहम है। इससे वायरस से सीधे मुकाबला करने वाले कर्मी अपने को और भी सुरक्षित महसूस करेंगे

होमआइसोलेशन में रखें ध्यान

  • कोरोना के माइल्ड केस में मरीज घर पर या कोविड केयर सेंटर पर उपचार करा सकते हैं
  • नई गाइडलाइन के अनुसार रोगी को यदि सांस लेने में तकलीफ नहीं है तो उसे सात दिन ही आइसोलेट रहने की आवश्यकता होगी
  • यह ध्यान रखें कि शरीर में आक्सीजन की मात्रा (आक्सीजन सैचुरेशन) एसपीओ-टू 94 फीसद से अधिक हो। वहीं वयस्कों के लिए सांस की गति 24 प्रति मिनट से कम होनी चाहिए
  • संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए रोगी को हवादार कमरे में रहने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही घर में अधिक लोग हों तो सभी को कोविड प्रोटोकाल का पालन करना होगा
  • सभी सदस्य मास्क लगाएं और शारीरिक दूरी का पालन करें, जो व्यक्ति मरीज की तीमारदारी करे, वह एन-95 मास्क लगाए। ध्यान रहे कि मरीज की तीमारदारी वही करे, जो टीका लगवा चुका हो
  • अगर घर छोटा है और अलग-अलग वाशरूम नहीं हैं तो रोगी को कोविड केयर सेंटर में भर्ती होना चाहिए
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें

संक्रमित कब हो जाएं अलर्ट

  • संक्रमित क्वारंटाइन में पल्स आक्सीमीटर से आक्सीजन की मात्रा चेक करते रहें। शरीर में आक्सीजन की स्थिति दिन में दो बार में चेक करें। एक विश्राम की अवस्था में और दूसरा छह मिनट पैदल चलने के बाद। अगर छह मिनट पैदल चलने के बाद एसपीओ-टू 94 फीसद से कम हो जाए तो सतर्क हो जाएं और चिकित्सक से संपर्क करें
  • सुबह, दोपहर और रात में बुखार की मानीटरिंग करें। यदि बुखार 100 डिग्री या उससे अधिक है तो पैरासीटामोल का प्रयोग चार बार तक कर सकते हैं

ये व्यायाम हैं फायदेमंद

संक्रमणकाल चल रहा है। ऐसे में घर से बाहर जाने के बजाय घर में ही योग और व्यायाम करें। इसमें स्ट्रेचिंग, डायग्राम, एरोबिक, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज आदि फेफड़ों की ताकत को बढ़ाएंगी। इसके साथ ही भरपूर नींद लें और तनाव मुक्त रहें। गर्म पानी पिएं और भाप लेते रहें। इसके अतिरिक्त यह मौसम ठंड का है। इससे बुजुर्ग और बच्चों की सेहत जल्दी प्रभावित होती है, इस बात को न भूलें।

हल्के लक्षण

  • बुखार
  • गले में खराश
  • खांसी
  • नाक बहना
  • बदन दर्द
  • सिर दर्द के साथ थकान
  • पेट में ऐंठन
  • दस्त
  • स्वाद व गंध का न मिलना

ओमिक्रोन व डेल्टा वैरिएंट के लक्षणों में ये हैं अंतर

ओमिक्रोन और डेल्टा दोनों ही कोविड-19 के वैरिएंट हैं। साल 2020 में पहली बार डेल्टा वैरिएंट (बी.1.617.2) की पहचान भारत में हुई थी। वहीं साल 2021 में ओमिक्रोन (बी.1.1.1.529) वैरिएंट की पहचान साउथ अफ्रीका में हुई। अभी तक हुए अध्ययनों में ओमिक्रोन और डेल्टा के कुछ लक्षण एक-दूसरे से अलग पाए गए हैं।

ओमिक्रोन

थकान, जोड़ों में दर्द, सर्दी और सिरदर्द ये ओमिक्रोन के चार प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा अन्य लक्षणों में नाक बहना, छींकें आना, गले में खराश व भूख न लगना जैसे लक्षण भी ओमिक्रोन के हो सकते हैं।

डेल्टा

गंध महसूस न होना, स्वाद न मिलना व दस्त आना इसके सबसे प्रमुख लक्षण हैं। इसके साथ ही गला खराब होना व नाक बहने के साथ सिरदर्द की समस्या हो सकती है।

यह भी है फर्क: अभी तक हुए अध्ययन के मुताबिक ओमिक्रोन में सांस फूलने की समस्या ज्यादा नहीं दिखी। इस वैरिएंट का असर फेफड़े या लोअर रेसेपेटरी सिस्टम के बजाए अपर रेसेपेटरी या गले में अधिक देखा गया है। वहीं डेल्टा लोअर रेसेपेटरी पर कम समय में ही अटैक कर देता है। ऐसे में इन मरीजों में सांस फूलने की दिक्कत ज्यादा होती है। इसके साथ ही मरीज को आईसीयू में आक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ जाता है।

पौष्टिक आहार से बनेगी इम्युनिटी

  • लहसुन को भोजन में शामिल करें। इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटीबायोटिक तत्व होते हैं
  • डाइट चार्ट में मशरूम को शामिल करें। इसके सेवन से शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं का निर्माण होता है
  • गाजर व चुकंदर के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं में इजाफा होता है
  • हरी सब्जियों का सेवन शरीर में विटामिंस व प्रोटीन की पूर्ति करता है
  • पालक, सोया, बथुआ आदि फुल प्लांट वाली सब्जियों का सेवन सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है
  • नाश्ते में मौसमी फलों को स्थान जरूर दें।
  • ग्रीन टी का सेवन करें। यह छोटी आंत के बैड बैक्टीरिया को मारती है।
  • अंजीर का सेवन करें। इसमें फाइबर, मैग्नीज व पोटैशियम पाया जाता है। यह शुगर लेवल को नियंत्रित करता है।
  • अदरक में एंटीआक्सीडेंट व एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं। यह शरीर के विभिन्न अंगों की सूजन को कम करती है।
  • कोल्ड ड्रिंक, फास्ट फूड व जंक फूड के सेवन से बचें।
  •  धूमपान और अल्कोहल के सेवन से बचें।

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