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सरकार और संस्था के बीच तेजाब पीडि़ताएं बेबस

महिला एवं बाल विकास ने शीरोज हैंगआउट की जगह एलडीए को वापस लेने को बोला, संस्था पर गड़बडिय़ों की शिकायत, मगर संस्था का कहना है कि वे गलत नहीं, मगर दोनों के बीच तेजाब पीडि़ताएं अपने को बेसहारा पा रहीं(

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 27 Sep 2018 09:58 PM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 09:58 PM (IST)
सरकार और संस्था के बीच तेजाब पीडि़ताएं बेबस
सरकार और संस्था के बीच तेजाब पीडि़ताएं बेबस

लखनऊ (जेएनएन)। तेजाब की चोट से एक मासूम सी दिखने वाली लड़की का न केवल तन बल्कि मन भी झुलस जाता है। सालों लग जाते हैं, उस त्रासदी से अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने में। बमुश्किल एक अदद रोजगार की व्यवस्था होती है और वह भी जब जाने की नौबत आती है तो टूटा मन बिखर कर रह जाता है।

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सामाजिक परिवर्तन स्थल के सामने शीरोज हैग आउट में काम कर रहीं 12 एसिड सर्ववाइवर की इन दिनों यही व्यथा है। अखिलेश सरकार के समय में शीरोज हैंगआउट की जगह पीडि़ताओं के रोजगार सृजन के लिए छांव फाउंडेशन को दी गई थी। जगह स्मारक संरक्षण समिति के जरिये एलडीए के पास थी। जबकि 11 हजार रुपये सालाना के लीज रेंट पर महिला एवं बाल विकास विभाग को आवंटित किया गया था। पिछले करीब चार महीने से शीरोज हैंगआउट चलाने वाली संस्था पर गड़बडिय़ों के  आरोप लगाए जाते रहे। महिला एवं बाल विकास विभाग ने हाल ही में एलडीए उपाध्यक्ष को एक पत्र लिखा कि ये जगह वापस ले ले। जिसको लेकर छांव फाउंडेशन के निदेशक आशीष बताते हैं हम केवल लड़कियों के लिए रोजगार सृजन कर रहे हैं। जिसको भी गड़बड़ी की आशंका है तो आएं, हम एक-एक कागज दिखा देंगे।

तेजाब पीडि़ताओं के लिए एक सहारा

शीरोज हैंगआउट में 12 एसिड सर्ववाइवर काम करती हैं। जिनमें से कुछ अलीगंज के श्रमजीवी छात्रावास में रहती हैं। उनको 12 हजार रुपये से अधिक मासिक वेतन यहां से प्राप्त होता है। जिससे वे खर्च चलाती हैं। मगर महिला एवं बाल विकास विभाग जिस तरह से शीरोज हैंगआउट को बंद करना चाहता है, उससे लड़कियां आशंकित हैं। उनके सामने दो लड़ाइयां हैं। पहली उन पर हमला करने वाले आरोपी के खिलाफ अदालत की और दूसरी विभिन्न स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों की। दोनों जगह रुपयों की आवश्यकता है। उनको काम आने के बावजूद कोई भी नौकरी देने को राजी नहीं है। लड़कियां बताती हैं कि हमको तो उम्मीद है कि सरकार हमारे लिए और अधिक संवेदनशील होकर सोचेगी। मगर उल्टा हम पर गाज गिरने की आशंका है। उनका बस एक ही सहारा है।

लखनऊ विकास प्राधिकारण के उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह ने बताया कि शीरोज एक अच्छे कारण के लिए चलाया जा रहा है। हमें इसे ध्यान में रखना और फैसला करना है। इससे संबंधित प्रस्ताव स्मारक समिति समिति की अगली बैठक में रखा जाएगा। हम उसमें सभी संभावनाओं का पता लगाएंगे।


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