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Hathras Case: आरोपितों के होते रहे हैं पर पहली बार होगा पुलिस अफसरों और कर्मियों का पॉलीग्राफ व नार्को टेस्ट

Hathras Case उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा जब पुलिस किसी मामले में अपनों का ही पॉलीग्राफ व नार्को टेस्ट कराएगी। हाथरस कांड में सचिव गृह भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में गठित एसआइटी की सिफारिशों के अनुरूप बड़ा कदम उठाया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 01:07 AM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 06:40 AM (IST)
Hathras Case: आरोपितों के होते रहे हैं पर पहली बार होगा पुलिस अफसरों और कर्मियों का पॉलीग्राफ व नार्को टेस्ट
उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा, जब वह अपनों का पॉलीग्राफ व नार्को टेस्ट कराएगी।

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा, जब पुलिस किसी मामले में अपनों का ही पॉलीग्राफ व नार्को टेस्ट कराएगी। यूं तो पुलिस और सीबीआइ किसी संगीन वारदात की जड़ तक पहुंचाने के लिए आरोपितों और संदेह के दायरे में आए लोगों के नार्को टेस्ट कराती रही है, लेकिन किसी आइपीएस अधिकारी अथवा पुलिसकर्मी को इसके दायरे में नहीं लाया गया। हाथरस कांड में सचिव गृह, भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) की पहली रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के अनुरूप बड़ा कदम उठाया गया है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लचर पर्यवेक्षण व लापरवाही के दोषी एसपी हाथरस विक्रांत वीर व तत्कालीन सीओ राम शब्द समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित करने के साथ ही उनके पॉलीग्राफ व नार्को टेस्ट कराने का फैसला किया है। अब इस कदम को लेकर पुलिस अधिकारियों व कर्मियों में भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सभी याद्दाश्त पर जोर डाल रहे हैं कि पहले ऐसा कब हुआ। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कहते हैं कि उनकी जानकारी में प्रदेश में यह पहला मामला होगा, जब पुलिस अधिकारी व पुलिसकर्मियों के इस प्रकार के टेस्ट कराए जाएंगे।

एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि यूं तो सीआरपीसी के तहत नार्को अथवा ऐसे अन्य टेस्ट की रिपोर्ट को बतौर साक्ष्य मान्यता नहीं है। यह पुलिस के लिए किसी मामले की विवेचना में साक्ष्य जुटाने के लिए एक जरिया जरूर हैं। हालांकि कई बार कोर्ट इसे साक्ष्य के तौर पर भी लेती है। बहुचर्चित फर्जी स्टांप पेपर घोटाले में आरोपित अब्दुल करीम तेलगी के विरुद्ध कोर्ट ने नार्को टेस्ट रिपोर्ट को बतौर साक्ष्य लिया था और उसे सजा भी सुनाई गई थी। सूबे में इससे पहले कुंडा कांड में जरूर पुलिसकर्मियों का नार्को टेस्ट कराने की पहल की गई थी। प्रतापगढ़ के कुंडा में सीओ जियाउल हक की हत्या के मामले में सीबीआइ ने जांच की थी।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार तब तत्कालीन एसओ हथिगवां मनोज कुमार शुक्ला समेत दो पुलिसकर्मियों का नार्को टेस्ट कराने के लिए कोर्ट में अर्जी दी गई थी, लेकिन अनुमति नहीं मिल सकी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि हाथरस कांड में पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के पॉलीग्राफ व नार्को टेस्ट से घटना के अब तक कई अनछुए पहलू और तथ्य भी सामने आ सकते हैं।

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