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Hathras Case Hearing: हाथरस के DM को न हटाने पर सरकार ने दी चार दलील, कोर्ट में अगली सुनवाई 16 को

Hathras Case Hearingइलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 नवंबर को अपना पक्ष रखा। सरकार ने हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार के खिलाफ कोई भी एक्शन न लेने पर सरकार ने चार दलील दी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 11:55 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 01:40 PM (IST)
Hathras Case Hearing: हाथरस के DM को न हटाने पर सरकार ने दी चार दलील, कोर्ट में अगली सुनवाई 16 को
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ इस प्रकरण की जांच कर रही सीबीआइ

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस के बूलगढ़ी गांव में दलित युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म के बाद बर्बरता से उसकी युवती की मौत के मामले में सरकार ने हाथरस के जिलाधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने पर अपनी दलील दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ इस प्रकरण की जांच कर रही सीबीआइ की स्टेटस रिपोर्ट का अवलोकन कर रही है। कोर्ट ने इस केस में 25 नवंबर को सुनवाई की, जिसका आदेश कल लोड किया गया। अब इस मामले में अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

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उत्तर प्रदेश के बेहद चर्चित हाथरस कांड की सीबीआइ जांच की स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 नवंबर को अपना पक्ष रखा। सरकार ने हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार के खिलाफ कोई भी एक्शन न लेने पर सरकार ने चार दलील दी है। राज्य सरकार ने मामले में स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस राजन रॉय की खंडपीठ के सामने अपनी दलील रखी। कोर्ट ने 25 नवंबर को सुनवाई के दौरान पूछा था कि हाथरस के जिलाधिकारी के खिलाफ अभी तक कोई भी एक्शन न होने का क्या कारण है। डीएम को अभी तक वहां पर बनाए रखने का क्या औचित्य है।

राज्य सरकार ने कहा है कि डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार को पद से नहीं हटाया जाएगा। कोर्ट में राज्य सरकार के वकील ने पीडि़ता के रात में कराए गए अंतिम संस्कार को सबूतों के साथ सही ठहराने की कोशिश भी की। इसके साथ ही कहा कि इस संबंध में हाथरस के जिलाधिकारी ने कुछ भी गलत नहीं किया है। राज्य सरकार ने कहा कि पहला कारण यह कि इस मामले में राजनीति हो रही है। डीएम के ट्रांसफर को राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया है। इस मामले की जांच संबंधी सबूतों में डीएम की छेड़छाड़ का सवाल उठता ही नहीं है। राज्य सरकार के वकील ने कहा कि अब पीड़िता के परिवार की सिक्योरिटी सीआरपीएफ के हाथ में है। इसमें राज्य सरकार का कोई हस्तझेप नहीं हैं। अब इस मामले की पूरी जांच सीबीआई के हाथ में है और इसमें सरकार का कोई लेना देना नहीं है।

पीड़ित परिवार के सदस्य को नौकरी देने के मामले में मांगा जवाब

कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को पीड़िता के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के सरकार के आश्वासन पर अगली सुनवाई पर निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को अवगत कराने को कहा है। सुनवाई के दौरान पीडि़ता के परिवार की अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का आश्वासन दिया था जो अब तक पूरा नहीं किया गया है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने को कहा है। वहीं परिवार की अधिवक्ता ने बताया कि परिवार ने मुआवजे से कभी इन्कार नहीं किया। अधिवक्ता ने यह बात जिलाधिकारी हाथरस के 23 अक्टूबर को भेजे पत्र के बावत उठाई जिसमें मुआवजा स्वीकार करने के बारे में विचार स्पष्ट करने को कहा गया है। 

हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को एक 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म के दौरान उसके साथ बर्बर ढंग से मारपीट की गई। पीड़िता के परिवार ने गांव के ही चार युवकों पर वारदात को अंजाम देने का आरोप लगाया था। चारों अलीगढ़ जेल में बंद हैं। पीड़िता को इलाज के लिए पहले जिला अस्पताल, फिर अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज और हालत गंभीर होने पर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां 29 सितंबर को पीडि़ता की मौत हो गई थी। पुलिस ने मृतक युवती के पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए सामूहिक दुष्कर्म न होने की दलील दी। योगी आदित्यनाथ सरकार ने केस की जांच के लिए एसआईटी गठित की और फिर बाद में जांच सीबीआइ को दी गई है। सीबीआइ ने आरोपितों का ब्रेन मैपिंग टेस्ट भी करा लिया है। जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है। 


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