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हरिशंकर तिवारी के बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी और पूर्व सांसद कुशल तिवारी बसपा से निष्कासित

बहुजन समाज पार्टी ने चिल्लूपार के विधायक विनय शंकर तिवारी उनके भाई पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी और विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय को निष्कासित कर दिया है। इन तीनों को अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से निकाला गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 12:43 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 08:29 AM (IST)
हरिशंकर तिवारी के बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी और पूर्व सांसद कुशल तिवारी बसपा से निष्कासित
विधायक विनय शंकर तिवारी और पूर्व सांसद कुशल तिवारी बसपा से निष्कासित किए गए।

लखनऊ, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे विनय शंकर तिवारी और कुशल तिवारी को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। साथ ही हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय को भी पार्टी से निकाल दिया गया है। इन तीनों को अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से निकाला गया है। विनय शंकर तिवारी के समाजवादी पार्टी में जाने की अटकलों के बीच यह कार्रवाई की गई है।

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बहुजन समाज पार्टी ने चिल्लूपार के विधायक विनय शंकर तिवारी, उनके भाई पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी और विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय को निष्कासित कर दिया है। बसपा के मुख्य सेक्टर प्रभारी गोरखपुर मंडल सुधीर कुमारी भारती की तरफ से जारी निष्कासन पत्र में तीनों भाइयों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया है। सुधीर भारती ने बताया कि विगत कुछ दिनों से यह लोग पार्टी के किसी कार्यक्रम में न तो रुचि ले रहे थे न ही सम्मिलित हुए। तिवारी परिवार का नया सियासी दांव क्या होगा, इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है। यह परिवार तकरीबन डेढ़ दशक से पूर्वांचल में बहुजन समाज पार्टी का झंडा थाम कर ब्राह्मण-दलित गठजोड़ को मजबूत कर रहा था।

पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी-योगी की प्रचंड लहर के बावजूद गोरखपुर की चिल्लूपार सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी को हराकर बसपा को जीत दिलाई थी। वह जिले के इकलौते गैर भाजपाई विधायक हैं। इसके पहले वह 2012 के विधानसभा चुनाव में बांसी से, 2009 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर और 2008 के उपचुनाव में बलिया से भी हाथ आजमा चुके हैं। विनय शंकर के अलावा निष्कासन सूची में शामिल गणेश शंकर पांडेय बसपा सरकार में ही विधान परिषद के पूर्व सभापति रह चुके हैं।

2007 में बसपा सरकार के दौरान दलित ब्राह्मण गठजोड़ में सतीश मिश्रा के बाद गणेश शंकर पांडेय की भूमिका दूसरे नंबर पर मानी जाती थी। गोरखपुर और महाराजगंज से चार बार विधान परिषद सदस्य रह चुके गणेश शंकर पांडेय 2010 में विधान परिषद के सभापति चुने गए। पिछले दिनों हुए पंचायत चुनाव में उनकी बहू महराजगंज के लक्ष्मीपुर से ब्लाक प्रमुख चुनी गई हैं। विनय शंकर के बड़े भाई भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी बसपा के टिकट पर ही दो बार सांसद रह चुके हैं। एक बार 2007 के उप चुनाव जबकि दूसरी बार 2009 के लोकसभा चुनाव में खलीलाबाद लोकसभा सीट से वह सांसद रहे हैं। हालांकि इसके बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में वह खलीलाबाद से ही बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं मिल सकी। 


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