कानपुर से पकड़ा गया 50 से ज्यादा सीरियल बम धमाके करने का आरोपी आतंकी डॉ. जलीस अंसारी
मुम्बई से फरार आतंकी डॉ. जलीस अंसारी को शुक्रवार को कानपुर से उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह मस्जिद से बाहर आ रहा था।
लखनऊ, जेएनएन। देश में 50 से भी अधिक सीरियल बम ब्लास्ट का आरोपी आतंकी कानपुर से पकड़ा गया है। अजमेर में ब्लास्ट करने के मामले में गिरफ्तार डॉ. जलीस अंसारी को पैरोल मिली थी। इसी दौरान वह मुम्बई से बुधवार को फरार हो गया। उसके फरारी की सूचना से देश में खलबली मच गई। डॉ. अंसारी को शुक्रवार को कानपुर से पकड़ा गया है। डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि लखनऊ में अब उससे पूछताछ की जाएगी।
मुम्बई से फरार आतंकी डॉ. जलीस अंसारी को शुक्रवार को कानपुर से उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वह मस्जिद से बाहर आ रहा था। उसकी योजना देश से भागने की थी। मुंबई से गुरुवार को लापता आतंकी डॉ. जलीस अंसारी कानपुर से गिरफ्तार हो गया है। इसकी जानकारी उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने दी। वह देश से भागने की फिराक में था। डीजीपी ने कहा फिलहाल उससे पूछताछ जारी है। देशभर में कई सिलसिलेवार बम धमाकों के मामलों में दोषी और सजायाफ्ता डॉ. जलीस अंसारी गुरुवार को मुंबई से लापता हो गया था। वह पैरोल पर मुंबई में था। आतंकी जलीस अंसारी पिछले महीने पैरोल पर अजमेर की जेल से बाहर आया था। उस पर 50 से ज्यादा सीरियल बम धमाके करने का भी आरोप है।
डीजीपी ओपी सिंह ने कहा डॉ. जलीस अंसारी सीरियल धमाकों का दोषी है। वह तो पैरोल पर बाहर था, इसके बाद उसके परिवार के लोगों ने मुम्बई में उनके लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। आज कानपुर से उसको गिरफ्तार कर लिया गया है। वह कानपुर की एक मस्जिद से बाहर आ रहा था। उसे लखनऊ लाया गया है। उसकी गिरफ्तार यूपी पुलिस की बड़ी उपलब्धि है।
मुबई में 1993 में हुए ब्लास्ट का मुख्य आरोपी और 50 से अधिक आतंकी घटनाओं में बम बनाने वाले आरोपित डॉ जलीस अंसारी को एसटीएफ ने कानपुर से गिरफ्तार किया । वह 26 दिसंबर 2019 से पैरोल पर था। पुलिस का दावा है कि डॉ जलीस देश से भागने की फिराक में था ।
आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि संत कबीर नगर निवासी डॉ. जलीस अंसारी का नाम 50 से अधिक सीरियल बम विस्फोट में था। उसको 26 दिसम्बर को तीन सप्ताह के लिए पैरोल पर छोड़ा गया था। इसके बाद 17 जनवरी को वापस जेल जाना था। मुम्बई से गायब होने की सूचना पर एसटीएफ सक्रिय हो गई थी। आईजी एसटीएफ के पास उसके कानपुर में होने की सूचना थी। आज कानपुर में एक एक मस्जिद से निकल कर वह रेलवे स्टेशन जा रहा था। इसके बाद एसटीएफ ने बातचीत कर उसे पकड़ा। कानपुर से ट्रेन से उसके गोरखपुर जाने की योजना थी। वहां से नेपाल से रास्ते भारत से भागने की योजना बना चुका था। जलीस बम बनाने का मास्टर है। पेशे से डॉक्टर जलीस आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया था। उसको कानपुर से गिरफ्तार कर लखनऊ लाया गया है।
एसटीएफ की गिरफ्त में आए आतंकी डॉ. मोहम्मद जलीस अंसारी ने कहा कि 21 दिन पहले मैं पैरोल पर बाहर आया था। 17 जनवरी को मुझे वापस जाना था, लेकिन मैं मुंबई से कानपुर आ गया। आज मुझे एसटीएफ से गिरफ्तार कर लिया है। जलीस अंसारी एमबीबीएस डॉक्टर है। वह आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़ा हुआ था और आतंकियों को बम बनाने की ट्रेनिंग देता था, इसी के चलते लोग उसे 'डॉक्टर बम' के नाम से बुलाने लगे। 2008 के मुंबई ब्लास्ट केस में भी एनआईए ने 2011 में अंसारी से पूछताछ की थी। अजमेर ब्लास्ट के मामले में टाडा कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
'डॉक्टर बम' के नाम से मशहूर
देश में कई सिलसिलेवार बम धमाके के मामलों में दोषी करार दिया गया 69 साल का जलीस अंसारी गुरुवार सुबह मुंबई स्थित अपने घर से लापता हो गया। वह 'डॉक्टर बम' के नाम से मशहूर है। उसे 1993 में राजस्थान बम धमाकों के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसे उच्चतम न्यायालय ने 21 दिन की पैरोल दी थी, उसके खत्म होने से एक दिन पहले ही वह लापता हो गया है। अंसारी के परिवार वालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई है। अंसारी पिछले महीने अजमेर की जेल से पैरोल पर बाहर आया हुआ था। जिसकी मियाद शुक्रवार को खत्म हो रही है। उस पर 50 से ज्यादा सीरियल धमाकों को अंजाम देने का आरोप है। वह अजमेर की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। अंसारी के लापता हो जाने से सुरक्षा एजेंसियां सकते में आ गई हैं।
महाराष्ट्र एटीएस, मुंबई क्राइम ब्रांच समेत अन्य एजेंसियां भी अंसारी की खोज में लग गई। उसके परिवार ने पुलिस को बताया कि वह गुरुवार सुबह मुंबई सेंट्रल स्थित अपने मोमिनपुरा घर से निकला और वापस नहीं आया। पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर अंसारी 1994 से जेल में है। उसे सबसे पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने राजधानी एक्सप्रेस में बम लगाने में उसकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था। अंसारी को पांच और छह दिसंबर, 1993 को राजस्थान में छह स्थानों पर ट्रेनों में विस्फोट करने का दोषी पाया गया था। अंसारी के परिवार का कहना है कि वह गुरुवार को नमाज पढऩे के लिए घर से निकला था और फिर वापस नहीं आया।
उसके परिवार से पुलिस से संपर्क किया। उन्हें लगा कि वह पुलिस स्टेशन गया होगा क्योंकि उसे रोज सुबह पुलिस थाने जाना होता था। जब उन्हें वह वहां नहीं मिला तो पुलिस ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की और अंसारी के परिवारवालों के बयान दर्ज किए। एक वरिष्ठ एटीएस अधिकारी ने कहा, 'हम उसे ढूंढ रहे हैं।' पुलिस उस व्यक्ति को ढूंढने की कोशिश कर रही है जो अंसारी की पैरोल के लिए जमानतदार बना था। इसके अलावा क्षेत्र की सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा है। एक दोषी आमतौर पर 15 से 30 दिनों की पैरोल पाने का हकदार होता है।
अंसारी मुंबई के अग्रीपाड़ा इलाके के मोमिनपुरा का रहने वाला है। पैरोल के दौरान उसे रोजाना थाने में हाजिरी लगानी होती थी, लेकिन गुरुवार को अंसारी थाने नहीं पहुंचा था। अंसारी के बेटे ने पुलिस को बताया था कि उसके पिता सुबह नमाज पढ़ने के लिए घर से निकले थे।
बदले में किए थे धमाके
डॉ.जलीस ने 5 दिसंबर 1993 को अपने साथी अलवी, इमरान और हसन के साथ मिलकर बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला लेने की साजिश के तहत हावड़ा और दिल्ली जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों में बम रखे थे। 5 दिसंबर 1993 की सुबह कोटा (राजस्थान) और कानपुर में ट्रेनों में धमाके हुए थे। पुलिस के अनुसार डॉ.जलीस हैदराबाद, मालेगांव (मुंबई) पुणे, अजमेर व अन्य स्थानों पर हुए धमाकों में भी शामिल था।
कानपुर और संत कबीरनगर में रहते हैं दोस्त
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार कानपुर में जलीस के दो दोस्त रहते थे। इनसे वह मुंबई में मिला था। एक दोस्त रहमान की मौत हो चुकी है, जबकि दूसरे दोस्त कय्यूम का पता नहीं चला। बताया गया कि वह कहीं बाहर रहता है। इसके बाद जलीस संत कबीरनगर में अपने एक दूसरे दोस्त के यहां जाने वाला था। उसे तीनों से आर्थिक मदद की आस थी लेकिन मुलाकात ही नहीं हुई। बताते हैं, जेल से 26 साल बाद घर आए जलीस को किसी ने तवज्जो नहीं दी तो फरार होने की फिराक में लग गया।