मदद के लिए बढ़े हांथ तो...मां को बेटा और बेटे को मिली गोद, तस्वीरों के जरिये देखिए पूरी कहानी...
मानव सेवा की प्रेरणा को इन तस्वीरों से समझें और जरूरतमंदों की मदद करें।
लखनऊ [हृदेश चंदेल ]। विश्व फोटोग्राफी दिवस का मौका था, लिहाजा बतौर फोटो जर्नलिस्ट सिर्फ और सिर्फ बेहतर फोटो की धुन में दफ्तर से निकलना हुआ और फिर राजधानी की सड़कों पर सब्जेक्ट की तलाश शुरू हो गई। क्या पता था कि सोमवार का दिन अनमोल हो जाएगा। मानव सेवा का ऐसा मौका मिलेगा जो न सिर्फ सुकून देगा बल्कि बेहतर फोटोग्राफर बनने के बजाय एक बेहतर इंसान होने की सीख भी दे जाएगा। हुआ भी ऐसा ही। शहीद स्मारक के पास कार्टून की पेंटिंग वाली एक बस दिखी।...
उसकी तस्वीरें खींचकर बस की दूसरी तरफ के भी पोज लेने का मन कर गया। उधर पहुंचा तो मुंह से आह निकल पड़ी। एक वृद्धा अर्धनग्न हालत में बेसुध पड़ी थीं।...
करीब जाने पर दिखा कि शरीर पर कई जगहों पर घाव थे। हाथ की चोट पर गौर किया तो कीडे बजबजा रहे थे। दोस्तों को फोन किया, हालात बताया और मदद मांगी। अशुतोष त्रिपाठी दवा लाए, अतुल हूंडू ने घाव साफ करने शुरू किए।
इसी बीच उस अभागी मां से गांव का पता पूछा, अपने जागरण नेटवर्क का लाभ उठाते हुए प्रधान से बात हुई तो उन्होंने परिवार वालों से बात कराई। पता चला कि बेटा-बहू यहीं लखनऊ में सब्जी बेचते हैं, वृद्धा को लेकर हम सभी अस्पताल पहुंचे। इलाज शुरू हुआ और फिर कुछ ही देर में बेटा आ गया।
विश्व फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर मानव सेवा की प्रेरणा को इन तस्वीरों से समझें और जरूरतमंदों की मदद करें।