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कानपुर में हुई झमाझम बारिश 75 साल का रिकार्ड तोड़ा

मई के महीने में एक ही दिन कुछ घंटों के अन्दर 31 मिमी बारिश ने पिछले 76 वर्ष का रिकार्ड तोड़ दिया। इससे एक तो लोगों को गर्मी से राहत मिली और दूसरे किसानों के सिंचाई के पैसे बच गए। फलों की फसलों खासतौर से आम को तेज आंधी से

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 24 May 2016 03:18 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2016 03:25 PM (IST)
कानपुर में हुई झमाझम बारिश 75 साल का रिकार्ड तोड़ा

लखनऊ। मई के महीने में एक ही दिन कुछ घंटों के अन्दर 31 मिमी बारिश ने पिछले 76 वर्ष का रिकार्ड तोड़ दिया। इससे एक तो लोगों को गर्मी से राहत मिली और दूसरे किसानों के सिंचाई के पैसे बच गए। फलों की फसलों खासतौर से आम को तेज आंधी से जरूर नुकसान पहुंचा।

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कल रात 10 बजे से शुरू हुआ आंधी पानी का दौर सुबह तीन बजे चलता रहा। हालांकि इसके बाद भी रुक-रुक कर हल्की बूंदाबांदी होती रही। घने बादलों के बीच से हल्की धूप जरूर दिन में छन कर आसमान से जमीन तक आती रही। खुले में भले ही लोगों को इससे राहत मिली हो लेकिन घरों और दफ्तरों के अन्दर उमस भरा माहौल रहा।

किसानों को हुआ फायदा मौजूदा वक्त में मूंग, उड़द और मक्का की फसलों को एक सिंचाई की सख्त जरूरत थी। तेज बारिश ने किसानों को खुश कर दिया। अब इन्हें सिंचाई की जरूरत नहीं रही। जो गेहूं आदि काट चुके हैं वहां गहरी जुताई की जरूरत पड़ती है। अब जमीन मुलायम पड़ गई है। गहरी खुदाई करने में कोई मुश्किल नहीं आएगी। ऐसे में डीजल आदि का खर्च भी कम हो जाता है।

जिन क्षेत्रों में आंधी की गति 60 से 70 या 80 किमी रही है वहां आम की फसलों को 20-25 फीसदी या अधिक नुकसान हुआ है। जहां 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से आंधी आई है और वहां आम के बाग हैं तो यहां 30 फीसदी तक नुकसान हुआ है। इससे भले ही पके आम न मिल पाएं लेकिन गलका आदि के लिए पर्याप्त आम मिल जाएगा। अब कीमतों में कोई खास फर्क नहीं पड़ता। ऐसे में आर्थिक दृष्टि से कुल नुकसान अधिक नहीं होता।

न्यूनतम तापमान भी गिरा

झमाझम बरसात ने न्यूनतम तापमान गिरा दिया। सोमवार को न्यूनतम तापमान 29 था लेकिन मंगलवार को यह तापमान गिर कर केवल 19.2 डिग्री रह गया। भले ही 9.8 डिग्री तापमान रात में गिर गया हो लेकिन इससे खुले में तो मौसम सुहावना रहा लेकिन बन्द कमरों में उमस पैदा कर दी।

शहर में कैसे आया तूफान

मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनिरुद्ध दुबे का कहना है कि अधिकतम और न्यूनतम तापमान में अधिक उतार-चढ़ाव के कारण कम दाब के क्षेत्र बन जाते हैं। जहां वैक्यूम बन जाता है वहां हवाएं तेजी से इसे भरने के लिए आती हैं। मिर्जापुर, सोनभद्र आदि के क्षेत्र में दबाव का जो क्षेत्र बना उसी से हवाएं पश्चिम से पूरब की ओर तेजी से भागीं। इसका पूर्वानुमान भी था लेकिन आसमान पर हल्की बदली छाए रहने की बात थी। गरज-चमक के साथ आंधी पानी के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश भी था लेकिन इसके दूसरे क्षेत्र थे। पर अचानक दबाव के क्षेत्र बदल गए और उसने कानपुर व आसपास को घेर लिया।


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