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जालसाजों ने बिछाया फर्जी वेबसाइट का जाल, लिंक डाउनलोड करते समय बरतें ये सतर्कता

झांसे में लेने के लिए वास्तविक वेबसाइट की तरह बना रहे हैं पेज। ऐंठ रहे सैकड़ों लोगों से मोटी रकम।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 01:52 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 01:52 PM (IST)
जालसाजों ने बिछाया फर्जी वेबसाइट का जाल, लिंक डाउनलोड करते समय बरतें ये सतर्कता
जालसाजों ने बिछाया फर्जी वेबसाइट का जाल, लिंक डाउनलोड करते समय बरतें ये सतर्कता

लखनऊ, ज्ञान बिहारी मिश्र। राजधानी में ऑनलाइन ठगों का गिरोह सक्रिय है। फर्जी वेबसाइटों का जाल बिछाकर ठग लोगों को झांसे में लेकर उनकी जेब खाली कर रहे हैं। हाल में ही कॉल सेंटर के जरिए करोड़ों की ठगी में भी सिटी बैंक के नाम से मिलती-जुलती स्पेलिंग का इस्तेमाल कर जालसाजों ने वेबसाइट बनाई और सैकड़ों लोगों से मोटी रकम ऐंठ ली।

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ठगी से बचने के उपाए

ऑनलाइन सर्चिग के दौरान ठग कई तरह के हथकंडों का इस्तेमाल करते हैं। आइए जानते हैं कि आप खुद को किस तरह ठगी से बचा सकते हैं।

हरे लॉक साइन वाली वेबसाइट का करें इस्तेमाल

ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान ऐसे वेबसाइट का ही प्रयोग करें, जो एसएसएल सर्टिफाइड हों। इसका पता ब्राउजर में यूआरएल वाली बार में हरे रंग के ताले वाले चिन्ह से पता चलता है। ठगी से बचाव के लिए एचटीटीपीएस प्रोटोकॉल वेबसाइट का ही प्रयोग करें। आप एंटी-वायरस साफ्टवेयर से भी अपने कंप्यूटर या लैपटॉप को सुरक्षित रख सकते हैं। साइबर जानकारों का कहना है कि अगर आपके मोबाइल में आइडेंटिटी थेप्ट डिटेक्शन एप्स इंस्टाल है और ऐसे में कोई डाटा खो जाता है तो वह रिकवर हो सकता है।

कुछ प्रमुख मामले:

केस- 1

फर्जी कॉल सेंटर चलाने के आरोप में साइबर सेल ने साले-बहनोई समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोपित सेक्टर-4 इंदिरानगर में कॉल सेंटर के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रहे थे। वे वेबसाइट के जरिए लोगों को हॉली डे पैकेज देने का झांसा देते थे।

केस- 2 

कुंभ मेले में फर्जी वेबसाइट के जरिए टेंडर निकालकर करोड़ों की ठगी का मामला भी सामने आया था। इसमें पुलिस ने चार आरोपितों को गिरफ्तार भी किया था। जालसाजों ने सोशल मीडिया के जरिए ठगी की साजिश रची थी।

केस- 3

राजधानी में वेबसाइट के जरिए छात्रों को झांसे में लेकर उनसे जिगोलो बनाने के लिए प्रेरित करने का मामला सामने आया है। इस मामले की जांच भी साइबर सेल कर रही है।

लिंक डाउनलोड करते समय बरतें सतर्कता

साइबर सेल के नोडल अधिकारी व सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्र के मुताबिक, ठग की-स्ट्रोक लॉजिंग तकनीक के जरिए की-लॉगर साफ्टवेयर का लिंक भेजते हैं। इसे डाउनलोड करते ही की-स्ट्रोक के जरिए जालसाज नेट बैंकिंग का पासवर्ड चोरी कर लेते हैं। पब्लिक वाई-फाई का प्रयोग करते समय स्मार्ट फोन से लेनदेन के दौरान भी डाटा चोरी करने वाले गिरोह भी सक्रिय हैं। यही नहीं मालवेयर एक साफ्टवेयर है, जिससे ठग कंप्यूटर को नुकसान पहुंचा कर बैंक व एटीएम के सर्वर हैक कर डाटा चोरी करते हैं।


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