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प्रकाशोत्‍सव पर बोले ड‍िप्‍टी सीएम, अफगानिस्तान से आए सिख समाज को CAA से मिलेगी राहत

आस्था समर्पण और त्याग का प्रकाशोत्सव। गुरु गोविंद सिंह के प्रकाशोत्सव पर डीएवी कॉलेज मैदान में उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा हुए शामिल।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 08:26 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 09:48 AM (IST)
प्रकाशोत्‍सव पर बोले ड‍िप्‍टी सीएम, अफगानिस्तान से आए सिख समाज को CAA से मिलेगी राहत
प्रकाशोत्‍सव पर बोले ड‍िप्‍टी सीएम, अफगानिस्तान से आए सिख समाज को CAA से मिलेगी राहत

लखनऊ, जेएनएन। फूलों से सजा दरबार हाल, गुरु ग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेकतीं संगतें, शबद सुनाते रागी जत्थे, गुरु की जीवनी पर प्रकाश डालते ज्ञानी और लंगर सेवा करते सेवादार। कुछ ऐसा ही माहौल गुरुवार को शहर-ए-लखनऊ में नजर आया। मौका था, सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह के प्रकाशोत्सव का।

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लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से डीएवी कॉलेज मैदान में सजे दरबार में रागी भाई राजिंदर सिंह ने आसादीवार के साथ प्रकाशोत्सव की शुरुआत की। गुरुद्वारा अमृतसर के आए रागी भाई गुरजिंदर सिंह ने तही प्रकाश हमारा भयो, पटना शहिर बिखै भव लयो... शबद सुनाकर गुरु की जीवनी पर प्रकाश डाला। रागी भाई गुरमीत सिंह सिंगापुर वाले ने देह सिवा बर मोहि इहै, शुभ करमन ते कबहूं न टारों... सुनाकर संगतों को निहाल किया। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की प्रचारक बीबी हरप्रीत कौर ने गुरु की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। गुरुमति संगत एकेडमी, माता गुजरी सत्संग सभा के साथ ही गुरु चरन सिंह लुधियाना वालों ने शबद पेश किया।

सीएए से सिख समाज को राहत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर नागरिक संशोधन बिल (सीएए) पास हुआ है। अफगानिस्तान से आए सिख समाज को इससे राहत मिलेगी। नागरिकता का इंतजार खत्म होगा। कुछ लोग इस पर राजनीति कर समाज को गुमराह कर रहे हैं। डीएवी कॉलेज मैदान में आयोजित प्रकाशोत्सव में शामिल हुए उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहाकि सिख समाज से जीवन की सीख मिलती है। सेवा, समर्पण और त्याग कही मिलता है तो वह सिख समाज में ही मिलता है। सिख समाज के बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा। प्रकाशोत्सव में शामिल हुए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बलदेव सिंह ओलख, विधायक सुरेश तिवारी, परमिंदर सिंह सहित कई गणमान्य लोगों को लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा की ओर से शिरोपा देकर सम्मानित किया गया।

दिखी लंगर सेवा की उत्सुकता

मैदान में 20 हजार से अधिक लोगों के लिए परसादा (रोटी) बनाने का कार्य बुधवार से ही शुरू हो गया था। लंगर प्रभारी हरमिंदर सिंह नीटा ने बताया कि दोपहर बाद से ही अटूट लंगर शुरू हुआ और देर शाम तक चलता रहा। एलडीए की हरमिंदर कौर, एसजीपीजीआइ की नरेंद्र कौर, सुनीत जीत कौर, गुरमीत कौर, परमजीत कौर व जसबीर सहित कई सेवादार परसादा बनाने में निस्वार्थ भाव से लगे थे। राजेंद्र सिंह दुआ, हरविंदर पाल सिंह 'नीटा' राजवंत सिंह, हरमिंदर सिंह टीटू, मनमीत सिंह व कुलदीप सिंह सलूजा समेत कई सेवादार लंगर की व्यवस्था मेें लगे नजर आए।

गुरु नानकदेव का सच्चा सौदा है लंगर

लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा नेे बताया क‍ि सिख समाज के पहले गुरु नानक देव ने ही लंगर की परंपरा की शुरुआत की थी। उनके पिता जी कल्यानचंद उर्फ मेहता कालू जी ने उन्हें 20 रुपये व्यापार के लिए दिए थे, लेकिन उन्होंने उस 20 रुपये में लोगों को भोजन करा दिया था। पिता जी ने सच्चा सौदा करने की बात कही थी और नानक देव ने भूखे को भोजन कराने की परंपरा का निर्वहन कर सबसे बड़ा सौदा कर दिया। इसके बाद से गुरुद्वारों में शुरू हुई परंपरा चलती रही। यह भी कहा जाता है कि अकबर बादशाह ने तीसरे गुरु अमरदास से लंगर का इंतजाम करने की बात कही तो गुरु ने यह कहते हुए मना कर दिया कि इसमे आपका घमंड होता है। श्रद्धा तो संगतों के पैसे से आएगी। इसके चलते लंगर सेवा के लिए मिलकर इंतजाम करते हैं।

इंद‍िरानगर गुरुद्वारा से निकली प्रभात फेरी

गुरुद्वारा इंदिरानगर में प्रकाशोत्सव पर सुबह प्रभात फेरी निकाली गई। प्रभात फेरी के समापन के उपरांत विशेष दरबार सजाया गया। मीडिया प्रभारी जसवंत ंिसंह ने बताया कि गुरुवाणी के साथ ज्ञानी ने गुरु की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। लंगर के साथ प्रकाशोत्सव का समापन हुआ।  

पांच क्विंटल फूलों की हुई बारिश

सिख समाज के 10वें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह गुरुद्वारा यहियागंज ठहरे थे। गुरुद्वारे के अध्यक्ष डॉ.गुरमीत सिंह ने बताया कि बिहार के पटना साहिब में 22 दिसंबर 1666 में गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था। छह वर्ष की आयु में अपनी माता गुजरी और मामा कृपाल जी महाराज के साथ आनंदपुर साहिब से पटना साहिब जाते समय दो महीने 13 दिन के लिए गुरुद्वारा यहियागंज में ठहरे थे। इसके साथ ही गुरु तेग बहादुर जी महाराज 1672 यहां आए थे और तीन दिन तक रुके थे। गुरु गोविंद सिंह द्वारा हस्त लिखित गुरु ग्रंथ साहिब भी गुरुद्वारे में मौजूद है। हुक्म नामे भी गुरुद्वारे की शोभा बढ़ा रहे हैं। गुरुद्वारे के सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि रात्रि एक बजे पांच क्विंटल फूलों से वर्षा हुई। सुबह हेडग्रंथी परमजीत सिंह ने विशेष प्रकाश किया तो ज्ञानी भाई गगनदीप सिंह ने गुरु की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। रागी भाई कुलदीप सिंह ने शबद सुनाकर सभी को निहाल किया। गुरुद्वारे के चेयरमैन हरजोत सिंह के संयोजन में लंगर लगाया गया।

संगतों का हुआ सम्मान

गुरुद्वारा मानसरोवर कानपुर रोड पर फूलों से सजे दरबार हाल में रागी भाइयों ने शबद सुनाकर संगतों को निहाल किया। गुरुद्वारे के अध्यक्ष संपूर्ण सिंह बग्गा की ओर से संगतों का सम्मान किया गया। उन्होंने कहाकि गुरु गोविंद सिंह के सामने उनके चार पुत्रों का बलिदान हो गया, लेकिन वह नहीं झुके। उनके जीवन से समाज को आगे बढऩे की प्रेरणा मिलती है। गुरुद्वारा आशियाना के चेयरमैन जेएस चड्ढा ने बताया कि गुरुद्वारे में विशेष प्रकाश किया गया। गुरुद्वारा आलमबाग, गुरुद्वारा इंदिरानगर, चंदरनगर, सिंगारनगर, लाजपतनगर और बाबा बुड््ढा साहिब समेत सभी गुरुद्वारों में विशेष प्रकाश किया गया।


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