लखनऊ में छोटे रोड शो में भाजपा का बड़ा उत्साह
ग्रैंड रोड शो के लिए लखनऊ में रास्ता काफी छोटा था, कार्यकर्ताओं का हुजूम भी बहुत दूर तक नहीं था, लेकिन उत्साह खूब था। जनरल वीके सिंह व डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय पैदल ही चल पड़े।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। भारतीय जनता पार्टी की परिवर्तन यात्रा के समापन पर ग्रैंड रोड शो के लिए लखनऊ में रास्ता काफी छोटा था, कार्यकर्ताओं का हुजूम भी बहुत दूर तक नहीं था, लेकिन उत्साह खूब था।
वह भी इतना कि जनरल वीके सिंह व डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय सरीखे केंद्रीय मंत्री और बड़े नेता पैदल ही रोड शो के लिए चल पड़े। हालांकि फिर जब उन्होंने देखा कि दो-चार लोग ही साथ हैं तो वे भी गाडिय़ों पर सवार हो गए। गाडिय़ां चलती रहीं, तोपों से बरसतीं गेंदे और गुलाब के फूलों की पंखुडिय़ां खुशबू बिखेरते रहीं, भाजपा के झंडे लहराते रहे और नेताओं के साथ आए उत्साही युवा भी 'जय श्रीराम' से लेकर 'भाग ...., मोदी आया' तक नारे लगाते रहे।
चार दिशाओं से आने वाली परिवर्तन यात्राओं को राणा प्रताप मार्ग पर दोपहर करीब एक बजे मिलना था, लेकिन मंच सुबह से तैयार होने लगा था और महिला कार्यकर्ता भी दोपहर 12 बजे तक बीच सड़क पर कुर्सी डाल कर बैठ गई थीं। इसी के बाद भाजपा का झंडा लगे एसयूवी वाहन एक-एक कर आने लगे। कलफदार कड़क कुर्ते में नेता और हर एक के साथ चंद समर्थकों की भीड़ धीरे-धीरे बढऩे लगी। दोपहर करीब दो बजे अचानक भगदड़ सी मच गई। गाडिय़ों से निकाल कर बांटे जा रहे झंडे और टी शर्ट पाने की होड़ मच गई। कुछ ने पाते ही तुरंत पहन ली तो कुछ ने कुर्ते के नीचे दबा लिया, लेकिन इंतजाम ज्यादा और लोग कम थे, इसलिए ज्यादा धक्का-मुक्की नहीं हुई।
दोपहर तीन बजे तक गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र व उमा भारती, प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य व अन्य नेता मोती महल लॉन तिराहे पर सजे मंच पर पहुंच गए। संबोधन के बाद साढ़े तीन बजे रोड शो शुरू हुआ तो वाहन ज्यादा और लोग कम नजर आए। मंच से अपील की गई कि कार्यकर्ता पैदल ही चलेंगे। कार्यकर्ताओं में उत्साह जगाने के लिए बड़े नेता भी कुछ दूर पैदल चले। सबसे आगे रथ में राजनाथ के साथ कलराज, उमा भारती और भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुरेश खन्ना थे। दूसरे रथ पर केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति, संजीव बालियान तथा डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय थे। तीसरे रथ पर रीता बहुगुणा थीं और सबसे पीछे चौथे रथ पर स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी सवार थे। एक घंटे में एक किलोमीटर दूरी तय कर रोड शो शाम साढ़े चार बजे हजरतगंज चौराहे पहुंचा।
वकील, व्यापारी, छात्राएं भी स्वागत में
रोड शो की दूरी कम थी, लेकिन इंतजाम बहुत थे। स्वागत करने वाले भी हर दस कदम पर थे। रथों पर नेता ऊंचाई पर थे, उन तक फूल पहुंचाने के लिए भी कहीं ऊंचे मंच बने थे तो कहीं गाडिय़ों की छतों को ही मंच बना लिया गया। ङ्क्षहदी संस्थान मोड़ पर बने स्वागत मंच पर ड्रेस में मौजूद वकील फूल बरसा रहे थे तो यहीं से कुछ आगे एप्रेन पहने एक कतार में खड़ीं मेडिकल छात्राएं उस भाजपा नेता के नाम की तख्तियां लिए थीं, जिसका मेडिकल कॉलेज है। हलवासिया में स्वागत के लिए फूलों के साथ गुब्बारे भी थे। साहू सिनेमा और हनुमान मंदिर के पास व्यापारियों ने फूलों की तोप सेट कर रखी थी तो ऐन हजरतगंज चौराहे पर सर्व वैश्य समाज ने स्वागत का इंतजाम कर रखा था। हजरतगंज चौराहे से भाजपा कार्यालय की ओर मुड़ते ही पारंपरिक परिधान में सजीं पर्वतीय महिलाएं भी अपने मंच पर थीं। हजरतगंज चौराहे पर अंबेडकर, पटेल व गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद राजनाथ सिंह सड़क पर उतरे तो पर्वतीय महिलाओं ने भी मंच से उतर कर उन्हें घेर लिया।
अकेले घूमते रहे नेता
छोटे से चौराहे पर सजा मंच, मंच के सामने कुर्सियां भी नहीं और चारों तरफ सड़कों पर छितरे-मंडराते कार्यकर्ता। ऐसे में भाजपा के नेता भी अपने समर्थकों के साथ इधर-उधर बिखरे नजर आए। उमा भारती कुछ पहले आ गई थीं। माहौल देख उन्होंने ला मार्ट गल्र्स कॉलेज की तरफ अपनी एसयूवी लगवाई और उसी में बैठी रहीं। जब राजनाथ आ गए, तब वह मंच पर पहुंचीं। गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद जब राजनाथ और कलराज वापस मेन रोड पर आए तो उमा अपने समर्थकों के साथ पार्क की एक पगडंडी पकड़ कर किनारे से बाहर निकल गईं। रीता बहुगुणा जोशी, बृजेश पाठक और स्वामी प्रसाद मौर्य भी अलग-थलग नजर आए। जनरल वीके सिंह चार-पांच लोगों के साथ कुछ दूर पैदल दिखे, फिर किसी रथ पर नजर नहीं आए।
फूलों से भी बचते रहे
रोड शो के जोरदार स्वागत के लिए रास्ते में कई जगह फूलों की दमदार तोप लगाई गई थी। इन तोपों और मुट्ठी में भरी पंखुडिय़ों को पूरी ताकत से फेंकते समर्थकों ने राजनाथ सिंह, अन्य नेताओं और सुरक्षा में लगे कमांडो के लिए आफत कर दी। कभी थपेड़े की तरह कोई भारी माला चेहरे से आ टकराती तो कभी फूलों की पंखुडिय़ां आंखों और मुंह में चली जातीं। यह बौछार ऊपर-नीचे, दायें-बाएं सब ओर से हो रही थी। जो तोपें ठीक एंगल पर थीं, उन्होंने तो कई सेंकेंड तक लगातार चेहरों पर मार बनाए रखी। हालत यह हुई कि नेता जहां मुस्कुराते हुए फूलों से बचने की कोशिश करते रहे, वहीं कमांडो पूरे रास्ते लोगों को फूल फेंकने से और मेट्रो की वजह से हजरतगंज के संकरे रास्ते पर रथ के पास आ रहे लोगों को टोकते रहे।