हिंदी में वो ताकत है, जो सभी को एक सूत्र में पिरो सकती है: राम नाईक
राज्यपाल राम नाईक ने हिंदी दिवस के अवसर पर भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे। उन्होंने कहा, विष विज्ञान संस्थान की अनूठी पहल है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता । अंग्रेजी के बिना विज्ञान को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता इस मिथक को तोडऩा होगा। रूस व जापान जैसे देशों से सीख लेकर हमें भी हिंदी को विज्ञान की भाषा बनाना होगा। यह विचार राज्यपाल राम नाईक ने व्यक्त किए। वह शुक्रवार को भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान में हिंदी सप्ताह के उद़घाटन समारोह में उपस्थित वैज्ञानिकों व शोध छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने संस्थान द्वारा फोकस कार्यक्रम के तहत खाद्य एवं उपभोक्ता समाधान की वेबसाइट भी लांच की। वहीं हिंदी में निकाली जा रही विष विज्ञान संदेश पत्रिका, विष विज्ञान के नए आयाम पुस्तक, ओ-नीर विवरणिका और फोकस का विमोचन भी किया।
राज्यपाल ने कहा कि हिंदी में वह ताकत है, जो हमारी बात को जन-जन तक पहुंचा सकती है लेकिन हमें कठिन हिंदी से बचना चाहिए। हिंदी की शुद्धता को ध्यान में रखें लेकिन सरल शब्दों का प्रयोग करें। कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक डॉ. आलोक धावन ने कहा कि विष विज्ञान संदेश के माध्यम से सरल ढंग से विज्ञान के महत्व को समझाते हैं। इस पत्रिका को तीन बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी पत्रिका का पुरस्कार भी मिला है। इसके अलावा भरवारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में जल को और परिष्कृत बनाने के साथ-साथ नव प्रयोग केंद्र स्थापित कर स्टार्टअप को बढ़ावा दे रहे हैं। कार्यक्रम में संस्थान के हिंदी अधिकारी चंद्र मोहन तिवारी, मुख्य वैज्ञानिक डॉ. पूनम कक्कड़ ने भी विचार व्यक्त किए।
एक क्लिक पर मिलेगी मिलावट की जानकारी
खाद्य एवं उपभोक्ता सुरक्षा समाधान की वेबसाइट www.foodsaftey.iitr.india.org पर एक क्लिक में खाने-पीने में मिलावट की पहचान कैसे करें तथा सुरक्षित व पौष्टिक खाद्य पदार्थों को कैसे बचाएं इसकी पूरी जानकारी दी गई है। राज्यपाल राम नाईक ने गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण पर चिंता जताई और कहा कि अब इसका पानी मुंह में डालना मुश्किल है। इस पर वैज्ञानिक काम करें।
ओ-नीर दीपावली तक आम लोगों को मिलेगी
जल को कीटाणु मुक्त बनाने के लिए तैयार किए गए प्यूरीफायर ओ-नीर को दीपावली पर लांच किया जाएगा। इससे दस लीटर पानी पांच मिनट में साफ किया जा सकता है। भारतीय विष अनुसंधान संस्थान द्वारा तैयार की गई तकनीकी से 30 घंटे तक साफ पानी को संग्रहीत किया जा सकता है। साफ पानी की लागत दो पैसे प्रति लीटर आती है। राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि जिस तरह संस्थान ने प्लास्टिक के प्रयोग को खत्म करने के लिए जागरूकता फैलाने को विवरणिका तैयार की है वह पूरे प्रदेश के काम आएगी। आज शाम को सीएम से मुलाकात होगी तो इसे उन्हें सौपेंगे।