सुपरटेक को लेकर फायर विभाग की रिपोर्ट पर शासन की आपत्ति, कई अधिकारियों की बढ़ेंगी मुश्किलें
सुपरटेक मामले में फायर विभाग के कुछ अधिकारियों की मुश्किलें जल्द बढ़ सकती हैं। शासन ने फायर विभाग के अधिकारियों के पक्ष में दी गई रिपोर्ट के कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई है। इन बिंदुओं को स्पष्ट करते हुए जल्द नई रिपोर्ट तलब की गई है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। सुपरटेक मामले में फायर विभाग के कुछ अधिकारियों की मुश्किलें जल्द बढ़ सकती हैं। शासन ने फायर विभाग के अधिकारियों के पक्ष में दी गई रिपोर्ट के कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई है। इन बिंदुओं को स्पष्ट करते हुए जल्द नई रिपोर्ट तलब की गई है।
शासन ने अपने पत्र में कहा है कि जिन तत्कालीन मुख्य अग्निशमन अधिकारी अमन शर्मा पर अनियमितता का आरोप था, उनके स्तर से जांच समिति के गठन की कार्यवाही उचित नहीं है। सुपरटेक टावर (एक से 15 तक) के लिए तत्कालीन मुख्य अग्निशमन अधिकारी राजपाल त्यागी ने 20 अप्रैल 2005 को एनओसी प्रदान की थी, जिसे मानक के अनुसार स्टेयरकेस की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने की शर्त के साथ दिया जाना चाहिये था। मानचित्र काे हस्ताक्षरित भी किया जाना चाहिये था। सवाल उठाया गया है कि फायर विभाग की रिपोर्ट में किस आधार पर तत्कालीन मुख्य अग्निशमन अधिकारी राजपाल त्यागी को दोष मुक्त करार दिया गया है। इसके अलावा तत्कालीन मुख्य अग्निशमन अधिकारी अरुण कुमार चतुर्वेदी द्वारा रीविजन प्रोविजनल अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने के तथ्य का उल्लेख फायर विभाग की रिपोर्ट में न किये जाने पर भी सवाल उठाया गया है। तत्कालीन मुख्य अग्निशमन अधिकारी अमन शर्मा द्वारा बहुमंजिला भवन में सिंगल स्टेयरकेस व अन्य अनियमितताओं को लेकर नोएडा प्राधिकरण को समय-समय पर सूचना दी गई थी, लेकिन उनकी ओर से उप्र अग्निनिवरण व अग्निसुरक्षा निवारण अधिनियम-2005 के तहत कोई कार्रवाई सुनिश्चत की गई अथवा नहीं। शासन ने इस बिंदु को लेकर भी जवाब मांगा है।
इसके अलावा एनओसी दिये जाने तथा कई अन्य बिंदुओं पर तत्कालीन मुख्य अग्निशमन अधिकारी मुनेन्द्र कुमार त्यागी समेत अन्य अधिकारियों की भूमिका को लेकर स्पष्ट रिपोर्ट तलब की गई है। सुपरटेक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शासन ने मामले को बेहद गंभीरता से लिया था। राज्य सरकार ने अवस्थापना व औद्योगिक विकास आयुक्त संजीव मित्तल की अध्यक्षता में एसआइटी का गठन कर पूरे मामले की विस्तार से जांच कराई थी। एसआइटी की रिपोर्ट में मेरठ व नोएडा में तैनात रहे छह तत्कालीन मुख्य अग्निशमन अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में थी। एसआइटी ने इनके विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की थी। गृह विभाग ने डीजी फायर सर्विस को पत्र लिखकर पूरे मामले का परीक्षण कर बिंदुवार रिपोर्ट मांगी थी। जबकि, फायर विभाग के स्तर से एडीजी की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया गया था, जिसने चार अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी थी।