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यूपी में नहीं हासिल हो सका सरकारी गेहूं खरीद का लक्ष्य, शामली अव्वल और वाराणसी रहा फिसड्डी

उत्तर प्रदेश में सरकारी गेहूं खरीद की अवधि 15 दिन बढ़ाने के बावजूद मात्र 35.76 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदा जा सका जो पिछले वर्ष से भी कम है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 01:17 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 08:50 AM (IST)
यूपी में नहीं हासिल हो सका सरकारी गेहूं खरीद का लक्ष्य, शामली अव्वल और वाराणसी रहा फिसड्डी
यूपी में नहीं हासिल हो सका सरकारी गेहूं खरीद का लक्ष्य, शामली अव्वल और वाराणसी रहा फिसड्डी

लखनऊ [अवनीश त्यागी]। कोरोना महामारी के चलते बीते दिनों हुए लॉकडाउन का असर उत्तर प्रदेश में सरकारी गेहूं खरीद पर भी दिखा। इसका परिणाम रहा कि 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं क्रय करने का लक्ष्य पूरा न हो सका। इतना ही नहीं गत वर्ष खरीदे गए लगभग 37 लाख मीट्रिक टन का आंकड़ा भी नहीं छुआ जा सका। खरीद की अवधि 15 दिन बढ़ाने के बावजूद मात्र 35.76 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदा जा सका। गेहूं खरीद में शामली जिला अव्वल रहा, जबकि सबसे कम खरीद वाराणसी में हुई।

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उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं रसद विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य में कुल 5954 गेहूं क्रय केंद्र स्थापित किए गए थे। जहां 1925 रुपये प्रति क्विंटल दर से कुल 6,63,365 किसानों से मात्र 35.76 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार 15 दिन विलंब (15 अप्रैल) से क्रय केंद्रों पर खरीद कार्य आरंभ हुआ जो 30 जून तक चला। गेहूं खरीद लक्ष्य पूरा होने को लेकर शुरूआत से ही संशय बना था। क्रय केंद्रों पर बोरों की किल्लत, किसाानों को आवाजाही में दिक्कत, खराब मौसम के अलावा गेहूं की उतराई व छनाई के नाम पर किसानों को मिलने वाले 20 रुपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त भुगतान में कटौती का भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

पूर्वांचल की अपेक्षा पश्चिमी जिलों में बेहतर खरीद : गेहूं खरीद की स्थिति पूर्वी जिलों की अपेक्षा पश्चिम में बेहतर रही। लक्ष्य से अधिक गेहूं खरीदने वाले पांच जिलों में शामली- 123 प्रतिशत, कासगंज 108 प्रतिशत, आगरा-107 प्रतिशत, महोबा-106 प्रतिशत तथा अलीगढ़ में 105 फीसद से ज्यादा गेहूं खरीदा गया वहीं इसके विपरीत वाराणसी में मात्र 18.2 प्रतिशत, बिजनौर में 19.3, चंदौली में 25, गाजीपुर में 30.8 तथा मेरठ में 31.7 प्रतिशत गेहूं खरीद हो सकी। खाद्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि पूर्वी जिलों में आटा मिलों द्वारा गेहूं खरीदने में अधिक रुचि दिखायी। कई जिलों में अधिक वर्षा के कारण भी गेहूं की गुणवत्ता खराब होने का नुकसान भी हुआ। मऊ जिले के किसान देवप्रकाश राय का कहना है कि सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेचने से पूर्व पंजीकरण कराने की पेचीदगी के कारण किसानों में उत्साह नहीं बन सका।

प्रदेश की जरूरत का 65 फीसद गेहूं खरीदा : प्रदेश में खाद्यान्न वितरण के लिए जितने गेहूं की जरूरत होती है उसका मात्र 65 प्रतिशत गेहूं ही खरीदा जा सका। इसके चलते अन्य राज्यों से बीस लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं आपूर्ति करना होगा। कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही का कहते हैं कि लॉकडाउन जैसी विषम परिस्थिति में सरकार की प्राथमिकता किसानों को उचित मूल्य दिलाना था जिसमें कामयाबी मिली। नई व्यवस्था में किसानों को न क्रय केंद्रों पर परेशानी झेलनी पड़ी और न भुगतान में कोई समस्या हुई।


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