यूपी सरकार ने जमा ही नहीं की कर्मचारियों की नई पेंशन योजना की रकम
सीएजी रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2008-09 से 2016-17 तक कर्मचारियों के 2830 करोड़ रुपये के अंशदान के सापेक्ष राज्य सरकार ने केवल 2247 करोड़ रुपये का अंशदान दिया।
लखनऊ (जेएनएन)। जिस नई पेंशन योजना को लेकर कर्मचारी आंदोलित हैैं, उसे लेकर सीएजी रिपोर्ट ने भी नये सवाल खड़े कर दिए हैैं। कर्मचारियों की आशंका को सही साबित करते हुए रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2005-06 से लागू हुई नई पेंशन योजना के शुरुआती तीन साल तक तो कोई हिसाब ही नहीं रखा गया, जबकि उसके बाद भी गड़बडिय़ां लगातार बनी हुई हैं। रिपोर्ट में राज्य सरकार से इसे लेकर तुरंत कार्यवाही शुरू करने की संस्तुति की गई है।
नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों के मूल वेतन व महंगाई भत्ते के 10 फीसद अंशदान के साथ इतना ही योगदान राज्य सरकार को भी करना था, लेकिन वर्ष 2005-06 से लेकर 2007-08 तक के तीन वर्षों का विवरण राज्य लेखे में उपलब्ध नहीं पाया गया। इससे न तो यह पता चल सका कि योजना की शुरुआत से कर्मचारियों के वेतन से वास्तव में अंशदान की कटौती की गई या नहीं और न ही यह जानकारी हो सकी कि राज्य सरकार ने समतुल्य अंशदान दिया या नहीं।
बुधवार को विधान मंडल में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में कहा गया कि कर्मचारियों से उचित अंशदान कराने और राज्य सरकार से समतुल्य योगदान कराने में विफल रहने के साथ ही नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) में रकम का निवेश न हो पाने से कर्मचारी नई पेंशन योजना के लाभ से वंचित होते हैैं।
सीएजी रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2008-09 से 2016-17 तक कर्मचारियों के 2830 करोड़ रुपये के अंशदान के सापेक्ष राज्य सरकार ने केवल 2247 करोड़ रुपये का अंशदान दिया।
इससे अंशदान में 583 करोड़ रुपये की कमी आ गई। रिपोर्ट ने संबंधित वर्षों में राजस्व आधिक्य और राजकोषीय घाटे में न्यूनता के लिए कम अंशदान को ही जिम्मेदार ठहराया है। इसी तरह वर्ष 2008-09 से 2016-17 तक कर्मचारियों व राज्य के कुल 5660 करोड़ रुपये के अंशदान के सापेक्ष एनएसडीएल को 5001.71 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए। लोक लेखे के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए निर्धारित अंशदायी पेंशन योजना में 545.68 करोड़ रुपये का अवशेष था।
कहां लगा दी पेंशन की रकम
रिपोर्ट में राज्य लेखे के हवाले से बताया गया कि वर्ष 2008-09 में कर्मचारियों के अंशदान के 5.03 करोड़ रुपये वर्ष 2015-16 में 636.51 करोड़ रुपये हो गया, लेकिन वर्ष 2016-17 में यह घटकर 199.24 करोड़ रुपये रह गया। इसे गंभीर प्रकरण ठहराते हुए सीएजी रिपोर्ट में कर्मचारी अंशदान के अनियमित हस्तांतरण की आशंका जताई है। रिपोर्ट में राज्य सरकार से कर्मचारी अंशदान की पूर्ण कटौती के सापेक्ष राज्य सरकार द्वारा समतुल्य अंशदान करते हुए समयबद्ध प्रक्रिया के तहत एनएसडीएल को रकम हस्तांतरण भी सुनिश्चित करने को कहा गया है।