सरकारी डॉक्टरों के तेवर देख बैकफुट पर सरकार, 62 की उम्र पर ही रिटायर होंगे इच्छुक डॉक्टर
सरकार ने सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए उनकी रिटायरमेंट उम्र 70 साल करने पर पीएमएस एसोसिएशन से फरवरी में राय ली थी जिस पर एसोसिएशन ने असहमति जताई थी।
लखनऊ, जेएनएन। सरकारी डॉक्टरों के बगावती तेवर देख राज्य सरकार ने उनकी रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने के मामले में फिलहाल कदम वापस खींचने का निर्णय लिया है। डॉक्टरों ने सरकार को जहां नियम संगत तरीके से विभाग में चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने का रास्ता दिखाया है, वहीं शासन ने भी उनकी मांग मानते हुए आश्वस्त किया है कि सेवानिवृत्ति 62 साल पर ही दी जाएगी और केवल इच्छुक डॉक्टरों को ही 65 की उम्र तक पुनर्नियोजित किया जाएगा।
राज्य सरकार ने सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए उनकी रिटायरमेंट उम्र 70 साल करने पर प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) एसोसिएशन से फरवरी में राय ली थी, जिस पर एसोसिएशन ने असहमति जताई थी। इसके बाद भी कई स्तरों पर इसकी सुगबुगाहट देख डॉक्टरों ने पिछले दिनों प्रदेश भर में तीन हजार इस्तीफे जुटाकर सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाई गई तो वे सामूहिक इस्तीफे दे देंगे। डॉक्टरों की नाराजगी इसलिए भी थी कि सेवानिवृत्ति आयु 60 से 62 वर्ष किए जाने पर पहले तो उन्हें 60 की उम्र में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प दिया गया लेकिन फिर इसे वापस ले लिया गया। इससे डॉक्टरों के लिए 62 की उम्र तक नौकरी करना मजबूरी बन गया।
इसे लेकर मंगलवार को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य देवेश चतुर्वेदी व अन्य अधिकारियों के साथ पीएमएस एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल की बैठक हुई, जिसमें शासन ने 62 की उम्र में सेवानिवृत्ति देने की डॉक्टरों की मांग मान ली। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.सचिन वैश्य व महासचिव डॉ.अमित सिंह के मुताबिक बैठक में तय हुआ कि जो डॉक्टर 62 की उम्र के बाद सेवा देना चाहेंगे, उन्हें नि:संवर्गीय या गैर प्रशासनिक पदों पर पुनर्नियोजित करेगी। यह पुनर्नियोजन अधिकतम तीन साल यानी 65 वर्ष की उम्र तक होगा।