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आक्सीजन हादसाः मेडिकल कालेज प्राचार्य निलंबित, मुख्य सचिव की टीम करेगी जांच

बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में बड़ी संख्या में मौतों के बाद राज्य सरकार ने प्राचार्य राजीव मिश्र को निलंबित कर दिया और मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी को जांच सौप दी है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 12 Aug 2017 08:43 PM (IST)Updated: Sat, 12 Aug 2017 11:48 PM (IST)
आक्सीजन हादसाः मेडिकल कालेज प्राचार्य निलंबित, मुख्य सचिव की टीम करेगी जांच
आक्सीजन हादसाः मेडिकल कालेज प्राचार्य निलंबित, मुख्य सचिव की टीम करेगी जांच

लखनऊ (जेएनएन)। बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी से कथित 55 मौतें होने के बाद आज राज्य सरकार ने वहां के प्राचार्य राजीव मिश्र को निलंबित कर दिया। इस बीच अस्पताल में मौतों का सिलसिला जारी रहा, सात की मौत आज भी हुई है। शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर भेजे मंत्रियों सिद्धार्थनाथ सिंह और आशुतोष टंडन से रिपोर्ट ली और प्रेस कांफ्रेस बुलाकर कहा कि चार दिन में 28 अस्पताल में हुईं है लेकिन कोई मौत आक्सीजन की कमी से नहीं हुई। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है जो आक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी की भूमिका की जांच करेगी। घटना को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। कांग्र्रेस, सपा, बसपा ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। घटना को लेकर कई जगह प्रदर्शन भी हुए। 

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अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही, कमीशनखोरी, मेडिकल कालेज में प्राचार्य की पत्नी के दखल आदि तमाम आरोपों के बीच राज्य सरकार शनिवार सुबह हरकत में आई और मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन को अपने आवास बुलाकर उन्हें तत्काल गोरखपुर जाने का आदेश दिया। दोनों मंत्रियों ने शाम को वहां से आकर अपनी रिपोर्ट दी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल, सिद्धार्थ नाथ सिंह और आशुतोष टंडन के साथ संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेस की। योगी ने कहा कि मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि प्रथमदृष्टतया प्राचार्य की लापरवाही सामने आई है, इसलिए उन्हें निलंबित किया गया है।

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यह पूछे जाने पर कि आक्सीजन से मौतें नहीं हुईं तो निलंबन क्यों, इस पर मंत्री आशुतोष टंडन ने बताया कि आक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कंपनी का भुगतान रोकने की वजह से उन्हें निलंबित किया गया। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि उन्होंने पूरे मामले की रिपोर्ट प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को भेजी है। गोरखपुर में इस घटना को लेकर दिन भर सरगर्मी बनी रही। मेडिकल कालेज में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और आशुतोष टंडन के आने की वजह से अधिकारी सहमे रहे। कांग्र्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने भी प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के नेतृत्व में पीडि़तों से मुलाकात की। बीआरडी मेडिकल कालेज में दिन भर बवाल की आशंका में पुलिस फोर्स तैनात रही। इधर राजधानी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

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कमीशन ने तो नहीं रोक दीं सांसें!

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मौत से लड़ते मासूमों की जिंदगी ऑक्सीजन के जिस पतले से पाइप पर टिकी थी, डॉक्टरों ने ही कमीशन के लालच में उस पाइप को काट दिया। बच्चों की मौत के बाद अब मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी बता रहे हैं कि मैडम (मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य राजीव मिश्र की पत्नी) सामान्य रवायत से दो फीसद ज्यादा कमीशन चाहती थीं, इसीलिए उन्होंने ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का भुगतान लटका रखा था। चिकित्सा शिक्षा विभाग के कर्मचारी बताते हैं कि कंपनी अपना बकाया मांग रही थी जबकि मैडम ज्यादा कमीशन का तगादा कर रही थीं। कर्मचारियों के मुताबिक प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर 10 फीसद का कमीशन तय है। आपूर्ति करने वाली कंपनियां और आपूर्ति मंजूर करने वाले अधिकारियों के बीच बिना मांगे ईमानदारी से यह लेनदेन चलता रहता है।

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यह है फर्क

अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले अंकुर बताते हैं कि टैंकर के जरिये सप्लाई की जाने वाली लिक्विड ऑक्सीजन औसतन चार से साढ़े चार रुपये प्रति लीटर की दर पर मिलती है, जबकि 30 लीटर ऑक्सीजन का सिलेंडर 250 रुपये यानी करीब आठ रुपये प्रति लीटर की दर से मिलता है। सिलेंडर का दाम दोगुना होने के कारण 10 फीसद की दर से कमीशन भी दोगुना हो जाता है। मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी बताते हैं कि इसीलिए ऑक्सीजन वाले सिलेंडरों की खपत सामान्य जरूरत से ज्यादा कराई जाती है।

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