प्रवाह घटने से सड़ने लगा गोमती का पानी
- प्रवाह घटने से बढ़ा प्रदूषण जागरण संवाददाता, लखनऊ गोमती का पानी फिर सड़ने लगा है। नदी में बह
जागरण संवाददाता, लखनऊ : गोमती का पानी फिर सड़ने लगा है। नदी में बहाव कम होने से पानी ठहर सा गया है। जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। आलम यह है कि नदी जल को देखकर ही उसमें प्रदूषण का अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ गोमती में जा रहे सीवेज को रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के प्रस्ताव नमामि गंगे में स्वीकृति की बाट जोह रहे हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गोमती अपस्ट्रीम व डाउन स्ट्रीम पर नियमित जल गुणवत्ता की जांच की जाती है। बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार बीते कई दिनों से गोमती बैराज पर घुलित आक्सीजन (डीओ) एक मिग्रा. के आसपास बनी हुई है। हालांकि अपस्ट्रीम पर डीओ का स्तर आठ मिग्रा. के करीब रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे में साफ है कि गऊ घाट के बाद नदी में गिर रहे नालों से गोमती बुरी तरह दूषित हो रही है।
जल निगम अधिकारी कहते हैं कि बैराज के आगे बनाए गए रबड़ डैम के चलते पानी रुका हुआ है। जो नदी में बढ़ रहे प्रदूषण का बड़ा कारण है। उधर अधिकारी भी स्वीकारते हैं कि आज भी शहर का आधा सीवेज नालों के जरिए नदी में पहुंच रहा है। अकेले हैदर कैनाल से ही सैकड़ों लीटर सीवेज हर रोज गोमती में समा रहा है। उधर, भरवारा एसटीपी की क्षमता 225 एमएलडी बढ़ाए जाने के अलावा बिजनौर में एसटीपी का प्रस्ताव नमामि गंगे के तहत स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया है। हालांकि इसे अभी तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है। वहीं चौतरफा बढ़ रहे शहर में सीवेज का दबाव भी बढ़ रहा है।
इसके अलावा गोमती के दोनों ओर बनाई गई दीवार के कारण भी भूगर्भ जल से जो प्राकृतिक रिचार्ज होता था, वह बंद हो गया है। वहीं सिंचाई विभाग द्वारा भी गोमती के प्रवाह को बनाए रखने के लिए शारदा सहायक से नियमित पानी छोड़े जाने की योजना भी कागजों तक ही सीमित है। ऐसे में गोमती में पानी कम और प्रदूषण ज्यादा हो गया है। यही वजह है कि गर्मी से पहले ही गोमती का पानी सड़ने लगा है।