कोलकाता एयरपोर्ट की तर्ज पर होगा गोमती नगर स्टेशन, ऐसा होगा स्ट्रक्चर
विश्वस्तरीय बनाने का काम शुरू, प्रथम तल तक जाएंगे वाहन।
लखनऊ[निशात यादव]। गोमतीनगर स्टेशन पर आने वाले यात्रियों को दो साल बाद यहा कोलकाता एयरपोर्ट पर होने की अनुभूति होगी। यात्री रैम्प के जरिए वाहनों से प्रथम तल पर ट्रेन पकड़ने आएंगे। नीचे ट्रेन चलेगी और उसके ऊपर बने कानकोर्स पर वह लाउंज और मॉल में घूम सकेंगे। ट्रेन के आने पर एस्केलेटर व लिफ्ट से प्लेटफार्म पर उतर सकेंगे। समय बिताने के लिए एमपी थिएटर का आनंद भी ले सकेंगे। गोमतीनगर स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने के लिए निर्माण शुरू हो गया है। पहले फेस का निर्माण करने के लिए कंपनी का चयन हो चुका है। कंपनी ने कार्यालय बनाकर काम शुरू कर दिया है।
दरअसल, गोमतीनगर को विश्वस्तरीय बनाने का काम दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में करीब 400 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके तहत नया स्टेशन भवन बनेगा और प्लेटफार्मो की संख्या तीन से बढ़ाकर छह की जानी है।
रेल भूमि विकास प्राधिकरण को यह जिम्मा सौंपा गया है, जबकि प्राधिकरण के साथ नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) मानकों के अनुसार हो रहे निर्माण की निगरानी करेगी। गोमतीनगर स्टेशन पर रेलवे की जमीन को निर्माण करने वाली कंपनी को दिया गया है। वह इसे बेचकर या किराए पर देकर जो आमदनी करेगी उसी से गोमतीनगर स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाया जाएगा। प्राधिकरण ने मई में ही टेंडर जारी किया था। पहले चरण में स्टेशन भवन के साथ रेलवे के लिए इस्तेमाल होने वाले आफिस, वाशिग पिट और पैदल पुल बनेंगे। मौजूदा प्लेटफार्मो पर कोटा स्टोन लगाकर उनका सुंदरीकरण किया जाएगा।
ऐसा होगा रेलवे स्टेशन का स्ट्रक्चर :
- स्टेट ऑफ आर्ट टेक्नोलाजी से 2.60 लाख वर्गफीट में बनेगा आकर्षक स्टेशन भवन
- तीन नए प्लेटफार्मो का होगा निर्माण
- रोजाना 40 हजार यात्रियों की क्षमता के लिए होगा तैयार
- यात्रियों को भीड़ से बचाने के लिए बनेगा सेग्रीगेटेड रास्ता
- नया कानकोर्स, यात्री लाउंज, पैदल उपरिगामी पुल, लिफ्ट, एस्केलेटर, जैसी सुविधा
- खानपान, अमानती सामान घर, एटीएम, मेडिकल स्टोर और दिव्याग मित्र सुविधाएं
- स्टेशन भवन के बेसमेंट में होगा पार्किंग का निर्माण
क्या कहते हैं अफसर?
आरएलडीए वाइस चेयरमैन राकेश गोयल का कहना है कि पहले चरण का काम शुरू कर दिया गया है। दोनों चरणों को पूरा करने का लक्ष्य तीन साल रखा गया है। प्रयास किया जा रहा है कि एक साल में विश्वस्तरीय बनाने का पहले चरण का काम पूरा हो जाए।