अष्टमी पर मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की हुई आराधना, कल नवमी पर होगा कन्या पूजन
भुला नहीं देना मां भुला नहीं देना...और भवन सतरंगिया मेरी मइया का... जैसे भजनों के साथ बुधवार काे मां के आठवें महागौरी स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। ठाकुरगंज के मां पूर्वी देवी मंदिर में सुनीता मिश्रा के संयोजन में महिलाओं ने भजनों का गुलदस्ता पेश किया।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। भुला नहीं देना मां भुला नहीं देना...और भवन सतरंगिया मेरी मइया का... जैसे भजनों के साथ बुधवार काे मां के आठवें महागौरी स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। ठाकुरगंज के मां पूर्वी देवी मंदिर में सुनीता मिश्रा के संयोजन में महिलाओं ने भजनों का गुलदस्ता पेश किया। पुजारी पं. शिव प्रसाद शुक्ला के मंत्रोच्चारण के साथ मां की पूजा की गई। आरती पूजन के लिए चौक के बड़ी व छोटी काली जी मंदिर के साथ ही संकटा देवी मंदिर और शास्त्री नगर के दुर्गा मंदिर में भी श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। संदोहन देवी मंदिर, आनंदी माता मंदिर व संतोषी माता मंदिर समेत राजधानी के सभी मंदिरों में पूजा अर्चना की गई।घरों में मां महागौरी की पूजा अर्चना के साथ हवन-पूजन किया गया।
राजेंद्र नगर के महाकाल मंदिर में मां के महागौरी स्वरूप में महाकाल का श्रृंगार किया गया। बख्शी का तालाब के चंद्रिका देवी मंदिर व 51 शक्तिपीठ मेें सुबह विशेष पूजन के साथ मां महागौरी की पूजा और कन्या पूजन किया गया। 14 अक्टूबर को देर शाम बजे तक नवमी रहेगी। ऐसे में पूरे नवरात्र व्रत रखने वाले इस दिन कन्या पूजन करेंगे। आचार्य आनंद दुबे बताया कि अष्टमी युक्त नवमी विशेष शुभकारी भी है। कन्या पूजन श्रेयस्कर होता है। ऐसा माना जाता है कि मां इन कन्याओं के माध्यम से ही अपना पूजन स्वीकार करती हैं। काेरोना संक्रमण के चलते श्रद्धालु कन्याओं को भोजन के बजाय अनाथ आश्रम, कुष्ठ आश्रम व वृद्धाश्रमों में दान भी करते नजर आए। कुछ श्रद्धालुओं ने गाय को संकल्पित कन्या के अनुरूप भोजन कराया। आशियाना की पूजा मेहरोत्रा कुष्ठ आश्रम में दान किया तो अंजू रघुवंशाी ने मलिन बस्ती जाकर सूखा अनाज दान किया। कन्या पूजन के बाद ही व्रत पूरा होता है
दशहरा 15 कोः आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि आश्विन शुक्ल दशमी को विजयदशमी या दशहरे के रूप में पर्व मनाया जाता है। श्री राम ने इस दिन लंका पर विजय प्राप्त की थी तो मां दुर्गा का महिषासुरमर्दिनी अवतार इसी दिन हुआ था। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा।