Ganeshotsav 2021: पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे गोबर गणेश, मनौतियों के राजा का लखनऊ में सजेगा दरबार
प्रथम पूज्य देव के पूजन का पर्व गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को है। एक ओर जहां कोरोना संक्रमण के चलते आयोजन को सीमित करने की तैयारी हो रही है तो दूसरी ओर इको फ्रेंडली प्रतिमाओं की स्थापना को लेकर मंथन शुरू हो गया है।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। जन्माष्टमी के साथ ही गणेशोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। गोबर के गजानन बनाकर महिलाएं जहां एक ओर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगी वहीं श्रद्धालु प्रथम पूज्यदेव से कोरोना मुक्ति की कामना करेंगे। प्रथम पूज्य देव के पूजन का पर्व गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को है। एक ओर जहां कोरोना संक्रमण के चलते आयोजन को सीमित करने की तैयारी हो रही है तो दूसरी ओर इको फ्रेंडली प्रतिमाओं की स्थापना को लेकर मंथन शुरू हो गया है। झूलेलाल पार्क में होने वाला उत्सव इस बार छोटे स्तर पर होगा। समिति के लोगों ने इको फ्रेंडली प्रतिमा बनाने का निर्णय लिया है। थीम को लेकर मंथन चल रहा है। समिति के प्रवक्ता भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि रामाधीन सिंह उत्सव लान के बजाय महानगर के श्याम सत्संग भवन में आयोजन होगा। कोरोना संक्रमण को रोकने के सभी इंतजाम किए जाएंगे। श्रद्धालुओं को घर बैठे दर्शन हो सके, इसके लिए फेसबुक पेज बनेगा जिस पर आरती और श्रृंगार का लाइव किया जाएगा।
आलमबाग के रामनगर में भी पूजन को लेकर तैयारियां चल रही हैं, लेकिन प्रशासन की अनुमति के बाद ही आयोजन होंगे। संयोजक उमेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि यदि प्रशासन अनुमति नहीं देगा तो इको फ्रेंडली प्रतिमा घर में स्थापित करके पूजन करेंगे। बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश नहीं होगा। चौक के उमेश पाटिल का कहना है कि प्रशासन की अनुमित का इंतजार है।
मनकामेश्वर मंदिर में स्थापित होंगे गोबर के श्री गणेश: मनकामेश्वर मंदिर में इस बार गणेश चतुर्थी पर गोबर के श्री गणेश की स्थापना होगी। महंत देव्या गिरि ने बताया कि गोबर से प्रतिमा बनाने के लिए महिलाओं से कहा गया है। गाय के गोबर से गौरी-गणेश बनाकर पूजन करने की सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण को संरक्षित करने का संदेश दिया जाएगा। इसके साथ ही प्रतिमा बनाने वाली महिलाओ का उत्साह भी बढ़ेगा। गाय के गोबर से बने श्री गणेश जी पर्यावरण संरक्षण के साथ ही स्वास्थ्य सुरक्षा का संदेश देंगे। प्रतिमाओं की पूजा के बाद गमलों में विसर्जन किया जाएगा। विसर्जन के बाद गोबर न केवल खाद में तब्दील हो जाएगी बल्कि उसमे डाले गए गिलोय और तुलसी के बीज आपके घर में पौधोें के रूप में विकसित होकर स्वस्थ्य सुरक्षा का काम भी करेंगे। सिटीजन डेवलपमेंट फाउंडेशन संस्थान की शालिनी सिंह की ओर से प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है। 300 महिलाएं गाेबर से प्रतिमाएं बना रही हैं। मंदिर में महिलाओं को भी प्रतिमा बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। भगवती विहार में महिलाएं गोबर के गणेश बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही हैं। कान्हा उपवन में भी दीपक बनाने का कार्य किया जा रहा है।