पॉवरलिफ्टिंग, वेटलिफ्टिंग में कमाल कर रहीं बेटियां, देश-प्रदेश को दिला रहीं मेडल Lucknow News
महिला सशक्तीकरण की दिशा में बढ़ रही हैं हरदोई की लड़कियां।
हरदोई [पंकज मिश्र]। हरदोई की बेटियां बड़ा कमाल कर रही हैं। पॉवरलिफ्टिंग में देश-प्रदेश को मेडल दिला चुकी अनुभवी बेटियों की अगुवाई में अब यहां विजेताओं की नई पीढ़ी तैयार हो रही है।
16 स्थापित महिला पॉवर लिफ्टर दे चुके इस जिले में करीब 50 बेटियां चैंपियन बनने की खातिर पसीना बहा रही हैं। यह सिलसिला पूनम तिवारी के साथ शुरू हुआ। राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीतकर प्रदेश को स्वर्ण और रजत पदक दिला चुकी हैं। वह स्ट्रांग वूमेन ऑफ यूपी और स्ट्रांग वूमेन ऑफ नार्थ इंडिया के खिताब से भी नवाजी जा चुकी हैं। गुवाहाटी में हुए साउथ एशियन गेम्स और पुणो में हुई कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में रेफरी रह चुकीं पूनम अब कोच हैं। पूनम की विरासत को शहर की एक और खिलाड़ी मनीषा शुक्ला ने भी बखूबी आगे बढ़ाने का काम किया।
बचपन में मां-बाप को खोने के बाद भी उन्होंने खुद को शारीरिक और मानसिक स्तर पर बेहद मजबूत बनाया। 2000 में वेटलिफ्टर के रूप में करियर शुरू किया और 2002 में जर्मनी में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में सफलता पाई। पूनम और मनीषा की प्र्रेरणा और मार्गदर्शन का ही कमाल था कि एक के बाद एक 16 बेटियों ने स्टेट और नेशनल स्तर पर प्रतियोगिताओं में दमखम दिखाया।
गीता पांडेय ने रांची में सब जूनियर नेशनल पावर लिफ्टिंग में तो प्रियांशु त्रिपाठी ने जमशेदपुर में वेटलिफ्टिंग में स्वर्ण पदक जीता। स्मृति कश्यप ने जम्मू कश्मीर, पलक सिंह ने महाराष्ट्र में कांस्य पदक पाया। स्मृति कश्यप, दीक्षा कश्यप, ममता कश्यप, कृतिका शुक्ला, दिव्या देवी, रिया गुप्ता राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा चुकी हैं। हाल ही कानपुर में हुई राष्ट्रीय पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में 43 किलोग्राम वर्ग पलक सिंह ने रजत, शिवानी सिंह ने कांस्य पदक हासिल किया। 47 किलोग्राम वर्ग में अलका राठौर ने रजत पदक हासिल किया।
10 ने पाई सरकारी नौकरी
यही नहीं, राष्ट्रीय वेटलिफ्टर रहीं करीब 10 बेटियां खेल कोटे से नौकरी पा चुकी हैं। प्रियांशी चौहान को पुलिस विभाग में नौकरी मिल गई तो प्रियंका राजपूत स्पोर्ट्स टीचर बनीं। मनी को बेसिक शिक्षा विभाग ने कोटे से नौकरी दी है।