अदरक-लहसुन के रस से बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता, शोध से अंबेडकर विवि को अंतरराष्ट्रीय पहचान
इस दावे के बल पर अमेरिका ने विश्व के दो फीसद श्रेष्ठ वैज्ञानिकों में इनका नाम शामिल कर कंपनियों की नींद उड़ा दी। अकेले प्रोफेसर देवेश ही नहीं विवि के कुलपति प्रो.संजय सिंह ने फार्मेसी के क्षेत्र में शोध करके अपनी अलग पहचान बनाई।
लखनऊ, (जितेंद्र उपाध्याय)। कोरोना संक्रमण को लेकर जब बड़ी कंपनियां रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर बड़े बड़े दावे करके अपने उत्पाद को बेचने में लगीं थीं तो इससे इतर राजधानी के बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विवि के प्रोफेसर देवेश कुमार आम लोगों के अंदर की क्षमता के विकास के लिए शोध कर रहे थे। घरेलू सस्ते उपचार की मंशा के अनुरूप उन्होंने अदरक और लेहसुन में पाए जाने वाले तत्वों का विश्लेषण कर रोग प्रतिरोधक क्षमता के गुण होने का दावा किया।
इस दावे के बल पर अमेरिका ने विश्व के दो फीसद श्रेष्ठ वैज्ञानिकों में इनका नाम शामिल कर कंपनियों की नींद उड़ा दी। अकेले प्रोफेसर देवेश ही नहीं विवि के कुलपति प्रो.संजय सिंह ने फार्मेसी के क्षेत्र में शोध करके अपनी अलग पहचान बनाई। कुलपति को फार्मोकोलॉजी और फार्मेसी में उत्कृष्टता का तमगा मिला है। अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित स्टैनफोर्ड विवि की ओर से विश्व के दो फीसद सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिको की सूची में कुलपति के साथ पांच और शिक्षकों का नाम है।
देश के 1500 उत्कृष्ठ वैज्ञानिकों में इनका नाम आने से अंबेडकर विवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। प्रवक्ता डॉ.रचना गंगवार ने बताया कि अमेरिका के स्टैनफोर्ड विवि के डा.जाॅन पीए लोननिदिस के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी ने सूची तैयार की है। अंबेडकर विवि के कुलपति समेत छह शिक्षकों में डॉ.जय शंकर सिंह, डॉ.विमलचंद्र पांडेय,प्रो.रामचंद्रा और प्रो. बीएस भदौरिया का नाम शामिल है। सभी का मूल्यांकन शोध पेपर के आधार पर किया गया और शोध को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित भी किया गया है।