रौद्र रूप में आ रही घाघरा, बाराबंकी और गोंडा में अस्तव्यस्त हुआ जनजीवन
घरों और रास्तों में भरा पानी। बाराबंकी में जलस्तर एक मीटर से ज्यादा बढ़ गया है वहीं गोंडा में करीब 35 मजरे बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
लखनऊ, जेएनएन। बाराबंकी और गोंडा जिले में घाघरा यानी सरयू नदी ने रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। घाघरा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी जारी है। बाराबंकी में शनिवार सुबह जलस्तर एक मीटर से ज्यादा बढ़ गया है। इससे पानी लोगों के घरों और रास्तों में भर गया है। वहीं गोंडा मेंं ऐलीपरसौली के करीब 35 मजरे बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। बाराबंंकी में सरयू नदी में बाढ़ का पानी खतरे के निशान 106.070 से ऊपर 107.156 पर चल रहा है। रामनगर तहसील क्षेत्र के तपेसिपाह, कोरिनपुरवा, मल्लाहन पुरवा, प्रसादी पुरवा, बुधई पुरवा, दुर्गापुर, लहाड़रा इन सभी गांव के घरों में सरयू नदी के बाढ़ का पानी पहुंचा बाढ़ पीड़ितों ने सुरक्षित स्थानों पहुंचने लगे।
पूरेडलई ब्लाक क्षेत्र के नदी इस पार इटहुआ पूरब,लोढेमऊ, बराईन, डेरेराजा, कोठरीगौरिया, उमरहरा, अतरसुईया सेमरी, बंसतपुर, पत्रा, सोनबरसा गांव बाढ़़ की चपेट मे आ गये है। उमरहरा, अतरसुईया सेमरी, बंसतपुर, पत्रा में नदी का जलस्तर बढ़ जाने से गांव चारो तरफ से पानी से घिर गये है। मुख्य मार्ग भी डूब गया है। सैकड़ों बीघा धान की फसल बर्बाद हो चुकी है।
गोंडा में तटबंध का एक मीटर हिस्सा नदी में समाया
शुक्रवार की रात गोंडा के भिखारीपुर-सकरौरा तटबंध कटते कटते बचा। ऐलीपरसौली के करीब 35 मजरे बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। घाघरा नदी पूरी तरह से उफान पर है। ऐलीपरसौली में तबाही मचाना शुरू कर दिया है।
रात में तटबंध में अचानक कटान शुरू हो गई और बांध की पटरी का एक मीटर हिस्सा नदी में समा गया। आनन-फानन में बचाव कार्य शुरू किया गया, जिससे बांध कटते कटते बचा। यह बचाव कार्य जारी है, लेकिन कटान का खतरा भी पूरी तरह से टला नहीं है। ग्रामीणों की मानें तो जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और मसीना लगने की वजह से बांध सुरक्षित नहीं है। वहीं दूसरी तरफ ऐलीपरसौली माझा के लगभग 35 मजरे बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुस गया है जिससे जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। केवटाही मजरे के पास कटान शुरू हो गई है, जिससे कई लोगों का घर कटान की जद में आ गया। लोग अपनी गृहस्थी व छप्पर को नाव पर रखकर पलायन के लिए मजबूर हो गए हैं। देशराज यादव का आवास नदी में समा गया। प्रशासन की तरफ से बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है, लेकिन यहां 35 मजरों के लिए मात्र आठ नावें लगाई गई हैं जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रही हैं।