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दाल का दाम बढऩे से केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह विचलित नहीं

चढ़ते दाम की वजह से आजकल आम आदमी की थाली में दाल भले ही पतली हो गई हो लेकिन केंद्र सरकार के विदेशी एवं प्रवासी भारतीय कार्य राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह इससे विचलित नहीं है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2015 09:03 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2015 10:50 AM (IST)
दाल का दाम बढऩे से केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह विचलित नहीं

लखनऊ। चढ़ते दाम की वजह से आजकल आम आदमी की थाली में दाल भले ही पतली हो गई हो लेकिन केंद्र सरकार के विदेशी एवं प्रवासी भारतीय कार्य राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह इससे विचलित नहीं है। लखनऊ में कल राजभवन में अपनी आत्मकथा 'साहस और संकल्प' के विमोचन के बाद मीडिया से मुखातिब जनरल सिंह से जब बढ़ती महंगाई और दाल की उछाल लेती कीमतों के बारे में सवाल हुआ तो उन्होंने सपाट उत्तर दिया कि महंगाई पहले भी रही है, दाल पहले भी 200 रुपये किलो बिकी है।

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बिसाहड़ा कांड को देश में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता का उदाहरण बताकर पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों के खिलाफ भी उनके तेवर सख्त थे। बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता के बारे में पूछे गए सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे नृशंस घटनाएं पहले भी हुई हैं, तब क्यों नहीं किसी ने पुरस्कार लौटाया। धार्मिक असहिष्णुता उन्हें पहले क्यों नहीं दिखी। सब इसलिए हो रहा है क्योंकि एक स्थानीय मुद्दे को पूरे देश में फैलाया जा रहा है। इसके पीछे सियासी कारण हैं। मीडिया को भी संवेदनशीलता बरतने की जरूरत है। बिसाहड़ा कांड पर सरकार का रवैया बिल्कुल साफ है। सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है लेकिन तुष्टिकरण किसी का नहीं।

लेखकों के इस रवैये पर साहित्य अकादमी के मौन के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर संस्था जनतांत्रिक तरीके से काम करती है। साहित्य अकादमी के अपने काम हैं। इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना ठीक नहीं है। भाजपा के पूर्व विचारक और वरिष्ठ पत्रकार सुधींद्र कुलकर्णी के मुंह पर कालिख पोते जाने की घटना पर जब उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने उल्टा सवाल किया कि पहले भी लोगों के मुंह पर कालिख पोती गई है, क्या आपने तब आवाज उठायी। कर्नाटक में एक लेखक की हत्या और उससे लेखकों में उपजी असुरक्षा की भावना के सवाल पर कहा कि जांच होनी चाहिए लेकिन कर्नाटक में पहले भी बहुत कुछ हुआ है।

बिसाहड़ा कांड को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ.महेश शर्मा के बयानों पर उन्होंने कहा कि जब किसी घटना का बहुत राजनीतिकरण किया जाता है तो बहुत सारे संदर्भ आते हैं, इस मामले में भी यही हुआ है। यह भी जोड़ा कि खट्टर और डॉ.शर्मा केंद्र सरकार के प्रवक्ता नहीं है। यह उनके व्यक्तिगत बयान हैं। वह भी जो कह रहे हैं, उनके व्यक्तिगत विचार हैं।

एक रिटायर्ड सैन्य अफसर के किताब लिखने से क्या सैन्य संगठन और देश की सुरक्षा से जुड़ी गोपनीतया भंग नहीं होगी के प्रश्न पर जनरल वीके सिंह ने कहा कि जिन लोगों ने ऐसा किया वे इंटेलीजेंस ब्यूरो के लोग थे। सेना के लोग जिम्मेदारी से लिखते हैं। अपने लेखन में उन्होंने भी यह सतर्कता बरती है। उन्होंने कहा कि मुझे समझ में नहीं आता कि यह भगवाकरण शब्द कहां से आ गया। भगवा रंग तो त्याग का प्रतीक है। इसे नकारात्मक तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है।

नेपाल के भारत पर सीमा व्यापार में अवरोध पैदा करने का आरोप लगाते हुए इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संगठन के मंच पर ले जाने के सवाल पर उनकी प्रतिक्रिया थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से भारत और नेपाल के बीच सद्भाव बढ़ा है। एक घटना से यह मत तय कीजिए कि नेपाल चीन की तरफ जा रहा है।


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