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'तन की लड़ाई में जीता मन', उमरी ने उमेंद्र बनकर ऐसे पाया नया जीवन Lucknow News

बचपन से लड़की की तरह पला लेकिन निकला लड़का। पीजीआइ लखनऊ में दो विभागों ने मिलकर की सर्जरी दिया नया जीवन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 07:16 PM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 09:33 PM (IST)
'तन की लड़ाई में जीता मन', उमरी ने उमेंद्र बनकर ऐसे पाया नया जीवन Lucknow News
'तन की लड़ाई में जीता मन', उमरी ने उमेंद्र बनकर ऐसे पाया नया जीवन Lucknow News

लखनऊ [कुमार संजय]। बचपन से लड़की की तरह पालन -पोषण हुआ। शारीरिक विकास भी लड़की की तरह हुआ, लेकिन मानसिक रूप से वह अपने को लड़की मानने को तैयार नहीं था, क्योंकि मेल हार्मोन भी प्रभावी हो रहे थे। घर वाले संजय गांधी पीजीआइ के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो. अंकुर भटनागर के पास पहुंचे। तमाम परीक्षण के बाद तय किया गया कि यह लड़का ही बन सकता है। अब पहली सर्जरी के बाद महिला वाले अंग निकाल दिए गए। इससे फीमेल हार्मोन का असर खत्म हो रहा है।

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हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी देकर मेल हार्मोन को बढ़ाकर पहले से बने पुरुष लिंग को विकसित किया जा रहा है। शाहजहांपुर के रहने वाले उमरी का उम्र बढऩे के साथ स्तन पूरा विकसित हो गया। जन्म से पुरुष लिंग, अंडकोष कम विकसित था। साथ ही यूट्रस, योनि, ओवरी भी थी। इस परेशानी को डिजीज ऑफ सेक्सुअल डिफ्रेंसिएशन कहते हैं। इसमें महिला और पुरुष के दोनों अंग बने होते हैं। इसका पता जब किशोरावस्था पर पहुंचता तब लगता या तो जन्म के समय ही विशेषज्ञ ध्यान दें तो लगता है। जब उमरी 13 साल का हुआ तो उसे लगा कि वह लड़की नहीं है। डॉ. अंकुर बताते हैं कि जब यहां आया तो साइकोलाजिकल एनालिसिस कराई गई। साइकोलाजिस्ट ने कहा कि मेल हार्मोन ही प्रभावी हैं और यह लड़कों की तरह ही रह सकता है। इसके साथ हार्मोन और क्रोमोसोमल स्टडी भी कराई, जिससे साबित हुआ कि एक्स-वाई क्रोमोसोम ही प्रभावी हैं। 

दो सर्जरी के बाद बना लड़का

यूरो सर्जन प्रो. एमएस अंसारी के साथ मिलकर पहले चरण में ओवरी, यूट्रस निकाला। साथ ही योनि को बंद किया। विकसित स्तन को इनफीरियर पेडिकल रेडिकल रीडक्शन सर्जरी तकनीक से निकाला। इसमें विशेष ध्यान देना होता है जिससे चेस्ट पुरुषों जैसा ही दिखे। फीमेल आर्गन निकल जाने से फीमेल हार्मोन प्रोजेस्ट्रान, एस्ट्रोजन का स्तर भी कम हो जाता है। इसके बाद पहले से बने पुरुष लिंग को विकसित करने के लिए थेरेपी शुरू की गई। प्रो. भटनागर के मुताबिक दवा से यदि पूरा विकसित नहीं हुआ तो उसके लिए भी विशेष सर्जरी की जाएगी। इसके बाद पेशाब का रास्ता जो बना है उसका छिद्र सही जगह पर करने की सर्जरी होगी। उमरी ने अपना नाम भी उमेंद्र कर लिया है। 

आठ हजार में से दो बच्चों में होती है यह परेशानी

आठ हजार बच्चों में से दो में सेक्स की दुविधा की परेशानी होती है। कई में फीमेल आर्गन विकसित होता है और मेल आर्गन कम विकसित होता तो कुछ में उल्टा होता है। जन्म के समय ही परेशानी पता कर कुछ हद तक सर्जरी की जा सकती है, लेकिन हार्मोन थेरेपी युवा अवस्था की दहलीज पर रखने के बाद संभव है, क्योंकि इस समय हार्मोन एक्टिव होते हैं।


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