इलाहाबाद व वाराणसी में गंगा नदी खतरे के निशान के पार
वाराणसी में गंगा नदी के लिए खतरे का निशान 71.26 मीटर है। गंगा नदी यहां पर 71.51 मीटर पर बह रही है। अभी भी इसके जलस्तर में प्रतिघंटे एक सेंटीमीटर से वृद्धि जारी है।
लखनऊ (वेब डेस्क)। देश की जीवनदायिनी गंगा नदी इन दिनों खतरे का सबब बन रही है। गंगा नदी बीते एक हफ्ते से अपना रौद्र रूप दिखा रही है। गंगा नदी इलाहाबाद के साथ ही वाराणसी में भी खतरे का निशान पार कर चुकी है।
वाराणसी में गंगा नदी के लिए खतरे का निशान 71.26 मीटर है। गंगा नदी यहां पर 71.51 मीटर पर बह रही है। अभी भी इसके जलस्तर में प्रतिघंटे एक सेंटीमीटर से वृद्धि जारी है।
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इसके साथ ही गंगा नदी के के पलट प्रवाह से सहायक नदी वरुणा भी उफान पर है। वाराणसी में गंगा तथा वरुणा नदी का पानी कई इलाकों में घुस गया है।
इलाहाबाद में गंगा-यमुना खतरा का निशान पार कर चुकी हैं। यहां पर एक बार फिर से वर्ष 2013 जैसे हालात बन गए हैं। गंगा तथा यमुना नदी के उफान के कारण शहर में दर्जन भर से ज्यादा इलाकों में पानी घुस गया है। प्रशासन ने एहतियातन सेना को भी सतर्क कर दिया है।
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सिंचाई विभाग (बाढ़ प्रखंड) के कंट्रोल रूम ने कल रात 10 बजे तक गंगा का जलस्तर फाफामऊ में 84.60 और छतनाग में 83.96 मीटर रहने की जानकारी दी। खतरा बिंदु यानि लाल निशान 84.73 मीटर है। जलस्तर में सुबह प्रति घंटे पांच सेमी वृद्धि हो रही थी, दोपहर में यह तीन सेमी रह गई। फिर दो सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़त होने लगी।
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रात में यमुना का जलस्तर नैनी में 84.44 मीटर था। प्रशासन ने 10 राहत शिविर खोले जाने का दावा किया है। सिंचाई विभाग (बाढ़ प्रखंड) के अधिकारियों का कहना है कि अगले 48 घंटों में भी राहत शायद ही मिलेगी। जिलाधिकारी संजय कुमार ने बताया बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए पुलिस और पीएसी को तैनात कर दिया गया है। यहां पर शिविरों में पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री तथा चिकित्सा व्यवस्था मुहैया करायी गई है।