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Ganesh Chaturthi : विधि विधान से करें भगवान गणेश का ध्यान, पूरे होंगे काम

घर और मंदिरों में गणेश जी की काफी सुन्दर मूर्तियां सजी हैं। दस दिन यानि अनन्त चतुर्दशी तक भक्ति भाव और विधि विधान से गणेश भगवान की पूजा की जाती है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 05 Sep 2016 10:08 AM (IST)Updated: Mon, 05 Sep 2016 10:33 AM (IST)
Ganesh Chaturthi : विधि विधान से करें भगवान गणेश का ध्यान, पूरे होंगे काम

लखनऊ (वेब डेस्क)। पूरे देश में गणेश चतुर्थी और गणेश विसर्जन का त्यौहार बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में भी इसकी महत्ता दिनों-दिन बढ़ती ही जा रहा है।

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आज गणेश चतुर्थी के पर्व की तैयारी लोगों ने बीते हफ्ते से ही कर ली है। घर और मंदिरों में गणेश जी की काफी सुन्दर मूर्तियां सजी हैं।

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दस दिन यानि अनन्त चतुर्दशी तक भक्ति भाव और विधि विधान से गणेश भगवान की पूजा की जाती है। ग्यारहवें दिन किसी जलाशय, नदी में गणेश जी की मूर्ती को गणपति बाप्पा मोर्या के जयकारों के साथ गाजे बाजे के साथ नाचते गाते लोग विसर्जित किया जाता है।

गणपति के रूप अनेक

यह है पूजा की तिथि

-गणेश चतुर्थी की 5 सितंबर 2016 को है।

-चतुर्थी 5 सितंबर 2016 को रात 9:10 बजे समाप्त होगी।

-गणेश पूजन का शुभ समय 5 सितंबर को मध्याह्न (दिन में) 11:10 से 1:39 बजे तक।

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जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। जय गणेश जय गणेश , एक दन्त दयावंत चार भुजाधारी। माथे सिन्दूर सोहे मूष की सवारी।। जय गणेश जय गणेश

अंधन को आँख देत कोढिऩ को काया। बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया।। जय गणेश जय गणेश,

हार चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लडूवन का भोग लगे संत करे सेवा।। जय गणेश जय गणेश,

दीनन की लाज राखी शम्भु सुतवारी। कामना को पूरा करो जग बलिहारी।। जय गणेश जय गणेश,

इस तरह ये पूजा श्रीगणेशजी की चतुर्थी तिथि को किए जाएं तो जल्दी फल प्राप्त होते हैं

यह है पूजा की सामग्री

गणेश जी की पूजा करने के लिए चौकी या पाटा, जल कलश, लाल कपड़ा, पंचामृत, रोली, मोली, लाल चन्दन, जनेऊ गंगाजल, सिन्दूर चांदी का वर्क लाल फूल या माला इत्र मोदक या लडडू धानी सुपारी लौंग, इलायची नारियल फल दूर्वा, दूब पंचमेवा घी का दीपक धूप, अगरबत्ती और कपूर की आवश्यकता होती है।

यह है पूजा की विधि

भगवान गणेश की पूजा करने लिए सबसे पहले सुबह नहा धोकर शुद्ध लाल रंग के कपड़े पहने। गणेश जी को लाल रंग प्रिय है। पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व दिशा में या उत्तर दिशा में होना चाहिए। सबसे पहले गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद गंगा जल से स्नान कराएं। गणेश जी को चौकी पर लाल कपड़े पर बिठाएं।

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ऋद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी रखें। गणेश जी को सिन्दूर लगाकर चांदी का वर्क लगाएं। लाल चन्दन का टीका लगाएं। अक्षत (चावल) लगाएं। मौली और जनेऊ अर्पित करें। लाल रंग के पुष्प या माला आदि अर्पित करें। इत्र अर्पित करें। दूर्वा अर्पित करें। नारियल चढ़ाएं। पंचमेवा चढ़ाएं। फल अर्पित करें। मोदक और लडडू आदि का भोग लगाएं। लौंग इलायची अर्पित करें। दीपक, अगरबत्ती, धूप आदि जलाएं इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं।

यह मंत्र पढ़ें

गणेश मंत्र उच्चारित करें-ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ।

बुधवार को ऐसा करने से श्रीगणेश प्रसन्न हो कर भक्तों की सभी मन्नतें पूरी करते हैं

इस समय चन्द्रमा को न देखें

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि चन्द्रमा को गणेश जी का श्राप लगा हुआ है। इस दिन चंद्रमा को देखने से झूठा कलंक लग सकता है। भगवान श्री कृष्ण को भी चंद्रमा देखने पर मणि चोरी के झूठे कलंक का सामना करना पड़ा था। ये धार्मिक मान्यताएं है परन्तु इसके कुछ वैज्ञानिक कारण जरूर होंगे।

-तृतीया तिथि को चंद्रमा न देखने का समय 4 सितंबर 2016 को शाम 6:54 से 8:36 बजे तक।

-चतुर्थी तिथि के दिन चंद्रमा न देखने का समय 5 सितंबर 2016 को सुबह 9:21 से रात 9:12 तक।


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