कोरोना काल में फलों की बिक्री में मुनाफाखोरों की खुले आम लूट, आमजनाें की पहुंच से दूर हुए फल
लखनऊ में कारोबारी फसल कम होने और कोरोना काल में डिमांड बढ़ने का जमकर फायदा उठा रहे हैं कोरोना काल में फसल कम होने आवक घटने और डिमांड बढ़ने से फल विक्रेता मनमानी पर उतारू हैं। दो से तीन गुना कीमत लोकल मंडी में ग्राहक से वसूल रहे हैं।
लखनऊ [नीरज मिश्र]। कोरोना संक्रमण काल में विटामिन-सी वाले फलों के भरपूर उपयोग करने की सलाह का बाजार पर असर ऐसा हुआ कि फलों के दामों ने आमजनों के दांत खट्टे कर दिए हैं। कोरोना काल में फसल कम होने, आवक घटने और डिमांड बढ़ने से फल विक्रेता मनमानी पर उतारू हैं। फुटकर मंडी में तो खुलेआम लूट चल रही है। कहा जाए ग्राहकों की जेब पर डाका डाला जा रहा है तो गलत नहीं। हाल यह है कि थोक मंडी से खरीद कर फुटकर विक्रेता उसकी दो से तीन गुना कीमत लोकल मंडी में ग्राहक से वसूल रहे हैं।
फुटकर मंडी में हो रही इस तरह लूट
तुलनात्मक आंकड़ा थोक और फुटकर मंडी का भाव
प्रति किलो में फल-भाव थोक - फुटकर में
संतरा-40 से 50 - 150 से 170
मौसमी-40 से 50 - 90 से 100
सेब- 60 से 65 -180 से 200
अनार-50 से 55 - 120 से 160
नींबू-90 से 100 - 180 से 200
थोक मंडीफल-अप्रैल माह की शुरुआत में
आज का भाव प्रति क्विंटल रुपये में
संतरा -3000 से 4000 -4000 से 5000
मौसमी -2500 से 3000 -4000 से 5000
सेब-5000 से 6000 -6000 से 6500
अनार-4000 से 5000-5000 से 5500
नींबू -8000 से 9000- 9000 से 10000
आंवला-किन्नू की फसल मार्च माह की शुरुआत के बाद आपूर्ति बंद हो जाती है।
फुटकर मंडी में फलों के भावफल-अप्रैल माह की शुरुआत में
आज का भाव प्रति किलो रुपये में
संतरा -140 से 160 -150 से 170
मौसमी-60 से 70 - 90 से 100
सेब-120 से 150 -180 से 200
अनार-100 से 120 -120 से 160
नींबू- 40 से 50 -180 से 200
पहले रोज आते थे संतरा और मौसमी के चार से ट्रक, अब औसतन एक मंडी निरीक्षक अमित यादव बताते हैं कि संतरे की फसल इस बार काफी कम है। मौसमी का भी यही हाल है।पहले रोज चार से पांच ट्रकों की आवक रहती थी। अब फसल कम होने और काेराेना काल के चलते एक ट्रक भी औसतन रोज नहीं हो पा रहा है। बावजूद इसके थोक मंडी में ज्यादा तेजी नहीं है। लेकिन फुटकर कारोबारियों की मनमानी इस कदर है कि सस्ते दाम पर खरीद कर ग्राहकों को फुटकर मंडी में दोगुनेे-तिगुने दाम पर बेच रहे हैं। मंडी के अधिकार सीमित हैं। मंडी खत्म होने से और अधिकारों में कटौती हो गई है। इस पर प्रशासन को लगाम कसनी होगी। तभी मंडी में मनमाना भाव बेचे जाने पर रोक लगेगी।